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गर्म लावा के बजाए निकल रहा ठंडा मैग्मा, जानिए कहां है ज्वालामुखी

पृथ्वी के अलावा अंतरिक्ष में भी ज्वालामुखी के होने का प्रमाण मिला है.पृथ्वी के ज्वालामुखी तो विशाल हैं ही, अंतरिक्ष पर मौजूद ज्वालामुखी भी भारी-भरकम है.

Updated on: 27 Oct 2021, 07:25 PM

highlights

  • धूमकेतु चट्टान, धूल और जमी हुई गैसों से बने होते हैं
  • धूमकेतु में हर साल औसतन सात विस्फोट होते हैं
  • 60 किलोमीटर का विशालकाय ज्वालामुखी अंतरिक्ष में एक धूमकेतु पर स्थित

 

नई दिल्ली:

ज्वालामुखी का नाम सुनते ही जेहन में आग का दहकता हुआ गोला का चित्र आंखों में नाचने लगता है. ज्वालामुखी से गर्म लावा आंगारे बन निकलते हैं. विश्व के कई देशों में ज्वालामुखी के फटने से अपार जन-धन की हानि होती रहती है. अधिकांश लोग ज्वालामुखी को सिर्फ तस्वीरों में ही देखा होगा. पृथ्वी के अलावा अंतरिक्ष में भी ज्वालामुखी के होने का प्रमाण मिला है. पृथ्वी के ज्वालामुखी तो विशाल हैं ही, अंतरिक्ष पर मौजूद ज्वालामुखी भी भारी-भरकम है. एक रिपोर्ट के अनुसार एक 60 किलोमीटर का विशालकाय ज्वालामुखी अंतरिक्ष में एक धूमकेतु पर स्थित है.

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार धूमकेतु पर स्थित ज्वालामुखी में अभी हाल ही में विस्फोट हुआ. जिसमें गर्म की जगह ठंडा लावा निकल रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक 25 अक्टूबर को शुरू हुए 'सुपरआउटबर्स्ट' में 56 घंटे के अंदर एक के बाद एक चार विस्फोट हुए. धूमकेतु हमारे सौर मंडल की सबसे अजीब वस्तुओं में से एक है.धूमकेतु पर होने वाले विस्फोटों में, मैग्मा ठंडे तरल हाइड्रोकार्बन से बना होता है, जिसका अर्थ है कि गर्म और जलते हुए लावा के बजाय इससे निकलने वाला पदार्थ ठंडा होता है.हालांकि यह अपने आसपास के तापमान जितना ठंडा नहीं होता.

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नासा के मुताबिक धूमकेतु चट्टान, धूल और जमी हुई गैसों से बने होते हैं. इनका आकार किसी छोटे शहर जितना होता है.ये अंडाकार कक्षा में सूर्य के चारों ओर घूमते हैं.सौर मंडल के खगोलीय पिंडों के पास जाते ही वे धूल की एक लंबी पूंछ के साथ नीचे गिरते हैं जिससे एक अद्भुत नजारा देखने को मिलता है.

29P/श्वासमैन-वाचमैन (29P/Schwassmann–Wachmann) धूमकेतु, इस परिभाषा को चुनौती दे सकता है.वैज्ञानिक इसे भले ही धूमकेतु कहते हैं लेकिन इसका व्यहार और प्रकृति बिल्कुल अलग है.यह एक ज्वालामुखी की तरह व्यवहार करती है और समय-समय पर इसमें विस्फोट होते रहते हैं.अब खगोलविदों में इसमें दशकों का सबसे बड़ा विस्फोट देखा है.एक खगोलशास्त्री और ब्रिटिश एस्ट्रोनॉमिकल एसोसिएशन के सदस्य रिचर्ड माइल्स ने Spaceweather.com को बताया कि मौजूदा विस्फोट 25 सितंबर को शुरू हुआ था और पिछले 40 सालों में यह सबसे ऊर्जावान विस्फोट प्रतीत होता है.

इस साल 29P/श्वासमैन-वाचमैन का पांचवां विस्फोट है.अजीबोगरीब धूमकेतु में हर साल औसतन सात विस्फोट होते हैं.1927 में अर्नोल्ड श्वासमैन ने इसकी खोज की थी.यह धूमकेतु बृहस्पति और शनि की कक्षाओं के बीच स्थित एक कक्षा में सूर्य के चारों ओर घूमता है.खास बात यह कि सामान्य धूमकेतु की तरह लंबी अण्डाकार कक्षाओं में घूमने के बजाय यह एक ग्रह के समान कक्षा का अनुसरण करता है.