अब आपको गूगल मैप्स/अर्थ की जरूरत नहीं है स्वदेशी कंपनी मैपमाईइंडिया करेगी मुकाबला
स्वदेशी कंपनी ने दिया गूगल मैप का विकल्प,अब इसकी मदद से भू-स्थानिक सेवाओं के क्षेत्र का विस्तार संभव
highlights
- इसरो के साथ मैपमाईइंडिया की साझेदारी नक्शों और भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियों के रणनीतिक क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत की एक नई सुबह है
- भारतीयों के लिए स्वदेशी मानचित्रण समाधान मिलेगा
- सैटेलाइट इमेजरी कैटलॉग व अर्थ ऑब्जर्वेशन डेटा प्रौद्योगिकियों का संयोजन.
बेंगलुरु:
गूगल मैप्स से मुकाबला करने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और डिजिटल मैपिंग और स्थान-आधारित डीप-टेक कंपनी मैपमाईइंडिया ने पूरी तरह से स्वदेशी, मैपिंग पोर्टल और भू-स्थानिक सेवाओं की पेशकश के लिए एक नई पहल की घोषणा की है. ये सेवाएं मैपमाईइंडिया के डिजिटल मैप्स की क्षमता और इसरो का सैटेलाइट इमेजरी कैटलॉग व अर्थ ऑब्जर्वेशन डेटा प्रौद्योगिकियों का संयोजन होंगी. कंपनी ने कहा कि इसरो के साथ संयुक्त साझेदारी के माध्यम से मैपमाईइंडिया के यूजर्स मैप्स, एप्लिकेशन और सेवाएं विदेशी मैप ऐप्स और समाधानों की तुलना में बहुत बेहतर, अधिक विस्तृत और व्यापक होंगी. साथ ही गोपनीयता-केंद्रित, अति स्थानीय और भारतीयों के लिए स्वदेशी मानचित्रण समाधान भी होंगी.
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नई सुबह की शुरूआत
मैपमाईइंडिया के सीईओ व कार्यकारी निदेशक रोमी वर्मा ने एक बयान में कहा कि इसरो के साथ यह साझेदारी नक्शों और भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियों के रणनीतिक क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत की एक नई सुबह है.वर्मा ने लिंक्डइन पर एक लेख में कहा, "आपको अब गूगल मैप्स / अर्थ की जरूरत नहीं है।" कंपनी ने कहा कि मौसम आधारित प्रदूषण, कृषि उत्पादन, भूमि उपयोग परिवर्तन, बाढ़ और भूस्खलन जैसी आपदाओं के बारे में उपयोगकर्ताओं को इससे बहुत लाभ होगा. मैपमाईइंडिया ने कहा कि इसके नक्शे और एपीआई (एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस) इसरो के जिओपोर्टल्स को समृद्ध करेंगे.
कंपनी ने कहा कि यह भारतीय वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं और सरकारी संगठनों को भारत के सैटलाइट इमेजरी, पृथ्वी अवलोकन डेटा और डिजिटल मैप डेटा और उन्नत भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियों को सशक्त करेगा. कंपनी ने कहा कि इसरो के साथ संयुक्त साझेदारी के माध्यम से मैपमाईइंडिया के यूजर्स मैप्स, एप्लिकेशन और सेवाएं विदेशी मैप ऐप्स और समाधानों की तुलना में बहुत बेहतर, अधिक विस्तृत और व्यापक होंगी। यह सुविधा स्वदेशी कंपनी द्वारा संचलित होने के कारण देश का ज्यादा प्रमाणिक डाटा उपलब्ध कराएगी.
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50 साल के इतिहास में पहली बार सैटेलाइट सेंटर को निजी कंपनियों के लिए खोला
गौरतलब है कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने 50 साल के इतिहास में पहली बार अपने सैटेलाइट सेंटर को निजी कंपनियों के लिए खोला है. ऐसा पहली बार होगा जब प्राइवेट कंपनी या कॉलेज के लोग बेंगलुरु स्थित यूआर राव सैटेलाइट सेंटर (URSC) में अपनी सैटेलाइट की जांच करेंगे. इसरो ने फिलहाल सिर्फ दो सैटेलाइट के लिए के लिए अनुमति दी है. इनमें से एक निजी कंपनी की है, दूसरी स्टूडेंट्स की.
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