अत्यधिक संक्रामक डेल्टा वैरिएंट दक्षिण अफ्रीका में प्रभावी वैरिएंट और तीसरी लहर का मुख्य कारण बना रहा, क्योंकि हाल ही में खोजा गया सी.1.2 वैरिएंट वहां बहुत निम्न स्तर पर मौजूद है। इसकी जानकारी वैज्ञानिकों ने दी।
सिन्हुआ समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर कम्युनिकेबल डिजीज (एनआईसीडी) के प्रधान चिकित्सा वैज्ञानिक डॉ जिनाल भीमन ने सोमवार रात एक नए सम्मेलन में कहा, डेल्टा वैरिएंट अभी भी सबसे प्रमुख वैरिएंट है, जिसमें नए वैरिएंट सी.1.2 का कम आवृत्ति पर पता लगाया जा रहा है।
नया सी.1.2 वैरिएंट मई में खोजा गया था और सभी 9 प्रांतों में 3 प्रतिशत से कम आवृत्ति पर पाया गया है। हालांकि वैज्ञानिकों ने कहा कि विभिन्न प्रयोगशालाओं में अभी भी इसका मूल्यांकन किया जा रहा है।
भीमन ने कहा, यह आवृत्ति में बढ़ रहा है लेकिन यह आवृत्ति में कम रहता है।
एनआईसीडी के कार्यवाहक कार्यकारी निदेशक प्रो एड्रियन प्यूरेन ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका में शुरू किए जा रहे टीके लोगों को इस वैरिएंट से बचाएंगे, हालांकि अभी और शोध किए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा, इरादा कोई दहशत पैदा करने का नहीं है। हमारे टीके गंभीर बीमारियों और मौतों को रोकने के मामले में शक्तिशाली और प्रभावी हैं।
वैज्ञानिकों ने कहा कि नए वैरिएंट को केवल तभी वर्गीकृत किया जा सकता है जब इसे रुचि के एक प्रकार का नाम दिया गया हो।
डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.
Source : IANS