इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. शरद अग्रवाल ने डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई है और सरकार से चिकित्सा समुदाय की सुरक्षा के लिए कानून लाने का अनुरोध किया है।
आईएमए प्रमुख द हेल्दी इंडियन प्रोजेक्ट (टीएचआईपी) से बात कर रहे थे।
कुछ साल पहले किए गए एक सर्वे से पता चला है कि 75 प्रतिशत डॉक्टरों ने अपने कार्यस्थलों पर किसी न किसी रूप में हिंसा का अनुभव किया है।
हालांकि भारत में महामारी (संशोधित) अध्यादेश, 2020 ने कोविड का मुकाबला कर रहे स्वास्थ्य कर्मियों को सुरक्षा प्रदान की।
लेकिन डॉ अग्रवाल ने एक प्रासंगिक सवाल उठाया कि केवल राष्ट्रीय स्वास्थ्य संकट के समय ही डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा को अपराध क्यों माना जाना चाहिए।
डॉ अग्रवाल ने कहा, यह समय की मांग है। तनाव और खतरे का सामने कर रहा एक डॉक्टर गंभीर रोगी का कैसे इलाज कर सकता है? लोगों को यह एहसास नहीं है कि यह मुद्दा कितना गंभीर है। इसके बाद कोई भी अच्छा डॉक्टर गंभीर रोगी का इलाज करने के लिए राजी नहीं होगा, क्योंकि वह खतरा महसूस करेगा।
उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करना आईएमए की प्रमुख चुनौतियों में से एक है।
द हेल्दी इंडियन प्रोजेक्ट (टीएचआईपी) को दिए गए इंटरव्यू में उन्होंने भारत में आयुष औषधीय प्रणाली के प्रति आईएमए के रुख पर भी बात की।
टीएचआईपी की अंशिमा गुप्ता से बात करते हुए, डॉ. अग्रवाल ने स्पष्ट किया कि आईएमए भारत में किसी भी दवा प्रणाली के खिलाफ नहीं है और भारतीय चिकित्सा प्रणाली के सभी रूपों के सम्मान पर जोर दिया।
डॉ अग्रवाल ने कहा, हालांकि, हम क्रॉसपैथी के खिलाफ हैं। एक निश्चित क्षेत्र की दवाएं किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा तय नहीं की जानी चाहिए जिसने इसका अध्ययन नहीं किया है।
भारत में डॉक्टरों का प्रतिनिधित्व करने वाली अग्रणी संस्था आईएमए ने आयुष चिकित्सकों को कुछ सर्जिकल प्रक्रियाएं करने या आधुनिक दवाएं लिखने का अधिकार देने की धारणा का लगातार विरोध किया है।
आईएमए प्रमुख ने आगे कहा कि जहां आयुष को लेकर सरकार की मंशा सराहनीय है, वहीं जमीनी स्तर पर इसके क्रियान्वयन में सुधार की जरूरत है।
उन्होंने आगे कहा कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, अपने अनुभव के साथ, आयुष की वर्तमान स्थिति में सुधार के लिए सरकार के साथ सहयोग करने के लिए तैयार है।
टीएचआईपी के शो, हेल्थ डायलॉग्स के लिए अंशिमा गुप्ता द्वारा लिया गया इंटरव्यू हाल ही में प्रकाशित हुआ है।
साक्षात्कार में विभिन्न विषयों को शामिल किया गया, जिसमें स्वास्थ्य संबंधी गलत सूचना, आईएमए की आओ गाँव चलें जैसी पहल और स्वास्थ्य देखभाल की बढ़ती लागत शामिल हैं।
आप पूरा इंटरव्यू
www.thip.media. पर देख सकते हैं।
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Source : IANS