लखनऊ की डॉक्टर फेफड़े के प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा में जीवन की जंग हार गई हैं। उन्हें जुलाई में हैदराबाद ले जाया गया था।
राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान (आरएमएलआईएमएस) की 31 वर्षीय रेजिडेंट डॉक्टर शारदा सुमन रविवार रात हैदराबाद के केआईएमएस अस्पताल में फेफड़े के प्रत्यारोपण के इंतजार में जिंदगी की जंग हार गईं।
इस साल अप्रैल में कोरोना पॉजिटिव होने के बाद उनके फेफड़े बुरी तरह प्रभावित हो गए थे। जब वह वायरस से संक्रमित हुई तो वह कोविड ड्यूटी पर थी।
डॉ सुमन ने वेंटिलेटर सपोर्ट पर आपातकालीन सीजेरियन सर्जरी के माध्यम से बच्चे को जन्म दिया था।
उनके परिवार में उनके पति और पांच माह की एक बच्ची है।
आरएमएलआईएमएस के एनेस्थीसिया विभाग के प्रमुख प्रो. पी के दास ने कहा कि हमें केआईएमएस अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा सूचित किया गया है कि 5 सितंबर की रात को डॉ शारदा सुमन का निधन हो गया।
शारदा को 11 जुलाई को केआईएमएस अस्पताल में एयरलिफ्ट किया गया था और तब से वे फेफड़े के प्रत्यारोपण का इंतजार कर रही थी।
यद्यपि प्रत्यारोपण के लिए आवश्यक सभी परीक्षण सफलतापूर्वक किए गए थे, लेकिन जीवन रक्षक सर्जरी नहीं की जा सकी क्योंकि उनकी श्वासनली और भोजन नली में एक जटिलता, ट्रेकिओसोफेगल फिस्टुला (टीईएफ) विकसित हो गई थी।
उनके पति डॉ अजय कुमार ने बताया था कि इसमें मुंह से लिए गए किसी भी तरल पदार्थ या भोजन के सीधे फेफड़ों में जाने का खतरा होता है। ऐसी स्थिति में, फेफड़े का प्रत्यारोपण नहीं किया जा सकता है। हालांकि, जब आरएमएलआईएमएस में उनका इलाज चल रहा था, तब स्थिति विकसित होने लगी थी, लेकिन हैदराबाद पहुंचने के बाद यह समय के साथ बढ़ गई।
डॉ कुमार और आरएमएलआईएमएस के वरिष्ठ अधिकारियों ने डॉ सुमन के इलाज के लिए वित्तीय मदद लेने के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी और मुख्यमंत्री ने प्रत्यारोपण के लिए 1.5 करोड़ रुपये मंजूर किए थे।
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Source : IANS