भारत ने किया देश में विकसित Prithvi मिसाइल का सफल परीक्षण
रक्षा के क्षेत्र में खुद को और मजबूत बनाते हुए भारत ने एक और सफलता हासिल की है. भारत ने देश में विकसित कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल 'पृथ्वी' का सफल परीक्षण किया है.
बालासोर :
रक्षा के क्षेत्र में खुद को और मजबूत बनाते हुए भारत ने एक और सफलता हासिल की है. भारत ने देश में विकसित कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल 'पृथ्वी' का सफल परीक्षण किया है. ओडिशा के बालासोर तट पर अंतरिम टेस्ट रेंज से इस मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया है. मिसाइल ने सामरिक मिशन कमान द्वारा तय किए गए अपने सभी मिशन उद्देश्य को प्राप्त किया. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने 'पृथ्वी' मिसाइल को विकसित किया है.
India yesterday carried out successful testfiring of the Prithvi short-range ballistic missile, developed by DRDO, from the Interim Test Range, Balasore off the coast of Odisha. The missile achieved its all mission objective as decided by Strategic Forces Command.
— ANI (@ANI) September 24, 2020
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भारत ने सेना के अभ्यास परीक्षण के तहत देश में विकसित पृथ्वी मिसाइल का ओडिशा के एक केंद्र से सफल रात्रिकालीन प्रायोगिक परीक्षण किया. सतह से सतह पर मार करने वाली इस मिसाइल की मारक क्षमता 350 किलोमीटर दूर है. मिसाइल को आईटीआर के प्रक्षेपण परिसर-3 से एक मोबाइल लॉंचर से दागा गया. यह मिसाइल परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम है. मिसाइल के प्रक्षेपण पथ पर रडारों, इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल ट्रैकिंग प्रणाली और टेलीमेट्री केंद्रों से नजर रखी गई, जिसने सभी मानकों को प्राप्त किया.
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इससे पहले मंगलवार को डीआरडीओ ने महाराष्ट्र के अहमदनगर स्थित फायरिंग रेंज से देश में विकसित लेजर गाइडेड एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल का सफल प्रायोगिक परीक्षण किया. यह मिसाइल 4 किलोमीटर की दूरी तक मार कर सकती है. प्रयोगिक परीक्षण के तहत मंगलवार को अहमदनगर में स्थित आर्म्ड कोर सेंटर एंड स्कूल स्थित केके रेंज में एक एमबीटी अर्जुन टैंक से इस मिसाइल को दागा गया.
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लेजर निर्देशित टैंक विध्वंसक मिसाइल (एटीजीएम) से भारतीय सेना की युद्ध शक्ति महत्वूपर्ण रूप से बढ़ने की संभावना है, खासकर पाकिस्तान और चीन से लगती सीमाओं पर. अधिकारियों ने कहा कि एटीजीएम पूर्ण सटीकता के साथ लक्ष्यों को निशाना बनाती है. अर्जुन टैंक डीआरडीओ द्वारा विकसित तीसरी पीढ़ी का मुख्य युद्धक टैंक है. पुणे स्थित आयुध अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान ने उच्च ऊर्जा पदार्थ अनुसंधान प्रयोगशाला तथा उपकरण अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान के सहयोग से इस मिसाइल का विकास किया है.
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