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भले ही विक्रम लैंडर से संपर्क टूट गया पर देश को आर्बिटर से अब भी उम्‍मीद

जिस ऑर्बिटर से लैंडर अलग हुआ था, वह अभी भी चंद्रमा की सतह से 119 किमी से 127 किमी की ऊंचाई पर घूम रहा है.

Updated on: 07 Sep 2019, 12:10 PM

highlights

  • इसी साल इजरायल के चंद्रयान के साथ भी आई थी ऐसी दिक्‍कत
  • इजरायल के चंद्रयान का चांद से 10 KM पहले टूट गया था संपर्क
  • सॉफ्ट लैंडिंग के 38 में से 52 फीसद प्रयास ही रहे हैं सफल 

नई दिल्‍ली:

मिशन चंद्रयान 2 के आखिरी क्षणों में भले ही विक्रम लैंडर से संपर्क टूट गया पर आर्बिटर अब भी चंद्रमा का चक्‍कर लगा रहा है. जिस ऑर्बिटर से लैंडर अलग हुआ था, वह अभी भी चंद्रमा की सतह से 119 किमी से 127 किमी की ऊंचाई पर घूम रहा है. 2,379 किलो वजनी ऑर्बिटर के साथ 8 पेलोड हैं और यह एक साल काम करेगा. यानी लैंडर और रोवर की स्थिति पता नहीं चलने पर भी मिशन जारी रहेगा. 8 पेलोड के अलग-अलग काम होंगे.

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अब चांद की सतह का नक्शा तैयार करना, चांद के अस्तित्व और उसके विकास का पता लगाने की अब कोशिश होगी. अब मैग्नीशियम, एल्युमीनियम, सिलिकॉन, कैल्शियम, टाइटेनियम, आयरन और सोडियम की मौजूदगी का पता लगाने की कोशिश की जाएगी. सूरज की किरणों में मौजूद सोलर रेडिएशन की तीव्रता को मापने की कोशिश की जाएगी. चांद की सतह की हाई रेजोल्यूशन तस्वीरें खींचना, सतह पर चट्टान या गड्ढे को पहचानने की भी कोशिश की जाएगी, ताकि लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग हो जाए. चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पानी की मौजूदगी और खनिजों का पता लगाने, ध्रुवीय क्षेत्र के गड्ढों में बर्फ के रूप में जमा पानी का पता लगाने, चंद्रमा के बाहरी वातावरण को स्कैन करने की भी कोशिश की जाएगी.

अप्रैल में इजरायल के यान के साथ भी ऐसी ही दिक्कत आई थी. इजराइल की निजी कंपनी स्पेसएल ने इसी साल अपना मून मिशन भेजा था, लेकिन उसका यान बेरेशीट चंद्रमा की सतह पर उतरने की कोशिश में क्रैश हो गया था. यान के इंजन में तकनीकी समस्या आने के बाद उसका ब्रेकिंग सिस्टम फेल हो गया था. वह चंद्रमा की सतह से करीब 10 किलोमीटर दूर था, तभी पृथ्वी से उसका संपर्क टूट गया और रोवर चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था.

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चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग के अब तक 38 प्रयास हुए, 52% ही सफल चांद को छूने की पहली कोशिश 1958 में अमेरिका और सोवियत संघ रूस ने की थी. अगस्त से दिसंबर 1968 के बीच दोनों देशों ने 4 पायनियर ऑर्बिटर (अमेरिका) और 3 लूना इंपैक्ट (सोवियन यूनियन) भेजे, लेकिन सभी असफल रहे. अब तक चंद्रमा पर दुनिया के सिर्फ 6 देशों या एजेंसियों ने सैटेलाइट यान भेजे हैं, केवल 5 को ही कामयाबी मिली. अभी तक ऐसे 38 प्रयास किए गए, जिनमें से 52% सफल रहे.