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चंद्रयान-2 अपने मिशन में अब तक कामयाबी की राह पर है. बुधवार को चंद्रयान-2 चंद्रमा की दूसरी कक्षा में सफलता पूर्वक प्रवेश कर गया है. इसरो ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है. 22 जुलाई को लॉन्च हुआ चंद्रयान (Chandrayaan 2) को लक्ष्य तक पहुंचने के लिए 18 दिन का वक्त और लगने वाला है. चंद्रयान चांद की पहली कक्षा में प्रवेश करने के बाद इसकी स्पीड को कम कर दिया गया है. चंद्रयान की स्पीड को 10.98 किलोमीटर से घटाकर करीब 1.98 किलोमीटर प्रति सेकंड कर दिया गया है. यानी चंद्रयान की स्पीड करीब 90 प्रतिशत तक कम कर दिया गया है. इसके पीछे वजह यह है कि चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी के मुकाबले काफी कम है.
#ISRO
Second Lunar bound orbit maneuver for #Chandrayaan2 spacecraft was performed successfully today (August 21, 2019) beginning at 1250 hrs ISTFor details please visit https://t.co/cryo8a7qrepic.twitter.com/MpiktQOyX6
— ISRO (@isro) August 21, 2019
दरअसल, चंद्रयान-2 चांद की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के प्रभाव में आकर चांद से टकरा न जाए और उसको नुकसान ना पहुंचे इसलिए उसकी गति को बहुत ही कम कर दिया गया है.
चांद का गुरुत्वाकर्षण किसी भी दूर तक आने वाली वस्तु को अपनी तरफ खींच सकता है. ऐसे में टकराव से बचने के लिए गति को कम किया गया है. अब वो चांद के गुरुत्वाकर्षण से लड़ते हुए चांद की कक्षा में चला जाएगा.
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बता दें कि करीब 65 हजार किलोमीटर तक की चीज पर चांद के गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव पड़ता है. वो इतनी दूरी से जा रही चीज को अपनी तरफ खींच सकता है. मंगलवार यानी आज चंद्रयान-2 65 हजार किलोमीटर की दूरी से करीब 150 किलोमीटर ही दूर होगा. मतलबल 65, 150 किलोमीटर की दूर पर चंद्रयान-2 होगा.
भारतीय अंतरिक्ष यान चंद्रयान-2 के चांद की कक्षा में प्रवेश करने के अंतिम 30 मिनट बहुत मुश्किल भरे थे. यह कहना है भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चेयरमैन के. सिवन का. इस महत्वपूर्ण चरण के तुरंत बाद सिवन ने बताया, 'अभियान के अंतिम 30 मिनट बहुत मुश्किल भरे थे. घड़ी की सुई के आगे बढ़ने के साथ-साथ तनाव और चिंता बढ़ती गई. चंद्रयान-2 के चांद की कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश करते ही अपार खुशी और राहत मिली.'
इसरो के एक अधिकारी के अनुसार, चंद्रयान-2 की 24 घंटे निगरानी की जा रही है. सिवान ने कहा कि भारत के मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान पर भी काम चल रहा है. इसके लिए अंतरिक्ष यात्रियों का चयन करने का काम जारी है.
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बता दें, चंद्रयान-2 के चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने के बाद इसरो कक्षा के अंदर स्पेसक्रॉफ्ट की दिशा में चार बार (21, 28 और 30 अगस्त को तथा 1 सितंबर को) और परिवर्तन करेगा. इसके बाद यह चंद्रमा के ध्रुव के ऊपर से गुजरकर उसके सबसे करीब - 100 किलोमीटर की दूरी के अपने अंतिम कक्षा में पहुंच जाएगा.
इसके बाद विक्रम लैंडर 2 सितंबर को चंद्रयान-2 से अलग होकर चंद्रमा की सतह पर उतरेगा. इसरो ने बताया कि चंद्रमा की सतह पर 7 सितंबर 2019 को लैंडर से उतरने से पहले धरती से दो कमांड दिए जाएंगे, ताकि लैंडर की गति और दिशा सुधारी जा सके और वह हल्के से सतह पर उतरे.
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो