चंद्रयान -2 (Chandrayan-2) के आर्बिटर से आई ये बड़ी खबर, जानना चाहेंगे क्या
चंद्रमा की परिक्रमा करते हुए चंद्रयान -2 (Chandrayan-2) ने चंद्र एक्सोस्फेयर में आर्गन -40 का पता लगाया है.
नई दिल्ली:
चंद्रमा की परिक्रमा करते हुए चंद्रयान -2 (Chandrayan-2) ने चंद्र एक्सोस्फेयर में आर्गन -40 का पता लगाया है. इसरो के मुताबिक चंद्रयान -2 (Chandrayan-2) ऐसा करने में सक्षम हो गया है कि चन्द्रमा के वायुमंडलीय संरचना के बारे में पता लगे सके. ऐसा संभव हुआ है एक्सप्लोरर -2 (CHACE-2) पेलोड की मदद से. चंद्रयान -2 (Chandrayan-2) ने लगभग 100 किमी की ऊंचाई से आर्गन -40 का पता लगाया है. आर्गन -40 को 40Ar के नाम से भी जाना जाता है जो कि नोबल गैस आर्गन का एक समस्थानिक है. आर्गन पृथ्वी के वायुमंडल में तीसरा सबसे प्रचुर गैस है. बता दें जिस वायुमंडल में हम जीते हैं, सांस लेते हैं, उसमें 78.8% नाइट्रोजन, 20.95% ऑक्सीजन, 0.93% आर्गोन, 0.038% कार्बन डाइआक्साइड व थोड़ी मात्रा में वाष्प होती है.
इसरो का कहना है कि 40Ar चंद्र एक्सोस्फेयर का एक प्रमुख घटक है. इसरो के एक बयान के अनुसार आर्गन -40 पोटेशियम -40 के रेडियोधर्मी विघटन से उत्पन्न होता है. अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के अनुसार, चंद्र सतह के नीचे मौजूद रेडियोधर्मी 40K न्यूक्लाइड विघटित होकर 40Ar गैस बनाता है. इसके बाद अंतर अंतरिक्ष के माध्यम से फैलता है जो चंद्र बहिर्मंडल में अपना रास्ता बनाता है.
#ISRO
— ISRO (@isro) October 31, 2019
The CHACE-2 payload aboard the #Chandrayaan2 orbiter has detected Argon-40 from an altitude of approximately 100 km.
For more details please see https://t.co/oY9rPZ9o1w
Here's the schematic of the origin and dynamics of Argon-40 in lunar exosphere pic.twitter.com/xrFDblq2Mt
इसमें यह भी कहा गया है कि चंद्रमा को घेरने वाली पतली गैसीय परत को वैज्ञानिक 'लूनर एक्सोस्फीयर' कहते हैं, क्योंकि इसमें मौजूद गैस परमाणु एक-दूसरे से बहुत कम टकराते हैं, इस प्रकार यह बहुत ही कठिन संरचना का निर्माण करता है. CHACE-2 पेलोड एक तटस्थ द्रव्यमान स्पेक्ट्रोमीटर आधारित पेलोड है.
40Ar एक घनीभूत गैस है और विभिन्न तापमानों और दबावों पर अलग-अलग प्रतिक्रिया करता है. यह चंद्र रात के दौरान संघनित होता है और चंद्र भोर के बाद, गैस फिर से चंद्र उत्सर्जन के लिए जारी होने लगती है.