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क्या मंगल ग्रह पर भी होता है भूस्खलन, ESA द्वारा जारी तस्वीरों का क्या है रहस्य

भूस्खलन में जहां से मटीरियल ढहा है, उसे समझने की कोशिश की गई है. इस मलबे का निकलना और फिर डिपॉजिट होने वाला इलाका दिखाई दे रहा है.

Updated on: 02 Sep 2021, 03:43 PM

highlights

  • धरती की तरह मंगल ग्रह पर भी होता है भूस्खलन
  • यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने मंगल पर भूस्खलन की तस्वीरें शेयर की
  • TGO करीब पांच साल पहले 2016 मंगल को ऑब्जर्व करने पहुंचा था

 

नई दिल्ली:

मंगल पर दुनिया भर के वैज्ञानिकों की दिलचस्पी रही है. इसका एक कारण यह है कि यह कई मायनों में धरती की तरह का ग्रह है. इस ग्रह पर जीवन की संभावनाओं के साथ धरती पर घटित होने वाली आपदाएं भी देखीं गयीं. कुछ दिन पहले मंगल पर आने वाले भूकंप की खूब चर्चा हुई थी. अब नए घटनक्रम में  यूरोपियन स्पेस एजेंसी ESA ने मंगल पर भूस्खलन की तस्वीरें शेयर की हैं. ये तस्वीरें ExoMars Trace Gas Orbiter ने 13 अप्रैल को ली थीं. इनमें 5 किमी लंबा भूस्खलन देखा जा सकता है.

यह भूस्खलन मंगल पर 35 किमी चौड़े क्रेटर में देखा गया था. ESA ने  बताया है कि पर्यावरण के कुछ खास हालात बनने पर जमीन में होने वाले बदलाव के कारण भूस्खलन होते हैं. धरती की तरह मंगल पर भी ये छोटे और बड़े हो सकते हैं या कोई भी आकार ले सकते हैं. धरती पर खास जगहों पर इन्हें स्टडी किया जाता है ताकि मंगल जैसी दूसरी जगहों पर इन्हें समझा जा सके.

भूस्खलन में जहां से मटीरियल ढहा है, उसे समझने की कोशिश की गई है. इस मलबे का निकलना और फिर डिपॉजिट होने वाला इलाका दिखाई दे रहा है. इसके कारण बने रास्ते और ढेर भी देखे जा सकते हैं. ESA ने बताया है कि लोब पर दिख रहे इंपैक्ट क्रेटर से पता चलता है कि यह भूस्खलन हाल ही में नहीं हुआ है लेकिन यह पता लगाना अपने आप में एक बड़ी चुनौती है कि यह कब हुआ था.

TGO करीब पांच साल पहले 2016 मंगल को ऑब्जर्व करने पहुंचा था और दो साल बाद साल 2018 में उसने अपना पूरा साइंस मिशन शुरू किया था. यह स्पेसक्राफ्ट लाल ग्रह की तस्वीरें भी लेता है और इसके साथ-साथ इसके वायुमंडल में मौजूद गैसों को भी देखता है. मंगल की सतह को मैप करता है और सतह पर पानी से भरी जगहों को भी खोजता है. इसकी मदद से और ज्यादा डेटा की उम्मीद की जा रही है जिसका अगले मिशन में इस्तेमाल हो सके.

हमारा ब्रह्मांड बहुत विशाल है. ब्रह्मांड के एक ग्रह की तुलना में धरती सिर्फ एक बिंदु के बराबर है. अभी तक वैज्ञानिक धरती के ही समस्त रहस्य का पता नहीं लगा पाये हैं. समस्त ब्रह्मांड या किसी एक ग्रह के बारे में सारी जानकारी इकट्ठा करना वैज्ञानिकों के सामने अभी भी चुनौती है.