क्विक रेस्पांस(क्यूआर) कोड भारतीय स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं के लिए रेस्तरां, किराने की दुकान व इस तरह की अन्य जगहों पर भुगतान का एक आम विकल्प बन गया है. इसमें पेटीएम का एक खास योगदान रहा है. क्योंकि इस कंपनी ने ही डिजिटल भुगतान की अगुवाई की है. इसने अब प्रौद्योगिकी के विख्यात माध्यम फेसबुक-व्हाट्सएप को भी आकर्षित किया है.
भारतीय कंपनी पेटीएम ने नोटबंदी के दौरान अपने कारोबारी नेटवर्क का विस्तार करने और अपनी टीम को मजबूत करने के लिए 10 हजार एजेंटों को काम पर रखा था. इसमें कंपनी की यही रणनीति थी कि 'पेटीएम करो' जल्द ही डिजिटल भुगतान के लिए एक नारा बन जाए, ताकि वे अधिक से अधिक उपयोगकर्ताओं को अपने साथ जोड़ सकें.
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विभिन्न भुगतानों के लिए पेटीएम क्यूआर कोड की सफलता ने अब अमेरिकी दिग्गज कंपनियों को आकर्षित किया है. मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि गूगल-पे और फोन-पे तेजी से ऑफलाइन भुगतान पर विचार करते हुए पेटीएम के प्रभुत्व वाले बाजार में हिस्सेदारी बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं.
जब से सरकार द्वारा डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहित करने के लिए इस तरह के सभी भुगतानों पर शून्य शुल्क का प्रस्ताव आया है, तब से ऑफलाइन भुगतान पर भी फोकस बढ़ा है. पेटीएम का कहना है कि 2019-20 की पहली तिमाही में पेटीएम क्यूआर के माध्यम से 25 करोड़ रुपये से अधिक के मासिक लेनदेन दर्ज किए गए हैं.
पेटीएम के वरिष्ठ उपाध्यक्ष दीपक एबट ने कहा, 'पेटीएम पहली कंपनी थी, जिसने नो कॉस्ट (बगैर लागत) भुगतान पद्धति की आवश्यकता की पहचान की, जो कि व्यापारियों और ग्राहकों दोनों के लिए सुविधाजनक और सुरक्षित है. हमने 2015 में अपना पेटीएम क्यूआर लॉन्च किया था. इससे ग्राहक आसानी से अपने स्मार्टफोन के साथ स्कैन कर भुगतान करते हैं.'
उन्होंने कहा, 'क्यूआर कोड ने पूरे डिजिटल भुगतान उद्योग में क्रांति ला दी और इसे स्थानीय किराना स्टोर, ऑटो-रिक्शा और फास्ट फूड की दुकानों से लेकर बड़े विख्यात होटल और रेस्तरां तक देशभर में लाखों लोगों ने अपनाया.'
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एबट ने कहा, 'हम यह देखकर गर्व महसूस करते हैं कि इसकी लोकप्रियता ने कई अन्य डिजिटल भुगतान कंपनियों को प्रेरित किया है. यूपीआई ने भी क्यूआर आधारित भुगतान पद्धति को अपनाया है.'
उन्होंने कहा कि पेटीएम भारत में डिजिटल भुगतान के मामले में अग्रणी बना हुआ है. उन्होंने बताया कि ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों भुगतानों में पिछले एक साल में तीन गुना वृद्धि हुई है. उन्होंने कहा, 'कुल 1.2 करोड़ से अधिक व्यापारियों के साथ हम 25 करोड़ रुपये से अधिक मासिक ऑफलाइन लेनदेन दर्ज करते हैं.'