तीसरे सर्जिकल स्ट्राइक में बहुत महत्वपूर्ण रोल निभाएगा ISRO का यह 'जासूस'
रिसैट श्रृंखला उपग्रहों की जरूरत वर्ष 2008 में मुंबई में आतंकवादी हमले के बाद महसूस की गई. इजरायल में बने इस सैटेलाइट को हमले के बाद भारत ने 20 अप्रैल, 2009 को लॉन्च किया था
नई दिल्ली:
पाकिस्तान के बालाकोट में भारती एअरफोर्स द्वारा किया गया एयर स्ट्राइक हो या फिर उससे पहले पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में सेना द्वारा किया गया सर्जिकल स्ट्राइक. इन दोनों मिशन में भारतीय सेना की कामयाबी में ISRO यानी भारतीय अंतरीक्ष अनुसंधान संगठन के एक 'जासूस' ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. वह जासूस और कोई नहीं बल्कि RiSAT उपग्रह था. अब 11 दिसंबर 2019 को इसरो Spy Satellite RISAT-2BR1 लांच करेगा.
सर्जिकल स्ट्राइक में काम आया था
रीसैट सीरीज का पिछला सैटेलाइट 2016 में हुई सर्जिकल स्ट्राइक में काम आया था. इसके इस्तेमाल इसी साल फरवरी के आखिरी में बालाकोट में हुई एयरस्ट्राइक में भी किया गया था. रिसैट श्रृंखला उपग्रहों की जरूरत वर्ष 2008 में मुंबई में आतंकवादी हमले के बाद महसूस की गई. इजरायल में बने इस सैटेलाइट को हमले के बाद भारत ने 20 अप्रैल, 2009 को लॉन्च किया था. ताकि सुरक्षाबलों की क्षमताएं बढ़ाई जा सकें.
यह पहले वाले के मुकाबले काफी उन्नतिशील और स्मार्ट है. जानें इसकी अन्य खूबियां...
- यह श्री हरिकोटा से Polar Satellite Launch Vehicle (PSLV) PSLV-C48 rocket की मदद से लांच करेगा.
- RISAT एक रडार-इमेजिंग पृथ्वी अवलोकन उपग्रह है.
- ISRO ने भारतीय सीमाओं की निगरानी प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए 4-5 उन्नत RISAT श्रृंखला उपग्रह लॉन्च करने की योजना बनाई है.
- Risat-2BR1 RISAT श्रृंखला का दूसरा उन्नत उपग्रह है.
- RiSAT उपग्रहों का समूह बादलों के माध्यम से और रात में भी देख सकता है.
- 24 × 7 सीमा निगरानी करेगा और घुसपैठ की जांच करने में मदद करेगा और सीमाओं पर देश विरोधी गतिविधियों पर नजर रखेगा.
- 2016 के सर्जिकल स्ट्राइक में, भारतीय सेना ने RISAT उपग्रह चित्रों की मदद ली थी.
- 11 दिसंबर को RISAT-2BR1 के लॉन्च के बाद, ISRO इस महीने की दूसरी छमाही में RISAT-2BR2 भी लॉन्च करेगा.
- 11 दिसंबर को RISAT-2BR1 उपग्रह के अलावा, ISRO, एक जापानी कंपनी iQPS द्वारा विकसित माइक्रोसैटेलाइट QPS-SAR, और अमेरिका स्थित अंतरिक्ष से क्लाउड डेटा और विश्लेषणात्मक कंपनी Spire Global के लिए PSLV-C48 की मदद से चार ग्लोबल लॉन्च करेगा.
- पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) की यह 50 वीं उड़ान है.
- ISRO ने सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से कुल 49 PSLV मिशन लॉन्च किए हैं.
- 27 नवंबर 2019- इसरो प्रमुख के.एस. सिवन ने कहा था- "हम मार्च, 2020 तक 13 मिशन- छह रॉकेट लॉन्च और सात उपग्रह मिशन लॉन्च करने का लक्ष्य बना रहे हैं.
- रिसैट सीरीज की सैटेलाइट की तुलना में रिसैट-2बीआर1 ज्यादा एडवांस है.
- यह दिखने में तो पुराने सैटेलाइट के जैसा है, लेकिन इसकी तकनीक पहले से काफी अलग है.
- नए सैटेलाइट में निगरानी और इमेजिंग क्षमताओं को बढ़ाया गया है.
- इसरो के सूत्रों के मुताबिक, "रिसेट एक्स-बैंड सिंथेटिक अपर्चर रडार (एसएआर) ना केवल दिन और रात, बल्कि हर मौसम में भी निगरानी रखने की क्षमता रखता है.
- इतना ही नहीं, बादलों में होने के बाद भी यह बेहतर तरीके से काम करता है.
- इससे एक मीटर के रिजॉल्यूशन तक जूम किया जा सकता है.
- 22 मई 2019 को ISRO ने PSLV-C46 की मदद से RISAT-2B लॉन्च किया था. RISAT-2B आपदा प्रबंधन प्रणाली और पृथ्वी अवलोकन उपग्रह है.
- 22 मई 2019- सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एस.डी.एस.सी.) शार, श्रीहरिकोटा से भारत के ध्रुवीय उपग्रह लांचर राकेट (पी.एस.एल.वी.-सी46) द्वारा रिसैट-2बी उपग्रह का सफलतापूर्वक लांच किया गया.
- यह एस.डी.एस.सी. शार, श्रीहरिकोटा से 72वां प्रमोचक राकेट मिशन तथा पहले लांच पैड से 36वां लांच था.
- पी.एस.एल.वी.-सी46 ने पहले लांच पैड से सुबह 05:30 बजे (भारतीय मानक समय) उड़ान भरी तथा उड़ान भरने के 15 मिनट, 25 सेकेंड बाद रिसैट-2बी को 556 कि.मी. की कक्षा में अंत:क्षेपित किया.
- पृथक्करण के बाद, रिसैट-2बी के सौर व्यूह स्वत: प्रस्तरित हो गए तथा बेंगलूरु स्थित ISRO Telemetry Tracking and Command Network (ISTRAC) ने इसे नियंत्रण में ले लिया.
- रिसैट-2बी लगभग 615 कि.ग्रा. भार का रेडार प्रतिबिंबन भू प्रेक्षण उपग्रह है. इस उपग्रह का लक्ष्य कृषि, वानिकी तथा आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में सेवाएं प्रदान करना है.
- भारत ने इजरायली एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज से एक्स बैंड सिंथेटिक अपर्चर राडार लिया जिसे रिसैट-2 में इंटीग्रेट कर छोड़ा गया.
- अब इसरो द्वारा तैयार रिसैट-2 बीआर1 और रिसैट-2 बीआर-2 एक्स बैंड सिंथेटिक अपर्चर राडार उपग्रह है जो देश की इमेजिंग और टोही क्षमता को बढ़ाएंगे.
- रेडियल रिब ऐंटेना (आर.आर.ए.) विश्व स्तरीय प्रौद्योगिकी है.
- इस ऐंटेंना का इसरो टीम द्वारा 13 महीने की कीर्तिमान अवधि में स्वदेशी रूप से निर्माण किया गया था.
- वैकल्पिक आयात के विकल्प में लगभग 3-4 वर्षों का समय लग जाता.
- रिसैट-2बी में आर.आर.ए. का सफल प्रस्तरण इसरो द्वारा स्वदेशी रूप से हासिल की गई हर कौशल में महारत का संयोजन स्थापित करता है.
- रीसैट का X बैंड सिंथेटिक अपर्चर रडार (SAR) इस सैटेलाइट को सिर्फ दिन ही नहीं बल्कि रात में भी साफ तस्वीरें लेने और सभी मौसमों में ऐसा कर सकने की क्षमता देता है.
- यह रडार घने बादलों को भेद सकता है और 1 मीटर दूर से किसी वस्तु की तस्वीर ले सकता है.
- अगर दो वस्तुएं मात्र 1 मीटर दूर रखी हैं तो दोनों की अलग-अलग पहचान भी कर सकता है.
- धरती पर मौजूद किसी बिल्डिंग या वस्तु की तस्वीर यह रडार दिनभर में दो से तीन बार ले सकता है.
- यह सैटेलाइट भारत की सिक्योरिटी एजेंसियों के लिए हमेशा भारत की सीमाओं से होने वाली घुसपैठ पर नज़र रखती है.
- इससे भारतीय सेनाओं को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में चल रहे जिहादी कैंपों पर नज़र रखने में बहुत मदद मिलेगी.
- इस सैटेलाइट के चलते भारत की आपदा नियंत्रण प्रणाली में भी सुधार हुआ था.
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