2022 में लॉन्च होगा Chandrayaan -3, जानिए कैसा रहा चंद्रयान-2 का सफर
चंद्रयान-2 को पृथ्वी की कक्षा में पहुंचाने की जिम्मेदारी इसरो ने अपने सबसे शक्तिशाली रॉकेट जियोसिंक्रोनस सेटेलाइट लांच व्हीकल- मार्क 3 (जीएसएलवी-एमके 3) को दी थी.
highlights
- चंद्रयान- 2 मिशन को 500 अकादमी संस्थान और 120 इंडस्ट्रीज द्वारा किया गया था सपोर्ट
- भारत का यह मिशन हॉलीवुड फिल्म एवेंजर्स एंडगेम की तुलना में 65.17 फीसदी सस्ता था
नई दिल्ली:
चंद्रयान -2 (Chandrayaan-2): 22 जुलाई 2019 का दिन भारत के लिए सबसे खास दिन दिन था जब भारत में चांद पर पहुंच बनाने के लिए पहली सीढ़ी चढ़ी. चंद्रयान- 2 लॉन्च होने के बाद पृथ्वी की पांच अलग-अलग कक्षाओं से गुजरते हुए चंद्रमा के कक्षा यानी ऑर्बिट में प्रवेश किया. आंध्रप्रदेश का श्रीहरिकोटा का सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र चंद्रयान 2 के लिए पूरी तरह से तैयार था. काउंटडाउन शुरू हुआ 10..9..8.......1 और जैसे ही ये नंबर '0' हुआ, सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में खड़े सारे वैज्ञानिकों सहित दुनियाभर के वैज्ञानिकों की धड़कने तेज हो गईं. इसके कुछ ही मिनट में शुरू हो चुका था भारत का 48 दिन का चांद का सफर जिसके लिए वैज्ञानिकों ने सालों से मेहनत की थी. हालांकि चंद्रयान 2 का प्रक्षेपण पहले 15 जुलाई 2 बजकर 51 मिनट पर प्रस्तावित था लेकिन किसी तकनीकी गड़बड़ी के कारण अभियान को रोकना पड़ा.
भारत की उम्मीदों को लेकर उड़ा 'बाहुबली' रॉकेट
चंद्रयान-2 को पृथ्वी की कक्षा में पहुंचाने की जिम्मेदारी इसरो ने अपने सबसे शक्तिशाली रॉकेट जियोसिंक्रोनस सेटेलाइट लांच व्हीकल- मार्क 3 (जीएसएलवी-एमके 3) को दी थी. इस रॉकेट को स्थानीय मीडिया से 'बाहुबली' नाम दिया गया था. यह रॉकेट 3.8 टन वजन वाले चंद्रयान-2 को लेकर उड़ान भरा. अलग-अलग चरणों में सफर पूरा करते हुए यान सात सितंबर को चांद के दक्षिणी ध्रुव की निर्धारित जगह पर उतरना था. बता दें कि सिर्फ विक्रम लैंडर और रोवर को चांद पर भेजना था. चंद्रयान-2 चांद की सतह से 35 किलोमीटर की दूरी पर पहुंचने पर चंद्रयान- 2 से विक्रम लैंडर के साथ प्रज्ञान रोवर को अलग कर दिया गया.
इसके पहले कब लांच हुआ था चंद्रयान मिशन
भारत ने इसके पहले भी चांद पर पहुंचने की कोशिश की थी. भारत ने 2008 में चंद्रयान-1 लांच किया था. यह एक ऑर्बिटर अभियान था. ऑर्बिटर ने 10 महीने तक चांद का चक्कर लगाया था. चांद पर पानी का पता लगाने का श्रेय भारत के इसी अभियान को जाता है.
खोलने वाला था ये राज
चंद्रयान-2 की सफलता पर भारत ही नहीं, पूरी दुनिया की निगाहें टिकी थीं. चंद्रयान-1 ने दुनिया को बताया था कि चांद पर पानी है. अब उसी सफलता को आगे बढ़ाते हुए चंद्रयान-2 चांद पर पानी की मौजूदगी से जुड़े कई ठोस नतीजे देने वाला था. अभियान से चांद की सतह का नक्शा तैयार करने में भी मदद मिलती, जो भविष्य में अन्य अभियानों के लिए सहायक होता. चांद की मिट्टी में कौन-कौन से खनिज हैं और कितनी मात्रा में हैं, चंद्रयान-2 इससे जुड़े कई राज खोल सकता था.
विक्रम और प्रज्ञान पर थी बड़ी दारोमदार
चंद्रयान-2 के तीन हिस्से थें-ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर. अंतरिक्ष वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के सम्मान में लैंडर का नाम 'विक्रम' दिया गया था. वहीं रोवर का नाम 'प्रज्ञान' था, जो संस्कृत शब्द था जिसका अर्थ था ज्ञान. चांद की कक्षा में पहुंचने के बाद लैंडर-रोवर अपने ऑर्बिटर से अलग होना था. लैंडर विक्रम सात सितंबर को चांद के दक्षिणी ध्रुव के नजदीक उतरने का लक्ष्य था. लैंडर उतरने के बाद रोवर उससे अलग होकर अन्य प्रयोगों को अंजाम देना था. लैंडर और रोवर के काम करने की कुल अवधि 14 दिन की थी. चांद के हिसाब से यह एक दिन की अवधि होगी. वहीं ऑर्बिटर सालभर चांद की परिक्रमा करते हुए विभिन्न प्रयोगों को अंजाम देने वाला था.
कितनी आई थी लागत
इस मिशन को 500 अकादमी संस्थान और 120 इंडस्ट्रीज द्वारा सपोर्ट किया था. इन्होंने Rs 603 करोड़ के बजट में लगभग 60 प्रतिशत और GSLV Mk-III की लागत Rs 375 करोड़ का 80 प्रतिशत योगदान दिया था. इससे चंद्रयान 2 मिशन की कुल लागत तकरीबन 850 करोड़ रुपये हो जाती है. चंद्रयान-2 मिशन पर भारत सरकार ने जितने पैसे लगाए हैं उतने में हॉलीवुड की शायद ही कोई ब्लाकबस्टर मूवी बन सके. बता दें कि भारत का यह मिशन हॉलीवुड फिल्म एवेंजर्स एंडगेम की तुलना में 65.17 फीसदी सस्ता था. 3.1 करोड़ डॉलर ( 212 करोड़ रु.) रॉकेट लॉन्च और 9.3 करोड़ डॉलर ( 637 करोड़ रु) चंद्रयान उपग्रह की लागत है. एवेंजर्स की फिल्म का अनुमानित बजट 2440 करोड़ रुपये था. बता दें कि अमेरिका, रूस और चीन भारत से पहले अपने रोवर और लैंडर चांद की सतह पर उतार चुके हैं. बता दें कि अमेरिका ने 2014 के मून मिशन LDEE पर करीब 1919 करोड़ रुपये, चीन ने चांग- 4 मून मिशन पर 5759 करोड़ रुपये और रूस ने 1966 के मून मिशन पर करीब 13,712 करोड़ रुपये खर्च किए थे.
7 सितंबर 2019 को टूटा संपर्क
जैसा कि कहा जा रहा था कि लैंडर के उतरने से पहले का 15 मिनट काफी महत्वपूर्ण था. इसी 15 मिनट के दौरान भारतीय वैज्ञानिकों का लैंडर से संपर्क टूट गया. चंद्रयान-2 (Chandrayaan 2)की लैंडिंग को लेकर अभी तक कुछ साफ नहीं था. चांद के बेहद करीब आकर विक्रम लैंडर (Vikram Lander)का संपर्क पृथ्वी से टूट गया. लैंडर विक्रम (Lander vikram) को शुक्रवार की देर रात करीब 1:38 बजे चांद की सतह पर लाने की प्रक्रिया शुरू की गई, लेकिन करीब 2.1 किलोमीटर पहले ही उसका इसरो (ISRO) से संपर्क टूट गया. संपर्क टूटते ही इसरो में बेचैनी छा गई. हालांकि अभी उम्मीद पूरी तरह ख़त्म नहीं हुई है और हो सकता है कि बाद में लैंडर से संपर्क स्थापित हो जाए.