ओमिक्रॉन मामलों में बढ़ोतरी के बीच आंदोलनकारी डॉक्टरों के समर्थन में अधिकतर भारतीय

ओमिक्रॉन मामलों में बढ़ोतरी के बीच आंदोलनकारी डॉक्टरों के समर्थन में अधिकतर भारतीय

ओमिक्रॉन मामलों में बढ़ोतरी के बीच आंदोलनकारी डॉक्टरों के समर्थन में अधिकतर भारतीय

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IANS
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Indian upport

(source : IANS)( Photo Credit : (source : IANS))

अधिकांश भारतीय डॉक्टरों के प्रति सहानुभूति रखते हैं, जो कुछ बुनियादी सुविधाओं और नीतिगत फैसलों की मांग को लेकर महीनों से आंदोलन कर रहे हैं। आईएएनएस-सीवोटर ओमिक्रॉन स्नैप पोल के निष्कर्षों से यह जानकारी मिली है।

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स्नैप पोल में कुल 1,942 लोग शामिल हुए। सबसे विवादास्पद मुद्दा उन हजारों डॉक्टरों का है, जो स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में प्रवेश को लेकर आंदोलन कर रहे हैं, यह उनके भविष्य और करियर के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इस मुद्दे के बारे में पूछे जाने पर, 37.5 प्रतिशत उत्तरदाताओं की राय थी कि सरकार को डॉक्टरों की सभी मांगों को स्वीकार करना चाहिए और इस मुद्दे को प्राथमिकता के आधार पर हल करना चाहिए। अन्य 35.8 प्रतिशत ने महसूस किया कि सरकार को उनके साथ बातचीत करनी चाहिए और जल्द ही एक समाधान पर पहुंचना चाहिए। केवल 5 प्रतिशत ने कोई राय व्यक्त नहीं की।

कुल मिलाकर 84 प्रतिशत से अधिक भारतीय चाहते हैं कि सरकार तुरंत डॉक्टरों से बात करे और उनकी बात माने और उनकी समस्याओं का समाधान करे।

यह बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि तीसरी लहर पहले ही भारत में आ चुकी है और हालात और खराब होने का खतरा है, जब डॉक्टरों की और भी तत्काल आवश्यकता होगी।

वास्तव में, डॉक्टरों के मुद्दे पर तीसरी लहर पहली और दूसरी लहर की तुलना में कहीं अधिक असर डाल सकती है और हताश डॉक्टरों की ओर से अस्पतालों में जाना बंद करने जैसा कोई भी कदम बड़ी आपदा का कारण साबित हो सकता है।

मूल समस्या यह है कि डॉक्टर, जिन्होंने अपनी एमबीबीएस परीक्षा पास कर ली है, स्नातकोत्तर और विशेषज्ञता कार्यक्रमों के लिए नामांकन नहीं कर पाए हैं, जो उनकी योग्यता प्रक्रिया का एक अभिन्न अंग हैं।

कोविड से संबंधित मुद्दों के अलावा, मामला सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है और इस मुद्दे को हल करने के लिए कोई तात्कालिकता दिखाई नहीं दे रही है।

कई डॉक्टर, उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई से डरते हुए, निजी तौर पर कोर्ट की आलोचना कर रहे हैं, क्योंकि उनके मुद्दे को तवज्जो नहीं दी जा रही है।

चूंकि इस मुद्दे पर जन जागरूकता कम है, केवल 6.5 प्रतिशत उत्तरदाताओं का विचार है कि सरकार कुछ नहीं कर सकती, क्योंकि मामला सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Source : IANS

      
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