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मंगल ग्रह पर उतरा चीन का रोवर, US के बाद ऐसा करने वाला बना दूसरा देश

चीन ने साल 2020 के जुलाई महीने में तियानवेन-1 मिशन मंगल की तरफ भेजा था. जो 15 मई 2021 की सुबह करीब 5 बजे के आसापास मंगल की सतह पर उतरा है. मंगल हमारे सौरमंडल में सूर्य से चौथा ग्रह है.

Updated on: 16 May 2021, 01:12 PM

highlights

  • चीन ने मिशन मंगल में कामयाबी हासिल की
  • चीनी रोवर सफलतापूर्वक मंगल पर उतरा
  • साल 2020 में शुरू किया था मिशन मंगल

नई दिल्ली:

दुनियाभर के वैज्ञानिक आज मंगल ग्रह (Mars) पर जीवन की तलाश में जुटे हुए हैं. इस बीच चीन ने बड़ी सफलता हासिल की है. चीन ने सफलतापूर्वक मंगल ग्रह (China mars Mission) पर अपना रोवर उतार लिया है. इसी के साथ चीन अमेरिका के बाद यह कीर्तिमान बनाने वाला दूसरा देश बन गया है. चीन ने साल 2020 के जुलाई महीने में तियानवेन-1 मिशन मंगल की तरफ भेजा था. जो 15 मई 2021 की सुबह करीब 5 बजे के आसापास मंगल की सतह पर उतरा है. मंगल हमारे सौरमंडल में सूर्य से चौथा ग्रह है. पृथ्वी से इसकी आभा रक्तिम दिखती है, जिस वजह से इसे लाल ग्रह के नाम से भी जाना जाता है. 

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पृथ्वी की तरह मंगल भी एक स्थलीय धरातल वाला ग्रह है. इसका वातावरण विरल है. जिसके कारण वैज्ञानिकों को लगता है कि पृथ्वी की तरह मंगल पर भी जीवन हो सकता है. चीनी स्टेट मीडिया के मुताबिक चीन ने मंगल की सतह पर अपना पहला स्पेसक्राफ्ट उतार दिया है. Tianwen-1 मिशन ऐसा पहला मिशन है जब एक ही बार में कक्षा में भी यान प्रक्षेपित किया गया, लाल ग्रह की सतह पर लैंडिंग प्लैटफॉर्म भी ड्रॉप किया गया और रोवर भी भेजा गया. लैंडर और रोवर के साथ कैप्सूल मंगल के वायुमंडल को चीरते हुए सतह पर जा पहुंचा है.

इस अंतरिक्ष यान ने करीब सात महीने की यात्रा के बाद फरवरी में मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश किया था और ग्रह पर उतरने के लिये संभावित स्थानों की पहचान करने में दो महीने से ज्यादा का वक्त बिताया. मंगल ग्रह पर पहुंचने वाले रोवर का वजन करीब 240 किलोग्राम है, उसमें 6 पहिए और 4 सौर पैनल हैं तथा वह प्रति घंटे 200 मीटर तक घूम सकता है.  इसमें 6 वैज्ञानिक उपकरण हैं जिनमें बहु-वर्णीय कैमरा, रडार और एक मौसम संबंधी मापक है. इसके मंगल ग्रह पर करीब तीन महीने तक काम करने की संभावना है. 

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बता दें कि चीन ने रोवर का नाम झुरोंग (Zhurong) नाम अपने आग के देवता के नाम पर दिया है. तियानवेन लैंडर पर एक रैंप बना है, जिसके जरिए रोवर नीचे उतरेगा. ये माना जा रहा है कि रोवर को मंगल ग्रह पर 90 दिन बिताने हैं. जो धरती के 93 दिनों के बराबर होते हैं. मंगल ग्रह पर दिन धरती के दिन से 40 मिनट लंबा होता है.