वैज्ञानिकों ने खोजा आकाशगंगा का सबसे पुराना तारा, धरती से 1 लाख प्रकाशवर्ष है दूरी
वैज्ञानिकों ने हमारी आकाशगंगा के सबसे पुराने तारों को खोज निकाला है। तारों के स्थान और गति का निर्धारण करते हुए इन तारों का पता लगाया गया है।
नई दिल्ली:
वैज्ञानिकों ने हमारी आकाशगंगा के सबसे पुराने तारों को खोज निकाला है। तारों के स्थान और गति का निर्धारण करते हुए इन तारों का पता लगाया गया है। द एस्ट्रोनॉमिकल जर्नल में प्रकाशित एक स्टडी में वैज्ञानिकों ने सौर प्रणाली की मदद से हमारी आकाशगंगा के अल्पवयस्क, जवान और बूढ़े तारों का पता लगाया हैं।
गौरतलब है कि अमेरिका की जॉर्जिया स्टेट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने कूल सब-ड्वार्फ्स या 'बूढ़े' तारों पर अपना ध्यान केंद्रित किया। ये तारे सूर्य के मुकाबले ज्यादा उम्र वाले और ठंडे होते हैं।
वैज्ञानिकों का कहना है कि अगस्त के महीने में हुवाई में पैन STARS-1 टेलिस्कोप ने आकाश से गुजरते हुए प्रकाश बिंदु को कैद किया था। शुरुआत में यह एक तेज गति से गुजरने वाले छोटे एस्टेरायड की तरह प्रतीत हुआ था, लेकिन बाद में कई दिनों तक गौर करने पर इसके कक्ष का करीब और सही हिसाब मिल पाया।
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कक्ष के आकलन से खुलासा हुआ कि यह पिण्ड अन्य एस्टेरायड्स और धूमकेतू तारों की तरह सौर मंडल के भीतर से नहीं उभरा है बल्कि तारों के बीच से आया है।
शुरुआत में धूमकेतू के तौर पर इसकी पहचान हुई हालांकि सितंबर में सूर्य के करीब आने पर किए गए अवलोकनों से पता चला कि इसमें धूमकेतू जैसी किसी भी गतिविधि के संकेत नहीं मिलते हैं। इस पिण्ड को फिर से वर्गीकृत करते हुए अन्तर ताराकीय क्षुद्रग्रह की श्रेणी में रखा गया और इसे 'ओउमुआमुआ' नाम दिया गया।
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