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उम्मीद अभी बाकी, इसरो चीफ के सिवन बोले- अगले 14 दिनों तक संपर्क करने की होगी कोशिश

लैंडर विक्रम से संपर्क टूटने और मिशन चंद्रयान-2 को लेकर भारतीय अनुसंधान संगठन (ISRO) के चीफ के सिवन ने कहा कि अभी उम्मीदें खत्म नहीं हुई हैं.

Updated on: 08 Sep 2019, 06:31 AM

नई दिल्ली:

लैंडर विक्रम से संपर्क टूटने और मिशन चंद्रयान-2 को लेकर भारतीय अनुसंधान संगठन (ISRO) के चीफ के सिवन ने कहा कि अभी उम्मीदें खत्म नहीं हुई हैं. उन्होंने लैंडर से दोबारा संपर्क होने की कोई सूरत के बारे में पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, हम संपर्क साधने की कोशिश करते रहेंगे. हमारे वैज्ञानिक अगले 14 दिनों तक संपर्क करने की कोशिश करेंगे.

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डीडी न्यूज को दिए इंटरव्यू में इसरो चीफ के सिवन ने चंद्रयान के साथ गए ऑर्बिटर के बारे में कहा कि ऑर्बिटर की लाइफ मात्र एक साल के लिए तय की गई थी, लेकिन ऑर्बिटर में मौजूद अतिरिक्त ईंधन की वजह से अब इसकी उम्र 7 साल तक लगाई जा रही है. उन्होंने आगे कहा, कुल मिलाकर कहें तो मिशन 100 फीसदी लक्ष्य को पहुंचने के बेहद करीब है.

इसरो अध्यक्ष के सिवन ने कहा कि विक्रम लैंडर का आखिरी चरण ठीक नहीं रहा, इस वजह से विक्रम से हमारा संपर्क टूट गया. उन्होंने आगे कहा, एक बार विक्रम से हमारा लिंक टूटा तो फिर स्थापित नहीं हो सका. इसरो के दूसरे अभियानों के बारे में उन्होंने कहा कि चंद्रयान-2 में आई दिक्कत का कोई असर इन मिशन पर नहीं पड़ेगा. इसरो के दूसरे अभियान तय समय पर होंगे.

बता दें कि भारत 2022 के लिए मिशन गगनयान पर काम कर रहा है. इस मिशन का मकसद अंतरिक्षयात्री को अंतरिक्ष में भेजना और उनकी सुरक्षित वापसी कराना है. इसरो के वैज्ञानिक पीजी दिवाकर ने कहा कि चंद्रयान और गगनयान का अलग लक्ष्य और अलग वैज्ञानिक उपलब्धि है. उन्होंने कहा, निश्चित रूप से इसका कोई असर नहीं पड़ेगा, सैटेलाइट मिशन और मानव को अतंरिक्ष में भेजने को योजना बिना किसी दिक्कत के पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों के अनुरुप चलेगी, हर मिशन अलग तरह का है.

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उधर, मिशन चंद्रयान 2 को लेकर शनिवार को मिले जबरदस्त झटके के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपने पहले बयान में भारत के चंद्रयान-2 को एक कठिन मिशन करार दिया. इसके साथ ही इसरो ने इसे एक महत्वपूर्ण तकनीकी छलांग बताया है.

अंतरिक्ष एजेंसी ने बताया कि उसका मिशन 90 से 95 फीसदी हासिल हुआ है और विक्रम लैंडर के साथ संपर्क टूटने के बावजूद यह ऑर्बिटर चांद की कक्षा में अपना काम करता रहेगा. इसरो ने कहा है कि चंद्रयान-2 के साथ गया ऑर्बिटर अपनी कक्षा में स्थापित हो चुका है. वह अपना काम करता रहेगा और तस्वीरें भेजता रहेगा.