भारत के प्रौद्योगिकी व्यय में इस साल 8.7 प्रतिशत की बढ़त की संभावना है, जो एशिया प्रशांत क्षेत्र के अन्य देशों में होने वाली सर्वाधिक व्यय वृद्धि में से एक है।
फोरेस्टर की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से गत वर्ष के शुरूआती दौर में भारत की रिकवरी गति धीमी पड़ी थी लेकिन बाद की अंतिम दो तिमाहियों में संक्रमण के मामले कम होने और टीकाकरण की गति बढ़ने से आर्थिक गतिविधियां तेज हुईं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि ऊर्जा की किल्लत, महंगाई दर में बढ़ोतरी की चिंता तथा कोरोना संक्रमण के दोबारा सिर उठाने की संभावना से आर्थिक रिकवरी प्रभावित रहेगी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2020 में हार्डवेयर के खर्च में कटौती करने के बाद भारतीय प्रौद्योगिकी कंपनियों ने वर्ष 2021 में इस मद में सात प्रतिशत अधिक खर्च किया।
इस दौरान दूरसंचार कंपनियों के 5जी ट्रायल करने से कम्युनिकेशन उपकरण का खर्च भी 6.9 प्रतिशत बढ़ा है। हार्डवेयर और कम्युनिकेशन उपकरणों के व्यय में वर्ष 2021 में क्रमश: छह और सात प्रतिशत की तेजी रही लेकिन इस साल इनके व्यय में कमी आने का अनुमान है और ये क्रमश: चार और पांच प्रतिशत रह सकते हैं।
सॉफ्टवेयर ही एकमात्र ऐसा क्षेत्र रहा, जो वर्ष 2020 के संकुचल के दौरान भी प्रभावित नहीं रहा और 2021 में इसके व्यय में करीब 15 फीसदी की तेजी का अनुमान है।
रिपोर्ट में यह संभावना जतायी गयी है कि आधारभूत ढांचों के आधुनिकीकरण, कारोबार के ऑटोमेशन और प्रौद्योगिकी रणनीतिक परामर्श सेवाओं की मांग बढ़ेगी।
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Source : IANS