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भारत में पहली बार हाइड्रोजन से बिजली बनाने का अविष्कार, जानें कहां हुआ

मेथनॉल से हाइड्रोजन और उससे बिजली का उत्पादन भारत ( India )  में पहली बार आईआईटी बीएचयू ( IIT BHU ) बना रहा है इसका अविष्कार आईयाईटी बीएचयू ( IIT BHU ) के केमिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर और शोध छात्रो ने मिलकर किया है कैसे बन रही है.

Updated on: 15 Mar 2021, 03:32 PM

highlights

  • सस्ती बिजली बनाने में IIT BHU ने सफलता हासिल की
  • बीएचयू में शोधकर्ताओं ने हाइड्रोजन से बिजली बना रहे है
  • इस रिसर्च को लगभग तीन सालों में पूरा किया गया

वाराणसी:

भारत ( India ) में पहली बार मेथनॉल से हाइड्रोजन और उससे बिजली बनाने में आईआईटी बीएचयू ( IIT BHU ) ने सफलता हासिल की है. दरअसल राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन ( NHM ) के अंतर्गत आईआईटी बीएचयू ( IIT BHU ) में शोधकर्ताओं ने हाइड्रोजन से बिजली बना रहे है. यह विकसित प्रोटोटाइप भारत ( India ) में अपनी तरह का पहला होगा और दुनिया भर में ऐसी कोई भी व्यावसायिक इकाइयां उपलब्ध नहीं हैं. 13 लीटर हाइड्रोजन से एक किलोवाट विद्युत के उत्पादन इस समय किया जा रहा है. 

मेथनॉल से हाइड्रोजन और उससे बिजली का उत्पादन भारत ( India )  में पहली बार आईआईटी बीएचयू ( IIT BHU ) बना रहा है इसका अविष्कार आईयाईटी बीएचयू ( IIT BHU ) के केमिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर और शोध छात्रो ने मिलकर किया है कैसे बन रही है.

केमिकल इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी विभाग ने मेथनॉल से अल्ट्रा-शुद्ध हाइड्रोजन उत्पादन के लिए मेंबरेन रिफार्मर तकनीक पर आधारित एक वर्किंग मॉडल विकसित किया है.केमिकल इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर ने बताया की प्रोटोटाइप जीवाश्म ईंधन के उपयोग और कार्बन फुटप्रिंट को काफी कम करेगा.

कॉम्पेक्ट इकाई के चलते इसका उपयोग ऑन-साइट या ऑन-डिमांड अल्ट्रा-शुद्ध हाइड्रोजन उत्पादन के लिए किया जा सकता है. इस तकनीक से मात्र 15 एमएल/प्रति मिनट मेथनाॅल से 13 लीटर/प्रति मिनट 99.999 प्रतिशत शुद्ध हाइड्रोजन अलग किया जा सकता है और इसी प्रोटोटाइप को हाइड्रोजन ईंधन सेल के साथ एकीकृत कर 1 किलोवाॅट बिजली का उत्पादन करने में भी सफलता पा ली है. एक बार स्केल की गई इकाई का उपयोग मोबाइल टावरों को बिजली देने के लिए किया जा सकता है और डीजल-आधारित जनरेटर के स्थान पर बेहतर विकल्प बन सकता है.

इस रिसर्च को लगभग तीन सालों में पूरा किया गया और इसकी इसमें लागत 15 लाख रुपये तक आया है पर जब ये बल्क लेवल पर मैन्युफेक्चर होगा तो इसकी कीमत तीन लाख से भी कम होगी. विकसित प्रोटोटाइप का उपयोग इलेक्ट्रिक वाहन को चार्ज करने के लिए किया जा सकता है. उनकी टीम मोबाइल इलेक्ट्रिक वाहन चार्जर के क्षेत्र में काम कर रही है. जहां विकसित प्रोटोटाइप को मोबाइल वैन में स्थापित किया जा सकता है जिसे बिजली उत्पन्न करने के लिए हाइड्रोजन ईंधन सेल के साथ एकीकृत किया जा सकता है और चार्जिंग के लिए इसका उपयोग किया जा सकता है.

इस मशीन से न केवल यूजर का समय बचेगा बल्कि चार्जिंग स्टेशनों पर कतार भी कम होगी. यह इकाई हाइड्रोजन-आधारित कार के लिए बेहद कारगर साबित हो सकती है. आवश्यक हाइड्रोजन उत्पन्न करने के लिए ऐसी इकाइयों को पेट्रोल पंपों पर स्थापित किया जा सकता है.