भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने गुरुवार को कहा कि कोविड संक्रमण के बाद रोग प्रतिरोधक क्षमता लगभग नौ महीने तक बनी रहती है।
उन्होंने कोविड की स्थिति पर आयोजित एक प्रेस वार्ता में कहा, कई वैश्विक और भारतीय वैज्ञानिक शोधों के आधार पर, यदि आपको कोई संक्रमण होता है, तो आप आमतौर पर 9 महीने तक सुरक्षित रहते हैं।
इस दौरान भार्गव ने कई स्टडी का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि साइंस जर्नल में प्रकाशित अमेरिका में एक अध्ययन के अनुसार, सार्स सीओवी2 की प्रतिरक्षात्मक ताकत 8 महीने तक बनी रह सकती है। चीन के एक अन्य अध्ययन में कहा गया है कि एंटीबॉडी और सेलुलर प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया संक्रमण के 9 महीने से अधिक समय तक बनी रहती है। जबकि अन्य कई अध्ययनों से पता चला है कि एंटीबॉडी प्रतिक्रियाएं संक्रमण के बाद 13 महीने से अधिक समय तक बनी रहती हैं।
भारत से लगभग तीन अध्ययनों - आईसीएमआर द्वारा दो और एक मुंबई में - जो, क्रमश: 284, 755 और 244 रोगियों पर किया गया था, भार्गव ने कहा कि प्रतिरक्षा क्रमश: 8 महीने, 7 महीने और 6 महीने तक बनी रहती है।
उन्होंने कहा, अधिकांश अध्ययनों से पता चला है कि यह संक्रमण के बाद 8 से 13 महीने तक बनी रहती है और हमने इसे लगभग 9 महीने तक मानकर चल रहे हैं।
आईसीएमआर प्रमुख ने यह भी कहा कि सभी कोविड टीके संक्रमण को नहीं रोकते हैं और मुख्य रूप से रोग को संशोधित करने वाले होते हैं।
भार्गव ने कहा, सभी कोविड टीके, फिर चाहे वह भारत, इजरायल, अमेरिका, यूरोप, यूके या चीन के हों, मुख्य रूप से बीमारी को बदलने वाले हैं। वह संक्रमण को नहीं रोकते हैं। एहतियाती खुराक मुख्यत: संक्रमण की गंभीरता, भर्ती होने और मौत की आशंका को कम करने के लिए है।
इस बीच, संयुक्त सचिव (स्वास्थ्य) लव अग्रवाल ने कहा कि भारत में लगभग 90 प्रतिशत वयस्क आबादी को पहली खुराक के साथ कोविड-19 के खिलाफ टीका लगाया गया है, जबकि योग्य लोगों में से 63.5 प्रतिशत को टीके की दोनों खुराक दी गई है।
उन्होंने कहा कि 8 जिलों में साप्ताहिक पॉजिटिविटी रेट 10 प्रतिशत से अधिक देखी जा रही है, जिनमें मिजोरम के छह, अरुणाचल प्रदेश और कोलकाता के एक-एक जिले शामिल हैं।
इस दौरान यह भी दोहराया गया कि टीकाकरण से पहले और बाद में भी मास्क बहुत जरूरी है। भीड़ से बचना चाहिए।
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Source : IANS