कैशलेश पेमेंट में खोया पैसे पाने के लिए भारत में है क़ानूनों की कमी

भारत को कैशलेस बनाने की कवायद में कुछ ऐसे सवाल हैं, जिनसे दो-चार होना ज़रूरी है।

भारत को कैशलेस बनाने की कवायद में कुछ ऐसे सवाल हैं, जिनसे दो-चार होना ज़रूरी है।

author-image
ashish bhardwaj
एडिट
New Update
कैशलेश पेमेंट में खोया पैसे पाने के लिए भारत में है क़ानूनों की कमी

भारत को कैशलेस बनाने की कवायद में कुछ ऐसे सवाल हैं, जिनसे दो-चार होना ज़रूरी है। मसलन, ऑनलाइन ट्रांसैक्शन के दौरान अगर आपका पैसा गुम हो जाता है तो भारत में ऐसे कानूनों की कमी है जो आपका पैसा वापस दिला सके। नोटबंदी के बाद लोग बड़ी संख्या में कैशलेस पेमेंट का का रास्ता चुन रहे हैं। इसकी सिक्योरिटी के क़ानून अब भी इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट के अन्तर्गत आते हैं, जो कैशलेस पेमेंट की बारीकियों को पूरी तरह से नहीं कवर करता है। एक अंग्रेजी अखबार में छपे एक आलेख के मुताबिक़ पेमेंट्स को सुरक्षित बनाने के लिए किसी समर्पित एक्ट की ज़रुरत है, जो अपने देश में नहीं है।

Advertisment

बैंकों की ऑनलाइन सुरक्षा के लिए रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया मानक तय करता है लेकिन डिजिटल वॉलेट नॉन-बैंकिंग फाइनेंसियल की केटेगरी में आते हैं। ये इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट के सेक्शन 43A में आते हैं। अभी इन पर जो ट्रांसैक्शन होते हैं, वो खरीदार और इन डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के बीच की डील होती है। इनके बीच कुछ नियम-क़ानून होते हैं, जिन्हें आसानी से तोड़ा-मरोड़ा जा सकता है। ऐसे भी आये दिन ऑनलाइन फ्रॉड के मामले पढ़ने को मिलते रहते हैं।

साइबर सिक्योरिटी के मामले में भारत एक पिछड़ा हुआ देश है। इसकी एक बानगी बुधवार को देखने को मिली, जब राहुल गांधी जैसे कद के नेता का ट्विटर अकाउंट हैक हो गया। आगे ऐसा भी तो हो ही सकता है कि आपके बैंक डिटेल्स हैक हो जाएँ या आप ऑनलाइन ठगी का शिकार बन बैठें।

हांलांकि इसे दुरुस्त करने की कोशिशों पर भी सरकार का ध्यान गया है। संभव है कि इसमें थोड़ा वक़्त लगे लेकिन हालिया परिस्थिति की मांग है कि इसे जल्द से जल्द किया जाय।नोटबंदी से पहले आप अपने डिजिटल वॉलेट में सिर्फ दस हज़ार रु. रख सकते थे लेकिन अब रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने फैसला लिया है कि यह सीमा बढ़ाकर बीस हज़ार कर दी जाय।

Source : News Nation Bureau

cyber security Cyber Threat
      
Advertisment