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वैज्ञानिकों का दावा: मंगल ग्रह पर बच्चे पैदा करेंगे इंसान! इतने साल तक जीवित रहेगा स्पर्म

मंगल पर जीवन की संभावना को लेकर अभी तक भले ही कुछ स्पष्ट न हो पाया हो, लेकिन कुछ वैज्ञानिकों की ओर से दावा किया गया है कि लाल ग्रह पर इंसान बच्चे जरूर पैदा कर सकता है.

Updated on: 14 Jun 2021, 02:31 PM

highlights

  • वैज्ञानिकों ने मंगल पर जीवन होने को लेकर बड़ा दावा किया है
  • दावा किया गया कि लाल ग्रह पर इंसान बच्चे पैदा कर सकता है
  • मंगल पर इंसान का स्पर्म 200 साल तक सुरक्षित रह सकता है

नई दिल्ली:

अंतरिक्ष और दूसरे ग्रहों के रहस्यों का पता लगाने में जुटे वैज्ञानिकों ने मंगल पर जीवन होने को लेकर बड़ा दावा किया है. वैज्ञानिकों के अनुसार मंगल पर जीवन की संभावना को लेकर अभी तक भले ही कुछ स्पष्ट न हो पाया हो, लेकिन कुछ वैज्ञानिकों की ओर से दावा किया गया है कि लाल ग्रह पर इंसान बच्चे जरूर पैदा कर सकता है. वैज्ञानिकों का कहना है कि मंगल ग्रह पर इंसान का स्पर्म 200 साल से अधिक तक पूरी तरह से सुरक्षित और सक्रिय रह सकता है. इस क्रम में चूहों के स्पर्म को लेकर शोध किया जा चुका है.

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2012 में वैज्ञानिकों ने 66 चूहों के सैंपल्स इकट्ठा किए थे

गौरतलब है कि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर चूहे का स्पर्म 6 साल तक रखा रहने के बावजूद भी पूरी तरह से सक्रिय पाया गया. साइंस अडवांसेज जर्नल की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2012 में वैज्ञानिकों ने 66 चूहों के सैंपल्स इकट्ठा किए थे, जिनको बाद में 30 से ज्यादा ग्लास ऐेंप्यूल्स में रखा गया था. इसके बाद में वैज्ञानिकोंं ने इकठ्ठा किए गए सैंपलों में  से बेेहतर को चुनकर उससे बच्चेे पैदा करने का विचार किया और वो दिन आया 4 अगस्त 2013 को, जब ISS के लिए 3 सैैंपल्स लॉॅन्च किए गए. इसकेे साथ ही तीन सैंंपलों को जापान के सुकूबा मेें रखा गया. ये सैंपल उन्हींं परिस्थितियों में जिनमें कई रेडिएशन शामिल थे. इसके बाद वैैज्ञानिक 19 मर्ई 2014 को पहला बॉक्स धरती पर लेकर आए और सैंपल का गहराई से अध्ययन किया.  

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वैज्ञानिकों ने पाया कि इससे बिल्कुल नॉर्मल बच्चे पैदा हुए

वहीं, दूसरा बॉक्स 11 मई 2016 और तीसरा 3 जून 2019 को धरती पर लाया गया. इसके बाद वैज्ञानिकों ने आरएनए सीक्वेंसिंग के सहायता से इस बात की जांच की कि सैंपल्स में कितनी मात्रा में रेडिएशन पहुंचा है. यह देखकर वैज्ञानिक हैरान रह गए कि ISS ट्रिप से स्पर्म के न्यूक्लियस पर कोई फर्क नहीं पड़ता है. वहीं, धरती पर बॉक्सों को भी जापान के यामानाशी विश्वविद्यालय लाए गए. यातानाशी में स्पर्म को ड्राई-फ्रीज स्पर्म को रीहाइड्रेट और फिर फ्रेस ओवरी सेल्स में भेजा गया. वैज्ञानिकों ने पाया कि इससे बिल्कुल नॉर्मल बच्चे पैदा हुए.