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क्रायोजेनिक इंजन के विफल होने से भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को लगा बड़ा झटका

रॉकेट के साथ, 2,268 किलोग्राम जीआईसीएटी-1/ईओएस-03 संचार उपग्रह भी स्थापित नहीं हो सका. दोनों की कीमत कई सौ करोड़ रुपये से अधिक है.

Updated on: 13 Aug 2021, 08:51 AM

highlights

  • रॉकेट के साथ, 2,268 किलोग्राम जीआईसीएटी-1/ईओएस-03 संचार उपग्रह भी स्थापित नहीं हो सका
  • जीएसएलवी-एफ10 लॉन्च 12 अगस्त को 5 बजकर 43 मिनट पर निर्धारित समय के अनुसार लॉन्च हुआ

नई दिल्ली :

भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को गुरुवार को उस समय झटका लगा, जब उसका जीएसएलवी-एफ10 (GSLV-F10) रॉकेट, जियो-इमेजिंग सैटेलाइट-1 (जीआईएसएटी-1) को कक्षा में स्थापित करने के अपने मिशन से चूक गया. भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि मिशन को पूरा करने के लिए रॉकेट का क्रायोजेनिक इंजन फायर-अप नहीं हुआ. रॉकेट के साथ, 2,268 किलोग्राम जीआईसीएटी-1/ईओएस-03 संचार उपग्रह भी स्थापित नहीं हो सका. दोनों की कीमत कई सौ करोड़ रुपये से अधिक है. मिशन की विफलता की घोषणा करते हुए, इसरो के अध्यक्ष के. सिवन ने कहा, क्रायोजेनिक चरण में तकनीकी विसंगति के कारण मिशन पूरा नहीं किया जा सका.

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भारतीय समयनुसार 5 बजकर 43 मिनट पर निर्धारित समय के अनुसार लॉन्च हुआ था जीएसएलवी-एफ10 
बाद में इसरो ने एक बयान में कहा, जीएसएलवी-एफ10 लॉन्च 12 अगस्त, 2021 को भारतीय समयनुसार 5 बजकर 43 मिनट पर निर्धारित समय के अनुसार लॉन्च हुआ. पहले और दूसरे चरण का प्रदर्शन सामान्य था. हालांकि, तकनीकी विसंगति के कारण क्रायोजेनिक का अपर स्टेज इग्निशन नहीं हुआ. उद्देश्य के अनुसार मिशन पूरा नहीं किया जा सका. क्रायोजेनिक इंजन के नन-फायरिंग के कारण को इसरो द्वारा जांचना होगा, क्या एक दोषपूर्ण घटक इसका कारण था. विडंबना यह है कि यह असफलता भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र के जनक विक्रम साराभाई की जयंती पर हुई है. रॉकेट के उड़ान भरने के महज पांच मिनट बाद ही यहां अंतरिक्ष केंद्र पर स्थित मिशन नियंत्रण तनावग्रस्त हो गया था.

रॉकेट को टेलीमेट्री स्क्रीन पर अपने प्लॉट किए गए पथ से दूर घूमते हुए देखा गया था और रॉकेट से कोई डेटा नहीं आ रहा था. इसरो के अधिकारियों में से एक ने घोषणा की कि क्रायोजेनिक इंजन में एक प्रदर्शन विसंगति थी. तब अधिकारियों को एहसास हुआ कि मिशन विफल हो गया है और सिवन ने इसकी घोषणा की.

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन- इसरो (ISRO) गुरुवार सुबह 5.45 पर सैटेलाइट EOS-3 लॉन्च की. इसकी लांचिंग तो सही रही लेकिन इसके बाद क्रायोजेनिक इंजन (Cryogenic) के आंकड़े मिलने बंद हो गए. इससे सभी वैज्ञानिक चिंता में पड़ गए. इसरो ने सैटेलाइट को सफलतापूर्वक लांच किया. सारे स्टेज अपने तय समय अलग होते चले गए. पूरी यात्रा 18.39 मिनट की थी. लेकिन आखिरी में EOS-3 के अलग होने से पहले क्रायोजेनिक इंजन में कुछ खराबी आई, जिसकी वजह से इसरो को आंकड़ें मिलने बंद हो गए. लाइव प्रसारण में साफ दिखाई दे रहा था कि इस दौरान वैज्ञानिक परेशान हो रहे थे. थोड़ी देर जांच करने के बाद मिशन कंट्रोल सेंटर में बैठे इसरो चीफ डॉ. के. सिवन को इसकी जानकारी दी गई. उसके बाद घोषणा की गई कि EOS-3 मिशन आंशिक रूप से विफल हो गया है. लाइव प्रसारण को भी बंद कर दिया गया.

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बता दें कि भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को गुरुवार को एक गंभीर झटका लगा है. जीएसएलवी-एफ10 रॉकेट जियो-इमेजिंग सैटेलाइट-1 (जीआईएसएटी-1) को कक्षा में स्थापित करने के अपने मिशन में विफल हो गया. इसी के साथ 2,268 किलोग्राम का जीआईएसएटी-1/ईओएस-03 संचार उपग्रह कक्षा में स्थापित नहीं हो पाया. मिशन की विफलता की घोषणा करते हुए, इसरो के अध्यक्ष के. सिवन ने कहा, "क्रायोजेनिक चरण में देखी गई तकनीकी विसंगति के कारण मिशन पूरी तरह से पूरा नहीं किया जा सका है. 57.10 मीटर लंबा, 416 टन का जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (जीएसएलवी-एफ10) का दूसरे लॉन्च पैड से सुबह 5.43 बजे प्रक्षेपण हुआ था.