ड्रोन (Drone) भारत में धीरे-धीरे अपनी जगह बनाते जा रहे हैं. एक समय था जब किसी उड़ते हुए ड्रोन (Drone) को देख कर लोग सोच में पड़ जाते थे. लेकिन आज ट्रेफिक कंट्रोल, सुरक्षा मामलों, और आपदा राहत से लेकर स्मार्ट सिटी तक को बनाने के लिए ड्रोन का उपयोग आम है. लेकिन ड्रोन के बढ़ते इस उपयोग से इससे होने वाले खतरों पर भारतीय विमानन मंत्रलाय (DGCA) का ध्यान गया है. सबसे पहले तो बात करते हैं उन लोगों की जो ड्रोन खरीदना चाहते हैं. उन्हें यह जानना जरूरी है कि किसी गलत जगह ड्रोन उड़ाना उन्हें जेल की सेर भी करवा सकता है. नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (नागरिक उड्डयन महानिदेशालय) द्वारा ड्रोन उड़ाने और इस्तेमाल करने वालों के लिए कुछ गाइडलाइन्स दी गई हैं.
क्या हैं आम नियम
अगर आप भारत में ड्रोन उड़ाना चाहते हैं तो सिर्फ कुछ जगह ही आप ऐसा कर सकते हैं और ये तभी मुमकिन है जब आप इन सभी नियमों का पालन करेंगे
1.देश में रिहायशी इलाकों में बिना परमीशन ड्रोन नहीं उड़ाया जा सकता.
2. एयरपोर्ट या हैलिपैड के 5 किलोमीटर के आस-पास ड्रोन नहीं उड़ाया जा सकता.
3. दिन के समय और अच्छे मौसम में ही ड्रोन उड़ाया जाए.
4. सेंसिटिव जोन या हाईप्रोफाइल सिक्योरिटी वाले इलाके में ड्रोन न उड़ाया जाए.
5. सरकारी ऑफिस, मिलिट्री स्पॉट आदि में ड्रोन वर्जित हैं.
6. ड्रोन उड़ाने वाला कम से कम 18 साल या उससे ऊपर का होना चाहिए.
7. सभी ड्रोन एक लाइसेंस प्लेट के साथ उड़ाए जाएं जिनमें ऑपरेटर का नाम और उन्हें कैसे कॉन्टैक्ट करना हो ये लिखा हो.
8. अपने ड्रोन को उसी सीमा तक उड़ाएं जहां तक देखा जा सके.
9. एक से अधिक अनमैन्ड ऑटोमैटिक वेहिकल (UAV) या ड्रोन एक बार में न उड़ाए जाएं.
10. किसी भी इंटरनेशनल बॉर्डर से 50 किलोमीटर के अंदर ड्रोन न उड़ाया जाए.
11. समुद्र से 500 मीटर दूर ही ड्रोन उड़ाया जाए.
12. विजय चौक, दिल्ली से 5 किलोमीटर के अंदर ड्रोन न उड़ाया जाए.
13. नैशनल पार्क, पब्लिक स्पॉट, वाइल्डलाइफ सेंचुरी आदि में ड्रोन न उड़ाया जाए.
14. सभी ड्रोन्स का लायबिलिटी इंश्योरेंस होना चाहिए.
ड्रोन्स को कुल पांच कैटिगरी में बांटा गया है
1. नैनो : 250 ग्राम से कम या बराबर
2. माइक्रो: 250 ग्राम से 2 किलोग्राम के बीच
3. स्माल: 2 किलोग्राम से 25 किलोग्राम के बीच
4. मीडियम: 25 किलोग्राम से 150 किलोग्राम के बीच
5. लार्ज : 150 किलोग्राम से ज्यादा
क्यों भारत में ड्रोन्स पैदा कर सकते हैं मुश्किलें
इसके बहुत ही आसान से उदाहरण हैं.
1.देश में बढ़ते ड्रोन के इस्तेमाल से भारत सरकार को लगता है कि ड्रोन्स आतंकी गतिविधियों में बहुत आसानी से इस्तेमाल किए जा सकते हैं और ये बिलकुल सही बात है.
2. भारत जैसे देश में जहां लोग बहुत ज्यादा हैं और जगह बहुत कम वहां लोगों की प्राइवेसी ड्रोन से खतरे में पड़ सकती है. उड़ने वाले कैमरे का बहुत गलत इस्तेमाल हो सकता है और जब तक सरकार इसके ठोस नियम और नियमों का उलंघन करने वाले के लिए सज़ा नहीं तय कर देती इसका आम लोगों के लिए इस्तेमाल थोड़ा खतरनाक साबित हो सकता है.
3. नो फ्लाइंग जोन का कारण भी कुछ ऐसा ही है. कईं एयरपोर्ट, किसी रिहायशी इलाके आदि के पास अगर ड्रोन उड़ते हैं तो प्राइवेसी के साथ-साथ सुरक्षा को भी खतरा हो सकता है.
क्या है DGCA की ड्रोन पॉलिसी
भारतीय विमानन मंत्रलाय ने 27 अगस्त 2018 को ड्रोन पॉलिसी जारी की थी. इस नीति में सरकार ने “लाइन ऑफ साइट” ड्रोन को मंजूरी दी है. ड्रोन तकनीकी के वाणिज्यिक उपयोग की मंजूरी 1 दिसम्बर 2018 से दी जाएगी. हालांकि यह मंजूरी सिर्फ “विजुअल लाइन ऑफ साइट” (जहां तक नजर देख सके) के लिए दी जाएगी.
ड्रोन उड़ाने से पहले लेनी होगी अनुमति
ड्रोन जिनका वजन 250 ग्राम से 2 किलो के बीच होता है और कैमरा लगा हुआ है उन्हें उड़ाने के लिए पुलिस की परमीशन की जरूरत होती है और जिनका वजन 2 किलो से ज्यादा होता है या फिर जो 200 फिट से ज्यादा ऊंचाई पर उड़ाए जा सकते हैं उन्हें लाइसेंस, फ्लाइट प्लान के साथ-साथ पुलिस परमीशन और कई मामलों में DGCA की परमीशन भी लेनी होगी. वहीं 25 किलो से ऊपर वाले ड्रोन बिना DGCA की अनुमति के उड़ाए ही नहीं जा सकते.
भारत मानवरहित विमान यानी ड्रोन का एक बड़ा बाजार बनने के लिए तैयार है. वहीं केंद्रीय विमानन मंत्री सुरेश प्रभु का कहना है कि हमारे प्रगतिशील नियम ड्रोन उद्योग में "मेड इन इंडिया" मुहिम को प्रोत्साहित करेंगे और उम्मीद है कि ड्रोन का बाजार बहुत जल्दी ही एक खरब डॉलर तक पहुंच जायेगा. इस क्षेत्र में जो स्टार्टअप कम्पनियां बाजार से पूंजी की आस लगाये बैठी थीं, उनके अब बहुत जल्दी ही “अच्छे दिन” आने वाले हैं.
Source : News Nation Bureau