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कुत्तों का स्पेस मिशन
Space Mission of Dogs: वैसे तो कुत्ता इंसान का सबसे बड़ा वफादार साथी होता है लेकिन शायद ही आपको पता होगा कि आज अंतरिक्ष (Space) के बारे में हम जो भी जानते हैं वो केवल कुत्तों और जानवरों की वजह से ही जानते हैं. दरअसल सोवियत संघ (Soviet Union) ने अंतरिक्ष के बारे में जानकारी इकट्ठा करने और अंतरिक्ष मानव के लिए सेफ है या नहीं उसकी जानकारी के लिए कुछ जानवरों को एक स्पेस क्राफ्ट के जरिए अंतरिक्ष में भेजा.
आज हम जो भी अंतरिक्ष के बारे में जानते हैं वो इन्हीं जानवरों के बलिदान (Sacrifice) के कारण हुआ. तो आइये आज आपको ले चलते हैं एक अलग ही दुनिया में, अंतरिक्ष के उस सफर पर जहां अब तक इंसान नहीं गया था.
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ये कहानी 60 के दशक की है. दूसरा विश्व युद्ध खत्म हो चुका था और दुनिया में दो बड़ी शक्तियां अपना वर्चस्व कायम करना चाहती थीं. बता दें कि अमेरिका ने पहली ही एटम बम बना लिया था लेकिन अब तक सोवियत के पास ऐसा कुछ भी नहीं था. एक तरफ सोवियत संघ (Soviet Union) था तो दूसरी तरफ था अमेरिका. उन दिनों अमेरिका और रूस में धरती के साथ अंतरिक्ष में भी अपना दबदबा बनाने की जंग जारी थी.
3 नवंबर 1957 को सोवियत संघ ने स्पुतनिक 2 (Sputnik 2) स्पेसक्राफ्ट अंतरिक्ष में भेजा. इस स्पेसक्राफ्ट की खास बात यह थी कि पहली बार इसमें किसी कुत्ते को बिठाकर भेजा जा रहा था. जी हां आपने सही सुना. Sputnik 2 में जिस कुत्ते को भेजा जा रहा था उसका नाम था - लाइका (Laika). हालांकि वैज्ञानिकों को पता था कि वो लाइका को आखिरी बार देख रहे थे क्योंकि वे जानते थे कि ये उड़ान One Way थी. फिर भी लाइका को लेकर स्पुतनिक 2 ने उड़ान भरी और सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में पहुंचा.
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बीबीसी में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक 2002 में पता चला कि लाइका की मौत अंतरिक्ष में पहुंचने के सात घंटे बाद ही दम घुटने या सफोकेशन से हो गई थी. फिर भी इस उड़ान को सोवियत संघ सफल मान रहा था. इसके बाद तो लाइका पूरी दुनिया में फेमस हो गया और एक हीरो बन गया. स्पूतनिक 2 की कामयाबी के बाद अमेरिका को टेंशन होने लगी क्योंकि अब तक अमेरिका समझ चुका था कि सोवियत संघ कभी भी परमाणु हथियार विकसित कर अमेरिका पर निशाना लगा सकता है.
इसके बाद भी सोवियत संघ ने कुत्तों को अंतरिक्ष में भेजना जारी रखा. सोवियत संघ इस काम के लिए सड़कों पर घूमने वाले आवारा कुत्तों को पकड़ता था और उनको ट्रेंड करता था. इसके बाद ही वो इन कुत्तों को अंतरिक्ष में भेजता था. लाइका के बाद जो भी कुत्ता अंतरिक्ष भेजा गया वो वापस लौटकर आ जाता था क्योंकि अब तक सोवियत संघ ने ये सीख लिया था कि कैसे अंतरिक्ष में भेजे यान वापस पृथ्वी पर आ सकते हैं. वहीं दूसरी तरफ अमेरिका अपने स्पेस मिशन में बंदर और चिंपैंजी का इस्तेमाल करता था.
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19 अगस्त 1960 को स्पूतनिक 2 के बाद लाइका के बाद बेल्का और स्ट्रेइका नाम के दो कुत्ते, दो चूहे, एक खरगोश और कुछ मधुमख्खियो को स्पेससूट में अंतरिक्ष में भेजा गया. दो कुत्तों को अंतरिक्ष में भेजने का लॉजिक ये था कि दो अलग-अलग जानवरों से मिले आंकड़ों की तुलना करने में मदद मिलती थी.
बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, आंकड़े बताते हैं कि कक्षा में पहुंचने के बाद दोनों शांत बैठे थे. लेकिन चौथे चक्कर के दौरान बेल्का को उल्टी आने लगी, इस शोर की वजह से स्ट्रेइका भी चौकन्ना हो गया. हालांकि अंतरिक्षयान के अंदर रिकॉर्ड किए गए वीडियो में दोनों ही कुत्ते ज़्यादा तनाव में नहीं दिखाई दिए. हालांकि इन कुत्तों को छोड़कर बाकी जानवरों का क्या हुआ ये पता नहीं चला.
ये दोनों कुत्ते पृथ्वी के 17 चक्कर लगाने के बाद वापस आ गए और पूरी दुनिया में फेमस हो गए. ये इतने मशहूर हुए कि एक टीवी शो में भी इनको देखा गया, साथ ही साथ दूसरे देशों में भी इनके नाम पर डाक टिकट और पोस्टर छापे गए.
HIGHLIGHTS
- Space में जा चुके हैं ये खास जानवर.
- कुत्तों को स्पेस में भेजने का काम सोवियत यूनियन करता था.
- लाइका नाम का पहला कुत्ता भेजा गया था अंतरिक्ष में.
Source : News Nation Bureau