हिमाचल प्रदेश सरकार ने मादक पदार्थो के धंधे पर नकेल कसने के लिए एंटी-ड्रग मोबाइल एप और हेल्पलाइन की शुरुआत की है. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने रविवार को मोबाइल एप लांच किया, जिसे 'ड्रग-फ्री हिमाचल' नाम दिया गया है. साथ ही नशे के लती लोगों के पुनर्वास के लिए टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर 1908 शुरू किया. सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा, 'ड्रग-फ्री हिमाचल' एप के जरिए कोई भी मादक पदार्थ बेचने वालों के खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकता है.' नेशनल क्राइम ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक हिमाचल प्रदेश नशे में तीसरे नंबर पर आ गया है.
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मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार कानून को प्रभावी ढंग से लागू कराना सुनिश्चित कर हिमाचल प्रदेश को मादक पदार्थ मुक्त राज्य बनाने के लिए प्रतिबद्ध है.
ठाकुर ने कहा कि राज्य की मादक पदार्थ रोधी रणनीति का बड़ा हिस्सा भांग-गांजा और अफीम जैसे पौधा-स्रोत पर केंद्रित है. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने राज्य में मादक पदार्थ के स्रोत के तौर पर इस तरह पौधा की खेती के खिलाफ कठोर कदम उठाया है.
नशे की गिरफ्त में क्यों पहुंच रहे युवा
सवाल यह है कि आखिर किस वजह से युवा नशे की तरफ जा रहे हैं. एक वजह तो बेरोजगारी है. हिमाचल प्रदेश के रोजगार कार्यालयों में लगभग 82,88,048 बेरोजगार पंजीकृत हैं. वहीं, उत्तराखंड में 94,582 महिला बेरोजगार और 88,364 पुरुष बेरोजगार पंजीकृत हैं. इतनी संख्या में जब युवा बेरोजगार होंगे तो उनकी हताशा बढ़ेगी और उनका नशे की तरफ आकर्षित होना अतिशोयक्ति नहीं होगी.
इसके साथ माता-पिता बच्चों के लाड़ प्यार के चक्कर में उनकी हर अच्छी बुरी आदत को नजर अंदाज करते हैं. इसकी वजह से बच्चा वो काम करने लगता है जो परिवार को संकट में डाल देता है और अपना जीवन भी बर्बाद कर लेता है.
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नशे के कारोबार में विदेशियों का भी हाथ
नशे के कारोबार में विदेशियों के भी हाथ सामने आ रहे हैं. ड्रग माफिया में अफ्रीकी और नाइजीरियाई तस्करों के शामिल होने के भी सबूत सामने आए हैं. पुलिस ने कुछ विदेशी ड्रग तस्करों को पकड़ा भी है. फिर भी आशा की जा रही है पड़ेसी राज्यों की मदद से नशे के इस कारोबार पर रोक लग सकेगी.
(आईएनएस इनपुट के साथ)