पृथ्वी से धीरे-धीरे दूर हो रहा चंद्रमा, ऐसा ही रहा तो खत्म हो जाएगी दुनिया
इंसान की पहुंच चांद तक भले ही हो गई है पर यह पृथ्वी से दूर होता जा रहा है. शायद यही वजह है कि इधर कई सालों से भूकंप की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं.
नई दिल्ली:
इंसान की पहुंच चांद तक भले ही हो गई है पर यह पृथ्वी से दूर होता जा रहा है. पृथ्वी अपनी धुरी पर 1,670 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से घूम रही है. एक अध्ययन के मुताबिक, पृथ्वी के अपनी धुरी पर घूमने की रफ्तार धीमी हो रही है, जिससे चंद्रमा इससे धीरे-धीरे दूर होता जा रहा है. नासा (NASA)के वैज्ञानिकों का मानना है कि यह घटना बड़े भूकंपों की वजह बन सकती है. शायद यही वजह है कि इधर कई सालों से भूकंप की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं. बता दें दुनिया का सबसे खतरनाक भूकंप चीन में 1556 में आया था. इसमें करीब 8.30 लाख लोगों की मौत हुई थी. जबकि इससे भी ज्यादा लोग घायल हुए थे. भूकंप चीन के सांक्सी प्रांत में आया था.
नासा (NASA)के जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी के सोलर सिस्टम के एम्बेस्डर मैथ्यू फुन्के ने कहा है कि चंद्रमा का गुरु त्वाकर्षण पृथ्वी पर एक ज्वारीय उभार बनाता है. यह उभार भी धरती की घूर्णन गति से घूमने का प्रयास करता है. नतीजतन धरती की अपनी धुरी पर घूमने की रफ्तार सुस्त पड़ जाती है. वैज्ञानिकों का मानना है कि धरती की घूर्णन गति सुस्त पड़ने से भूकंपीय घटनाएं बढ़ जाती है.
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अध्ययन के मुताबिक, चंद्रमा हर साल लगभग डेढ़ इंच आगे बढ़ रहा है. इससे धरती पर भविष्य में बड़े भूकंप आ सकते हैं. इस पर मोंटाना यूनिवर्सिटी (University of Montana) के रेबेक्का बेंडिक (Rebecca Bendick) और कोलोराडो यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक रोजर बिल्हम ने अपने अध्ययन में पाया कि सन् 1900 के बाद से 7 से अधिक की तीव्रता वाले भूकंपों में इजाफा हुआ है.
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20वीं सदी के अंतिम 5 वर्षों में जब धरती की घूर्णन गति में थोड़ी कमी देखी गई तब 7 से अधिक के तीव्रता के भूकंपों की संख्या अधिक थी. वैज्ञानिकों ने इस दौरान हर साल 25 से 30 तेज भूकंप दर्ज किए, इनमें औसतन 15 बड़े भूकंप थे.
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वैज्ञानिकों की मानें तो बीते कुछ दशकों में पृथ्वी का चुंबकीय उत्तरी ध्रुव इतनी तेजी से खिसका है कि पूर्व में लगाए गए अनुमान अब जलमार्ग के लिए सही नहीं बैठ रहे हैं. इससे जलमार्ग के जरिए यातायात में समस्याएं आ रही हैं. कॉलाराडो यूनिवर्सिटी के भूभौतिक विज्ञानी एवं नए वर्ल्ड मैगनेटिक मॉडल के प्रमुख शोधकर्ता अर्नोड चुलियट ने बताया कि इस बदलाव की वजह से स्मार्टफोन और उपभोक्ता के इस्तेमाल वाले कुछ इलेक्ट्रॉनिक्स कंपासों में समस्या आ रही है.
...तो खत्म हो जाएगी धरती से इंसानों की आबादी
इससे पहले लंदन के वैज्ञानिक माइकल स्टीवंस ने अपने अध्ययन में पाया था कि धरती यदि एकाएक घूमना बंद का वातावरण गतिमान बना रहेगा. हवा 1,670 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से चलेगी. यह तूफानी हवा रास्ते में आने वाली हर चीज को ध्वस्त करती चली जाएगी. मनुष्य किसी बंदूक की गोली की रफ्तार से एक दूसरे से टकराएंगे.
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इसके साथ ही पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र समाप्त हो जाएगा. समुद्रों का पानी एकाएक उछलने से बाढ़ की स्थिति होगी. पृथ्वी पर आधे साल दिन रहेगा और आधे साल रात रहेगी. इससे धरती पर इंसानों की आबादी खत्म हो जाएगी. हालांकि, नासा (NASA)वैज्ञानिकों की मानें तो कई अरब साल तक ऐसी घटना होने की कोई आशंका नहीं है.
भूकंप की कुछ बड़ी घटनाएं
- दुनिया का सबसे खतरनाक भूकंप चीन में 1556 में आया था. इसमें करीब 8.30 लाख लोगों की मौत हुई थी. जबकि इससे भी ज्यादा लोग घायल हुए थे. भूकंप चीन के सांक्सी प्रांत में आया था.
- 1 सितंबर 1923 को जापान के टोक्यो में आया भूकंप भी काफी विनाशकारी था. भूकंप के कारण करीब 1 लाख 43 हजार लोगों की जान चली गयी थी
- 1934 में नेपाल और उत्तरी बिहार में 8.0 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसमें 10 हजार 6 सौ जानें गई थीं.
- 22 मई 1960 को चिली में रिक्टर स्केल पर 9.5 तीव्रता वाले भूकंप के कारण सुनामी आई. जिसे दक्षिणी चिली, हवाई द्वीप, जापान, फिलीपींस, पूर्वी न्यूजीलैंड, दक्षिण-पूर्व ऑस्ट्रेलिया समेत कई और देशों में भयानक तबाही मची.
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- 28 जुलाई 1976 को चीन के तांगशान शहर में आया भूकंप भी काफी विनाशकारी था. 7.8 तीव्रता वाले भूकंप की वजह से चीन का तांगशान शहर पूरी तरह बरबाद हो गया. भूकंप के कारण 5 लाख से अधिक लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था.
- 2001 में गुजरात में आया भूकंप तो आपको याद ही होगा, जिसमें 20 हजार लोगों की मौत हो गई थी
- 26 दिसंबर 2004 को 9.1 तीव्रता भूकंप के बाद आई सुनामी में लगभग 2 लाख 30 हजार लोगों की मौत हो गई थी.
- 25 अप्रैल 2015 को नेपाल में 7.8 तीव्रता का भूकंप आया था. इस विनाशकारी भूकंप के कारण 9 हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे, और 23 हजार से ज्यादा लोग घायल हुए थे.
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