तो क्या अब कभी नहीं हो पाएगा विक्रम लैंडर (Vikram Lander) से संपर्क, जानें क्या कह रहा है ISRO
चंद्रयान 2 का लैंडर विक्रम चंद्रमा की सतह से केवल 2.1 किलोमीटर पहले राह भटक गया था. 7 सितंबर को तड़के 1.50 बजे से उसका संपर्क इसरो के कंट्रोल रूम से टूट गया था.
नई दिल्ली:
चंद्रयान 2 के आर्बिटर के परफार्मेंस से संतुष्ट इसरो के वैज्ञानिक अब विक्रम लैंडर से संपर्क टूटने के कारणों का विश्लेषण करेंगे. चंद्रयान 2 का लैंडर विक्रम चंद्रमा की सतह से केवल 2.1 किलोमीटर पहले राह भटक गया था. 7 सितंबर को तड़के 1.50 बजे से उसका संपर्क इसरो के कंट्रोल रूम से टूट गया था. गुरुवार को इसरो ने यह जानकारी दी कि चंद्रयान2 का आर्बिटर अच्छे तरीके से काम कर रहा है और उसके प्रदर्शन से वैज्ञानिक संतुष्ट हैं. जहां तक लैंडर विक्रम की बात है तो अब इसरो के विशेषज्ञों की एक टीम लैंडर से संपर्क टूटने के कारणों का विश्लेषण करेगी.
#Chandrayaan2 Orbiter continues to perform scheduled science experiments to complete satisfaction. More details on https://t.co/Tr9Gx4RUHQ
— ISRO (@isro) September 19, 2019
Meanwhile, the National committee of academicians and ISRO experts is analysing the cause of communication loss with #VikramLander
अब संपर्क की उम्मीदें क्षीण
चांद (Moon) की सतह पर पड़े लैंडर विक्रम (Vikram Lander) के पास अब अंधेरा तेजी से गहरा रहा है. विक्रम (Vikram Lander) लैंडर उस अंधेरे में खो जाएगा, जहां से उससे संपर्क करना तो दूर, उसकी तस्वीर भी नहीं ली जा सकेगी. इसरो (ISRO) ही नहीं, अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा समेत दुनिया की कोई भी स्पेस एजेंसी विक्रम (Vikram Lander) लैंडर की तस्वीर तक नहीं ले पाएगा. 14 दिनों की इस खतरनाक रात में विक्रम (Vikram Lander) लैंडर का सही सलामत रहना बेहद मुश्किल होगा.
चांद (Moon)के उस हिस्से में सूरज की रोशनी नहीं पड़ेगी, जहां विक्रम (Vikram Lander) लैंडर है. तापमान घटकर माइनस 183 डिग्री सेल्सियस तक जा सकता है. इस तापमान में विक्रम (Vikram Lander) लैंडर के इलेक्ट्रॉनिक हिस्से खुद को जीवित नहीं रख पाएंगे. अगर, विक्रम (Vikram Lander) लैंडर में रेडियोआइसोटोप हीटर यूनिट लगा होता तो वह खुद को बचा सकता था. क्योंकि, इस यूनिट के जरिए इसे रेडियोएक्टिविटी और ठंड से बचाया जा सकता था. यानी, अब विक्रम (Vikram Lander) लैंडर से संपर्क साधने की सारी उम्मीदें खत्म होती दिख रही है.
The Sun will set over the landing site of the Chandrayaan-2 mission Vikram lander within 2 days. As Vikram is not equipped with radioisotope heater units, any hope of contacting the spacecraft will die as temperatures approach ~minus 180 Celsius. pic.twitter.com/jsTUZiXnCp
— Andrew Jones (@AJ_FI) September 17, 2019
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (ISRO) के सूत्रों के मुताबिक 20-21 सितंबर के बाद विक्रम (Vikram Lander) लैंडर से जुड़ी जानकारी और तस्वीरें आम लोगों के लिए जारी कर सकता है. हालांकि, इसरो (ISRO) ने इसकी पुष्टि नहीं की है. 17 सितंबर को इसरो (ISRO) ने ट्वीट किया कि हमारे साथ खड़ा होने के लिए आप सभी का धन्यवाद. हम दुनिया भर में भारतीयों की आशाओं और सपनों से प्रेरित होकर आगे बढ़ते रहेंगे. यानी इस संदेश से ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि अब उम्मीद की कोई किरण नहीं दिख रही है.
Thank you for standing by us. We will continue to keep going forward — propelled by the hopes and dreams of Indians across the world! pic.twitter.com/vPgEWcwvIa
— ISRO (@isro) September 17, 2019
3 घंटे बाद अंधेरे में खो जाएगा विक्रम (Vikram Lander) लैंडर
जिस समय चंद्रयान-2 का विक्रम (Vikram Lander) लैंडर चांद (Moon)पर गिरा, उस समय वहां सुबह थी. यानी सूरज की रोशनी चांद (Moon)पर पड़नी शुरू हुई थी. चांद (Moon)का पूरा दिन यानी सूरज की रोशनी वाला पूरा समय पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर होता है.
यह भी पढ़ेंः भारत में आतंकवादी चांद से नहीं पाकिस्तान से आते हैं, जानें किसने कही ये बात
20 या 21 सितंबर को चांद (Moon)पर रात हो जाएगी. आज 18 सितंबर है, यानी चांद (Moon)पर 20-21 सितंबर को होने वाली रात से करीब 3 घंटे पहले का वक्त. यानी, चांद (Moon)पर शाम हो चुकी है. हमारे कैलेंडर में जब 20 और 21 सितंबर की तारीख होगी, तब चांद (Moon)पर रात का अंधेरा छा चुका होगा.
रात की खींची फोटो साफ नहीं आती
ऐसा माना जा रहा है कि नासा का लूनर रिकॉनसेंस ऑर्बिटर (LRO) विक्रम लैंडर के बारे में कोई नई जानकारी दे सकता है. नासा के लूनर रिकॉनसेंस ऑर्बिटर (LRO) के प्रोजेक्ट साइंटिस्ट नोआ.ई.पेत्रो ने बताया कि चांद पर शाम होने लगी है. ऐसे में एलआरओ 'विक्रम' लैंडर की तस्वीरें तो लेगा, लेकिन इस बात की गारंटी नहीं है कि तस्वीरें स्पष्ट आएंगी. इसकी वजह यह है कि शाम को सूरज की रोशनी कम होती है और ऐसे में चांद की सतह पर मौजूद किसी भी वस्तु की स्पष्ट तस्वीरें लेना चुनौतीपूर्ण काम होगा.
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