अपनी ही गलतियों से 5 करोड़ साल पीछे जा चुके हैं हम, नहीं संभले तो मानवजाति का विनाश होना तय
कूलिंग ट्रेंड को उलटते हुए काफी तेजी से बेहद ही नाटकीय परिवर्तन की ओर बढ़ रहे हैं।
NEW DELHI:
बीते 200 सालों के अंदर मनुष्यों ने दीर्घकालिक शीतलन प्रवृत्ति को 5 करोड़ साल पीछे पलट दिया है. PNAS (Proceedings of the National Academy of Sciences) पत्रिका में छपे एक अध्ययन के मुताबिक साल 2030 तक पृथ्वी की जलवायु मध्य-प्लियोसीन (अतिनूतन युग) जैसी हो सकती है, जो भूगर्भीय समय में 30 लाख साल से ज्यादा पीछे जा रहा है.
अमेरिका में विस्कॉन्सिन-मैडिसन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने कहा कि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती नहीं की गई तो साल 2150 तक पृथ्वी का मौसम बेहद गरम और बर्फ हीन हो जाएगा, जैसा आदि जीवकाल के वक्त हुआ करता था. ये वही वक्त था, जो 5 करोड़ साल पहले हुआ करता था.
अध्ययन का संचालन करने वाले केविन बर्क ने कहा कि, ''यदि हम भूतकाल के अनुसार अपने भविष्य के बारे में सोच रहे हैं तो ये काफी भयानक है. जिस दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं, वह मानव समाज के लिए बहुत ही बदतर स्थान है.'' इतना ही नहीं, उन्होंने ये भी कहा कि हम ग्रहों के कूलिंग ट्रेंड को उलटते हुए काफी तेजी से बेहद ही नाटकीय परिवर्तन की ओर बढ़ रहे हैं.
शोध करने वाले विशेषज्ञों ने कहा कि पृथ्वी पर सभी प्रजातियों के एक पूर्वज थे, जो आदि जीवकाल (Eocene) और अतिनूतन काल (Pliocene) से बच गए थे. वर्तमान में हो रहे बदलावों की गति, पृथ्वी पर किसी भी जीवन में हुए बदलाव से काफी तेज है. अध्ययन, पृथ्वी की भूगर्भीय अतीत में गहराई से जांच करने और उन तुलनाओं का विस्तार करने के लिए जलवायु स्थितियों के बारे में व्यापक डेटा पर निर्भर करता है.
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