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चंद्रयान-2 पर ISRO वैज्ञानिकों की नजर (ISRO)
भारत का दूसरा मून मिशन 'चंद्रयान-2' चंद्रमा के और नजदीक पहुंच गया है. अब उसने तीसर कक्षा में प्रवेश कर लिया है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों ने चन्द्रयान -2 पृथ्वी की की तीसरी कक्षा में सफलतापूर्वक पहुंचाया. चन्द्रयान -2 आज (29 जुलाई, 2019) करे भारतीय समयानुसार 15:12 बजे (IST) पर सफलतापूर्वक तीसरी कक्षा में प्रवेश कर गया. यह कक्षा 276 x 71792 किमी है. चौथी कक्षा में यान 2 अगस्त, 2019 को 1400 - 1500 बजे (IST) के बीच प्रवेश करेगा.
22 जुलाई को लॉन्च किए गए चंद्रयान-2 को पहले पेरिजी 170 किमी और एपोजी 45,475 किमी पर स्थापित किया गया था. इसके बाद पहली बार 24 जुलाई को दोपहर 2.52 बजे चंद्रयान-2 की कक्षा में सफलतापूर्वक बदलाव किया गया था. इस वक्त इसकी पेरिजी 230 किमी और एपोजी 45,163 किमी की गई थी. इसरो के मुताबिक, सभी अंतरिक्ष यान पैरामीटर सामान्य हैं. अब तीसरी कक्षा में बदलाव 29 जुलाई को दोपहर 2.30-3.30 बजे के बीच निर्धारित किया गया है.
#Chandrayaan2
— ISRO (@isro) July 29, 2019
Today after performing the third orbit raising maneuver, we are now 3 steps closer to the moon !!!#ISROpic.twitter.com/M8iqxwZgZr
चंद्रमा अंतरिक्ष यान चंद्रयान-2 ने पृथ्वी की कक्षा में 22 जुलाई को प्रवेश किया था. इसके बाद यान 20 अगस्त तक चंद्रमा पर पहुंच जाएगा. चंद्रयान-2 चांद के दक्षिणी ध्रुव तक पहुंचने के लिए 48 दिन की यात्रा करेगा. चंद्रयान-2 ले जाने वाले जीएसएलवी एमके-3 को पहले 15 जुलाई को उड़ान भरनी थी. मगर एक गंभीर तकनीकी गड़बड़ी के कारण उड़ान को 22 जुलाई तक स्थगित कर दिया गया था. जिसके बाद मिशन के कार्यक्रम में भी बदलाव किए गए. 15 जुलाई के उड़ान कार्यक्रम के अनुसार चंद्रयान-2 की पृथ्वी चरण की सीमा 17 दिन थी और नए कार्यक्रम के अनुसार यह 23 दिन है. पहले जहां विक्रम को प्रक्षेपित होने के 54 दिन बाद चंद्रमा पर उतारने की योजना बनाई गई थी, वहीं अब इसकी लैंडिंग 48 दिनों में ही हो जाएगी.
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इसरो के मुताबिक, चंद्रयान-2 मिशन में पृथ्वी के चक्कर लगाने के अलावा कई अलग-अलग गतिविधियां शामिल हैं. इसके तहत 14 अगस्त को अंतरिक्ष यान को चंद्रमा के लिए भेजा जाएगा, जोकि 20 अगस्त तक वहां पहुंच जाएगा. इसके बाद 31 अगस्त तक वह चांद के चारों ओर चक्कर लगाएगा और फिर 1 सितंबर को विक्रम लैंडर ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा. 5 दिन की यात्रा के बाद लैंडर विक्रम 6 सितंबर को चंद्रमा पर उतरेगा.
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