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सोमवार को चंद्रयान-2 को लेकर चांद को निकला 'बाहुबलि'.
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सोमवार को चंद्रयान-2 को लेकर चांद को निकला 'बाहुबलि'.
चंद्रयान-2 के लिए शुक्रवार का दिन खासा अहम होगा. इस दिन रॉकेट में फायर कर चंद्रयान-2 को पृथ्वी की और ऊपरी कक्षा में स्थापित किया जाएगा. 22 जुलाई को लांचिंग और पृथ्वी की कक्षा में स्थापित होने के बाद चंद्रयान-2 को ऊपरी कक्षा में स्थापित करने के लिए पहला प्रयास बुधवार को किया गया. इस लिहाज से इसरो के लिए शुक्रवार के अलावा 29 जुलाई समेत 2 और 6 अगस्त भी खासा अहम होगा. इन चार तरीखों को चंद्रयान-2 को पृथ्वी की कक्षा में और ऊंचाई पर स्थापित किया जाएगा ताकि वह सफलता पूर्वक पृथ्वी की कक्षा से निकल चांद की कक्षा में प्रवेश कर जाए.
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बुधवार को भी बदली गई थी कक्षा की ऊंचाई
इसरो के मुताबिक बुधवार को स्पेसक्राफ्ट के ऑनबोर्ड प्रोपल्शन सिस्टम को 48 सेकंड के लिए फायर किया गया. इसकी मदद से चंद्रयान-2 को नई अंडाकार कक्षा में प्रक्षेपित करने में सफलता मिली. यह कक्षा पृथ्वी की सतह से न्यूनतम 230 किमी और अधिकतम 45,163 किमी दूरी पर है. सोमवार को लांचिंग के बाद चंद्रयान-2 को पृथ्वी की जिस कक्षा में स्थापित किया गया, वह पृथ्वी से न्यूनतम 170 किमी और अधिकतम 45,475 किमी दूर थी.
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12 दिनों में चार बार बदलेगी चंद्रयान-2 की कक्षा
इसरो के मुताबिक अगले 12 दिनों में चंद्रयान-2 को चार और बार ऊंची कक्षा में स्थापित किया जाएगा. इस तरह चंद्रयान-2 उस अंडाकार कक्षा में पहुंच जाएगा, जो पृथ्वी से कम से कम 233 किमी और अधिकतम 143,953 किमी दूर होगी. ऊंची कक्षा में स्थापित करने की हर मुहिम चंद्रयान-2 को इतनी ऊर्जा से भर देगी, जितनी ऊर्जा पृथ्वी की कक्षा छोड़कर चांद तक जाने के लिए जरूरी है. इसरो के मुताबिक शुक्रवार को चंद्रयान-2 को एक नई ऊंची कक्षा में स्थापित किया जाएगा. इसके बाद ऐसे ही प्रयास 29 जुलाई, 2 अगस्त और 6 अगस्त को भी होंगे. फिलहाल स्पेसक्राफ्ट पृथ्वी की अंतिम कक्षा में आठ दिन और रहेगा. इसके बाद 14 अगस्त को चंद्रयान-2 चांद की ओर रवाना हो जाएगा और उसकी कक्षा में 20 अगस्त के प्रवेश कर जाएगा.
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