आईआईटी-दिल्ली में साइबर सुरक्षा के लिए एक विशेष चेयर (इकाई) स्थापित की जा रही है। यह चेयर साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में शिक्षण, अनुसंधान एवं विकास में को बढ़ावा देंगी। इसके जरिए साइबर सुरक्षा में उत्कृष्टता भी हासिल की जा सकेगी। इसके लिए आईआईटी दिल्ली के पूर्व छात्र फंड देंगे।
आईआईटी-दिल्ली के 1975 बैच के पूर्व छात्र पूर्व छात्र सुरेश एम शिवदासानी अपने परिजन जीके चंद्रामणि के सम्मान में संस्थान में जीके चंद्रामणि चेयर फॉर साइबर सिक्योरिटी स्थापित की है। सुरेश एम शिवदासानी ही इस चेयर को आर्थिक मदद देंगे। जीके चंद्रामणि शिक्षा मंत्रालय में सचिव थे।
आईआईटी-दिल्ली में स्थापित की जा रही इस चेयर के मुद्दे पर शिवदासानी ने कहा, प्रौद्योगिकी पर हमारी निर्भरता पहले से कहीं अधिक बढ़ गई है। जहां एक और तकनीक पर हमारी निर्भरता बढ़ी है, वहीं साइबर हमले और डाटा चोरी जैसे मामले भी तेजी से सामने आ रहे हैं। इस सब के बावजूद हमारे देश में अभी भी वैश्विक स्तर के मुकाबले साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों की कमी है। आईआईटी दिल्ली की यह चेयर अब इसी कमी को दूर करने का काम करेगी।
आईआईटी-दिल्ली के पूर्व छात्र सुरेश एम शिवदासानी वर्तमान में सोहर इंटरनेशनल यूरिया एंड केमिकल इंडस्ट्रीज के प्रबंध निदेशक हैं।
इससे पहले आईआईटी-दिल्ली के दो पूर्व छात्र रूपम श्रीवास्तव और अजय सिंह ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर आईआईटी-दिल्ली में अपनी-अपनी मां के नाम से विशेष चेयर स्थापित की थी।
यह चेयर आईआईटी दिल्ली में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में अनुसंधान को बढ़ावा देगी। यह कार्यक्रम आईआईटी दिल्ली में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स, क्वांटम कंप्यूटिंग, लाइफ साइंसेज, ब्लॉकचैन और अन्य घातीय प्रौद्योगिकियों से संबंधित अनुप्रयुक्त विज्ञान में क्रांतिकारी विचारों वाले नवप्रवर्तकों और शोधकर्ताओं का समर्थन करता है।
रूपम और अजय ने अपनी माताओं- इंदु श्रीवास्तव और सेरला सिंह के नाम यह चेयर समर्पित की है। इंदु श्रीवास्तव और सेरला सिंह ने भाई-बहनों, पतियों और बच्चों के करियर का समर्थन करने के लिए अपनी शिक्षा और करियर की महत्वाकांक्षाओं का त्याग किया है।
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Source : IANS