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भारत के दुश्‍मनों की कलाई पर बंधी घड़ी का समय भी बता देगा ISRO का ये सैटेलाइट

News Nation Bureau | Edited By : Drigraj Madheshia | Updated on: 24 Jul 2019, 03:48:42 PM
Cartosat-2 से 2 साल पहले ली गई तस्‍वीर (ISRO)

नई दिल्‍ली:  

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने चंद्रयान-2 के बाद ऐसा सैटेलाइट (Satellite) लॉन्‍च करने जा रहा जिससे दुश्‍मनों के होश उड़ जाएंगे. इसरो चीफ डॉ. के. सिवन ने कहा है कि वे इस साल एक और बड़ा मिशन लॉन्च करने वाले हैं. आपको बता दें कि जब यह मिशन (कार्टोसैट-3 (Cartosat-3)) लॉन्च होगा तब इससे देश के दुश्मनों के होश उड़ जाएंगे. सूत्रों के अनुसार सितंबर अंत या अक्टूबर के महीने में कार्टोसैट-3 (Cartosat-3) को लॉन्च किया जा सकता है. कार्टोसैट-3 (Cartosat-3) का कैमरा इतना ताकतवर है कि वह अंतरिक्ष से जमीन पर 1 फीट से भी कम की ऊंचाई तक की तस्वीर ले सकेगा. यानी आप की कलाई पर बंधी घड़ी का समय भी देख लेगा. पाकिस्तान पर हुए सर्जिकल और एयर स्ट्राइक पर कार्टोसैट उपग्रहों की मदद ली गई थी.

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जहां तक इस सैटेलाइट (Satellite) के उपयोग की बात करें तो इसका काम होगा अंतरिक्ष से भारत की जमीन पर नजर रखना. आपदाओं और ढांचागत विकास के लिए मदद के साथ ही यह देश की सीमाओं की निगरानी भी करेगा. यह मिशन देश की सबसे ताकतवर आंख होगी, जिससे पाकिस्तान और उसके आतंकी कैंपों पर नजर रखी जा सकेगी. सीमाओं पर होने वाले घुसपैठ को रोकने और भारत के खिलाफ हर हलचल को नेस्‍तनाबूद करने में भी यह मददगार साबित होगा.

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Cartosat-3 (कार्टोसैट-3 (Cartosat-3)) नाम का यह सैटेलाइट (Satellite) कार्टोसैट सीरीज का नौवां सैटेलाइट (Satellite) होगा. कार्टोसैट-3 (Cartosat-3) का कैमरा इतना ताकतवर है कि वह अंतरिक्ष से जमीन पर 1 फीट से भी कम (9.84 इंच) की ऊंचाई तक की तस्वीर ले सकेगा. यानी आप की कलाई पर बंधी घड़ी में दिख रहे समय की भी सटीक जानकारी देगा.

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संभवतः अभी तक इतनी सटीकता वाला सैटेलाइट (Satellite) कैमरा किसी देश ने लॉन्च नहीं किया है. अमेरिका की निजी स्पेस कंपनी डिजिटल ग्लोब का जियोआई-1 सैटेलाइट (Satellite) 16.14 इंच की ऊंचाई तक की तस्वीरें ले सकता है. वहीं, इसी कंपनी का वर्ल्डव्यू-2 उपग्रह 18.11 इंच की ऊंचाई तक की तस्वीरें ले सकता है. इसे पृथ्वी से 450 किमी ऊपर की कक्षा में स्थापित किया जाएगा.

इन उपग्रहों की होगी लॉन्चिंग

  • जीसैट-1(न्यू): सितंबर 2019
  • रीसैट-2बीआर2: अक्टूबर 2019
  • जीसैट-2: नवंबर 2019
  • रीसैट-1एः नवंबर 2019
  • जीसैट-32: फरवरी 2020

इसरो ने जीसैट सीरीज के अब तक 20 उपग्रह अंतरिक्ष में छोड़ चुकी है. इनमें से 14 काम कर रही हैं. इन उपग्रहों का उपयोग टेलीफोन, टीवी संबंधी संचार के लिए होता है. साथ ही ये मौसम और आपदाओं का पूर्वानुमान भी लगाता है. इनकी मदद से वायु और नौसेना अपने विमानों और जहाजों का नेविगेशन करती है. साथ ही सेनाओं के लिए सुरक्षित संचार की सेवा प्रदान करता है.

First Published : 24 Jul 2019, 03:18:16 PM

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