कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को सीधे समाचार पत्रों में विज्ञापन प्रकाशित कर बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) की वेबसाइट पर जानकारी साझा करने का निर्देश दिया है। इसका फायदा यह होगा कि अब लोग उन प्राइवेट अस्पतालों के खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकेंगे, जिन्होंने कोरोना के मरीजों से इलाज के दौरान मनमाना शुल्क लिया था।
मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सोमवार को कोविड प्रबंधनों के संबंध में प्रस्तुत याचिकाओं की जांच की थी। इस जांच में उन निजी अस्पतालों पर की गई कार्रवाई के बारे में जानकारी प्रदान करने को कहा गया है, जिन्होंने सरकारी दिशा-निर्देशों का उल्लंघन कर कोरोना के मरीजों से इलाज के दौरान अधिक शुल्क लिया है।
पीठ ने राज्य सरकार और बीबीएमपी को अगली सुनवाई के दौरान कोविड मरीजों को लौटाए जा रहे अतिरिक्त शुल्क का ब्योरा देने का भी निर्देश दिया।
सरकार के वकील ने कोर्ट में उन अस्पतालों की सूची दी है जिन्होंने कोरोना के मरीजों से उपचार के दौरान अतिरिक्त शुल्क वसूला है। सूची के मुताबिक निजी अस्पतालों ने सरकारी अस्पतालों द्वारा रेफर किए गए 1,98,83,498 रुपये से अधिक जमा किए हैं और अब तक 32,22,352 रुपये मरीजों को लौटाए जा चुके हैं।
उन्होंने निजी अस्पतालों में सीधे भर्ती किए गए कोविड मरीजों के इलाज के लिए 1,55,91,845 रुपये अतिरिक्त शुल्क जमा किया था और उन्होंने मरीजों को 10,42,339 रुपये का भुगतान किया है। इस मामले में शिकायतें प्राप्त करने के लिए स्थापित सुवर्ण आरोग्य सुरक्षा ट्रस्ट हेल्पलाइन ने अब तक 1,325 मामले दर्ज किए हैं, उन्होंने अदालत को सूचित किया।
सरकार ने जनरल वार्ड के लिए 10,000 रुपये, बिना वेंटिलेटर के आईसीयू के लिए 15,000 रुपये, एचडीयू के लिए 12,000 रुपये और वेंटिलेटर सुविधा वाले आईसीयू के लिए 25,000 रुपये तय किए हैं। सरकार ने कहा है कि यदि निजी अस्पताल निर्धारित राशि से अधिक शुल्क लेते हैं और कोविड रोगियों के इलाज से इनकार करने की स्थिति में, उन पर कर्नाटक निजी चिकित्सा प्रतिष्ठान (केपीएमई) अधिनियम और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम (एनडीएमए) के तहत मामला दर्ज किया जाएगा।
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Source : IANS