चंद्रयान-2 के बाद कई अंतरिक्ष मिशन की तैयारी में जुटा ISRO, जल्द Space की दुनिया में होगा भारत का दबदबा
चंद्रयान-2 लॉन्च के बाद अब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) जल्द ही कई ऐसे मिशन की तैयारी में जुट गया है जो भारत को एक और नई उपलब्धि दिलाएगा. इ
नई दिल्ली:
चंद्रयान-2 लॉन्च के बाद अब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) जल्द ही कई ऐसे मिशन की तैयारी में जुट गया है जो भारत को एक और नई उपलब्धि दिलाएगा. इसरो अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भारत को नए मुकाम पर पहुंचाना चाहता है, जिससे इसरो और भारत के अंतरिक्ष प्रोग्राम को लेकर पूरी दुनिया में भरोसा और गहरा हो जाएगा. भारत की स्पेस टेक्नोलॉजी से जुड़ी क्षमताओं को और बढ़ाने के लिए इसरों ने कई अतंरिक्ष अभियानों की योजनाएं बनाई है.
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1. इन अभियानों से जुड़ी जानकारी देते हुए इसरो के अध्यक्ष डॉ. कैलाशावादिवू सिवन ने बताया, 'चंद्रयान-2 भेजने के बाद हम एक और यान चंद्रमा पर भेजेंगे. उम्मीद है कि हम तीसरे चंद्र मिशन में भारतीय रोबोट को चंद्रमा पर भेजेंगे. जो वहां पहुंचकर कई तरह की जांच करेगा. वहीं तीसरे चंद्र मिशन 2020 तक पूरा होगा.'
2. इसरो पीएसएलवी रॉकेट से एक्स-रे पोलेरीमेट्री सैटेलाइट (एक्सपोसेट) को 2021 तक लॉन्च करेगा. इस सैटेलाइट को एक्सपोसैट के पोलेरीमेट्री इंस्ट्रूमेंट को रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने बनाया है. इसे लो-अर्थ ऑर्बिट में स्थापित किया जाएगा, जो उपग्रह अंतरिक्ष में एक्स-रे का अध्ययन करेगा. इसकी मदद से एक्स-रे की ताकत, चुंबकीय क्षेत्र और रेडिएशन आदि की जांच की जाएगी.
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3. साल 2019-20 के आखिरी तक इसरो सोलर प्रोब मिशन आदित्य-L1 भेजेगा, जो सूर्य के अलग-अलग आयामों की जांच करेगा. 400 किलोग्राम वजनी आदित्य धरती से 15 लाख किमी ऊपर स्थित हैलो ऑर्बिट में लग्रांज-1 बिंदु के पास स्थापित किया जाएगा. इसमें सिर्फ एक पेलोड होगा जो सूर्य के कोरोना, सौर लपटों, तापमान, चुबंकीय क्षेत्र समेत अन्य आयामों और उनसे पृथ्वी पर होने वाले प्रभावों की जांच करेगा.
4.नासा के साथ मिलकर इसरो Nasa0-Isro Synthetic Aperture Radar (Nisar) मिशन पर काम करेगी. संभावना जताई जा रही है कि ये मिशन साल 2021 तक लॉन्च किया जाएगा. बताया जा रहा है कि इसे जीएसएलवी एमके 2 रॉकेट से छोड़ा जाएगा. साथ ही ये भी कहा जा रहा है कि ये दुनिया का सबसे महंगा अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट होगा.
5. AVATAR – अवतार यानी Aerobic Vehicle for Transatmospheric Hypersonic Aerospace Transportation जो इसरो की सबसे महत्त्वकांक्षी योजना है. इसरो इसके एक हिस्से रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल (RLV) यानी कलामयान का सफल परीक्षण कर चुकी है. इस योजना में भारत की संस्था DRDO भी मदद कर रही है. इस मिशन में कलामयान से ही इंसानों को अंतरिक्ष की यात्रा कराई जाएगी. इस प्रोजेक्ट के 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है, जिसके पूरा होने पर भारत, अमेरिका, रूस और चीन के बाद चौथा देश बन जाएगा.
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6. 2014 में इसरो के मंगलयान मिशन ने पहली बार में ही सफलता हासिल कर ली थी. इसके बाद अब इसरो मंगलयान-2 (मार्स ऑर्बिटर मिशन-2, मॉम-2) भेजेगा इसे साल 2021-22 को लॉन्च किया जा सकता है. इस मिशन में फ्रांस भी इसरो की मदद करेगा.
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