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डॉक्टरों ने किया चमत्कार, सूअर के दिल का इंसान में किया ट्रांसप्लांट

मरीज डेविड बेनेट को मानव ट्रांसप्लांट के लिए पूरी तरह अयोग्य घोषित कर दिया गया था. मरीज के दिल का ट्रांसप्लांट करने का निर्णय तब लिया गया जब मरीज का स्वास्थ्य पूरी तरह बिगड़ चुका था.

Updated on: 11 Jan 2022, 01:53 PM

highlights

  • अमेरिकी डॉक्टरों ने एक 57 वर्षीय व्यक्ति में किया यह ट्रांसप्लांट
  • मशीन के सहारे चल रही थी शख्स की धड़कनें
  • ट्रांसप्लांट कर डॉक्टरों ने किया यह ऐतिहासिक कारनामा

न्यूयॉर्क:

Pig Transplant : दुनिया भर में अंग दान करने वालों की भयंकर कमी है. इसके चलते इंसान की जान बचाने के​ लिए जानवरों के दिल, फेफड़े और लीवर का इस्तेमाल कर पाना मेडिकल साइंस के लिए हमेशा से यक्ष प्रश्न रहा है. इसी कड़ी में अमेरिकी सर्जनों ने एक ऐसा ऐतिहासिक कारनामा किया है जिसे सुनकर हर कोई हतप्रभ है. डॉक्टरों ने एक 57 वर्षीय व्यक्ति में जेनेटिकली मॉडिफाइड सूअर का दिल सफलतापूर्वक ट्रांसप्लांट किया है. मैरीलैंड मेडिकल स्कूल विश्वविद्यालय ने सोमवार को एक बयान में कहा कि यह ऐतिहासिक प्रक्रिया शुक्रवार को पूरी की गई. मरीज को भी इस बात का भरोसा नहीं हो रहा है कि उसके दिल में सूअर का दिल ट्रांसप्लांट किया गया है. आने वाले समय में पशु से मानव प्रत्यारोपण के लिए इस्तेमाल किया जाना एक प्रमुख मील का पत्थर साबित हो सकता है.

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मरीज डेविड बेनेट को मानव ट्रांसप्लांट के लिए पूरी तरह अयोग्य घोषित कर दिया गया था. मरीज के दिल का ट्रांसप्लांट करने का निर्णय तब लिया गया जब मरीज का स्वास्थ्य पूरी तरह बिगड़ चुका था. ट्रांसप्लांट के बाद वह अब धीरे-धीरे ठीक हो रहा है और यह निर्धारित करने के लिए सावधानीपूर्वक निगरानी की जा रही है कि नया अंग फिलहाल किस तरह काम कर रहा है.

मशीन के सहारे बिस्तर पर पड़े थे बेनेट

मैरीलैंड निवासी डेविड कहते हैं, 'मेरे पास दो ही विकल्प थे, या तो मरूं या फिर यह ट्रांसप्लांट करवाऊं. मैं जीना चाहता हूं. मैं जानता हूं कि यह अंधेरे में तीर चलाने जैसा है, लेकिन यह मेरी आखिरी पसंद है. पिछले कई महीनों से हार्ट-लंग बाईपास मशीन के सहारे बिस्तर पर पड़े बेनेट ने कहा, 'मैं ठीक होने के बाद बिस्तर से बाहर निकलने के लिए उत्सुक हूं. बता दें कि नए साल के एक दिन पहले अमेरिका के खाद्य व औषधि प्रशासन (US Food and Drug Administration) ने पारंपरिक प्रत्यारोपण न होने की स्थिति में एक आखिरी कोशिश के तौर पर इस इमरजेंसी ट्रांसप्लांट की मंजूरी दी थी. सर्जरी के जरिए सूअर का दिल प्रत्यारोपित करने वाले डॉक्टर बार्टले ग्रिफिथ कहते हैं, ‘यह एक सफल सर्जरी थी. इससे हम अंगों की कमी के संकट को हल करने की ओर एक कदम और बढ़ गए हैं.’

सूअर का दिल ही क्यों?

दूसरे जानवरों की गुर्दे, हृदय और यकृत को इंसानों में प्रत्यारोपित करने की ​कोशिशें वैज्ञानिक 1960 के दशक से कर रहे हैं. लेकिन इससे पहले यह कभी सफल नहीं हुआ. इंसानों में हृदय प्रत्यारोपण के लिए शुरूआत में उनके सबसे करीबी रिश्तेदार, बंदरों और लंगूरों के ​हृदय का इस्तेमाल किए जाने के ​बारे में सोचा गया था. लेकिन इन जानवरों के विकास में एक लंबा समय लगता है और चिंपैंजी जैसे जानवर तो लुप्तप्राय जानवरों की श्रेणी में हैं. इन जानवरों की इंसानों से जेनेटिक तौर पर बेहद करीबी होने से बीमारियों के आपस में फैलने का भी एक बड़ा खतरा हो सकता था. इसलिए सूअरों को एक बेहतर विकल्प के तौर पर चुना गया क्योंकि उनके हृदय का आकार भी लगभग इंसानी दिल की ही तरह होता है. साथ ही उनके साथ रोगों के संक्रमण का खतरा भी कम है. इनका विकास भी कम समय में हो जाता है और ये आसानी से उपलब्ध भी हैं.