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भारत का महत्वकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 एक बार फिर टला, जनवरी में होगा लॉन्च

चंद्रयान-2 को पहले इस साल अक्टूबर में ही भेजा जाना था। लेकिन अब इसका प्रक्षेपण जनवरी 2019 तक के लिए टल गया है।

Updated on: 05 Aug 2018, 02:11 PM

नई दिल्ली:

भारत की महत्वाकांक्षी परियोजना मिशन चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण को एक बार फिर से टाल दिया गया है। चंद्रयान-2 को पहले इस साल अक्टूबर में ही भेजा जाना था। लेकिन अब इसका प्रक्षेपण जनवरी 2019 तक के लिए टल गया है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) एक साल के भीतर दो बड़ी असफलताओं को झेल चुका है। ऐसे में चंद्रयान-2 मिशन को भी टालने का फैसला लिया गया है।

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बता दें कि पहले चंद्रयान-2 इस साल अप्रैल में धरती से रवाना होने वाला था। पर कुछ कारणों से इसके प्रक्षेपण को अक्टूबर तक के लिए टाल दिया गया। अब यह जनवरी 2019 में उड़ान भरेगा।

इस साल की शुरुआत में इसरो ने सैन्य उपग्रह जीएसएटी-6ए प्रक्षेपित किया था, लेकिन इस उपग्रह के साथ इसरो का संपर्क टूट जाने की वजह से यह असफल रहा था। इसके बाद इसरो ने फ्रेंच गुयाना से प्रक्षेपित होने वाले जीएसएटी-11 के प्रक्षेपण को यह कहते हुए टाल दिया था कि इसकी कुछ अतिरिक्त तकनीकी जांच की जाएगी।

पिछले साल सितंबर में आईआरएनएसएस-1एच नौवहन उपग्रह को लेकर जा रहे पीएसएलवी-सी39 मिशन अभियान भी असफल रहा था क्योंकि इसका हीट शील्ड नहीं खुलने की वजह से उपग्रह नहीं छोड़ा जा सका।

इसरो इन दो बड़ी असफलताओं के बाद चंद्रयान-2 के साथ ज्यादा सावधानी बरत रहा है। चंद्रयान-1 और मंगलयान मिशन के बाद चंद्रयान-2 इसरो के लिए एक बहुत बड़ा मिशन है। सूत्रों से पता चला है कि इसरो कोई जोखिम मोल नहीं लेना चाहता है। यहीं कारण है कि वह इसके प्रक्षेपण में अधिक सावधानी बरत रहे हैं। उन्होंने बताया कि चंद्रयान-2 मिशन जनवरी में धरती से रवाना होगा।

गौरतबल है कि चंद्र मिशन 'चंद्रयान-2' की कुल लागत लगभग 800 करोड़ रुपये है। इसमें लॉन्च करने की लागत 200 करोड़ रुपये तथा सैटेलाइट की लागत 600 करोड़ रुपये शामिल है। यह लागत 1500 करोड़ से आधी है, जो विदेशी धरती से इस मिशन को लॉन्च करने पर आती। इसके साथ ही इसके निर्माण में उपयोग की गई सामग्री के पूरी तरह स्वदेशी है।

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चंद्रयान-2 एक लैंड रोवर और जांच (प्रोव) से सुसज्जित होगा, जो चंद्रमा की सतह पर उतरेगा। यहां मिट्टी, पानी के नमूने एकत्र किए जाएंगे और इसके विस्तृत विश्लेषण और अनुसंधान के लिए वापस लाएंगे। इस अर्थ में यह अपनी तरह का पहला चन्द्रमा मिशन होगा।