नई दिल्ली:
भारत ने रविवावर को स्वदेशी एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल 'नाग' का तीन सफल परीक्षण कर लिया है. राजस्थान के पोखरण की टेस्ट फायरिंग रेंज में इस मिसाइल का दिन और रात दोनों समय परीक्षण किया गया. बता दें कि नाग मिसाइल को भारतीय रक्षा उपकरण बनाने वाले सरकारी संगठन डीआरडीओ ने बनाया है और भारत डायनामिक्स लिमिटेड इस मिसाइल का उत्पादन करती है.
India yesterday carried out three successful tests of the indigenous Nag anti-tank guided missiles in Pokharan test firing ranges. The missiles were test-fired during both day and night during the trials. pic.twitter.com/LS62Yvax2z
— ANI (@ANI) July 8, 2019
डीआरडीओ के सूत्रों ने बताया कि इस मिसाइल की कई खूबियां हैं. यह मिसाइल इमेज के जरिए संकेत मिलते ही टारगेट भाप लेती है और दुश्मन के टैंक का पीछा करते हुए उसे नष्ट कर देती है. सबसे बड़ी बात है कि इस हल्की मिसाइल को पहाड़ी पर या एक जगह से दूसरी जगह मैकेनाइज्ड इन्फेंट्री कॉम्बैट व्हीकल के जरिए कहीं भी ले जाया जा सकता है. इसका कुल वजन मात्र 42 किलो है.
इस मिसाइल को विकसित करने में अब तक 350 करोड़ से ज्यादा का बजट लग चुका है. इसकी खासियत है कि यह दिन और रात दोनों वक्त में काम करती है. इस मिसाइल को 10 साल तक बिना किसी रख रखाव के इस्तेमाल किया जा सकता है. ये 230 किलोमीटर प्रति सेकंड के हिसाब से अपने टारगेट को भेदती है, अपने साथ ये 8 किलोग्राम विस्फोटक लेकर चल सकती है.
ये भी पढ़ें: राजस्थान: DRDO ने पोखरण में 500 किलो के स्वदेशी बम का सफल परीक्षण किया
गौरतलब है कि पोखरण रेंज के चांधण में नाग के अपडेटेड वर्जन प्रोसपीना मिसाइल का यह तीसरा ट्रायल था. इससे पहले 13 जून 2017 में इसका ट्रायल किया गया था. इस बार के यूजर ट्रायल में इमेजिंग इंफ्रारेड सिकर्स में और सुधार किया गया है जो कि मिसाइल को छोड़ने के बाद टारगेट को हिट करने के लिए गाइड करता है. इससे पहले ट्रायल के दौरान इंफ्रारेड सिकर्स को टारगेट और उसके आसपास के इलाकों का ज्यादा तापमान में पहचान करने में समस्या आ रही थी इसलिए इस मिसाइल में अब कुछ संवेदनशील डिटेक्टर डाले गए हैं, जो गर्मी में भी इंफ्रारेड सिग्नल को भाप लेते हैं.