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आनुवांशिक जांच से दिल की बीमारियों का पता चल सकेगा

आनुवांशिक जांच से दिल की बीमारियों का पता चल सकेगा

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IANS
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Can genetic

(source : IANS)( Photo Credit : (source : IANS))

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अमेरिकी शोधकर्ताओं ने डीएनए की संरचना के आधार पर महिलाओं और पुरूषों में भविष्य में होने वाली दिल की बीमारियों का पता लगाने के लिए एक चिकित्सकीय जांच कार्यक्रम शुरू किया है।

अगर ये चिकित्सकीय परीक्षण प्रभावी साबित होते हैं तो इस आनुवांशिक जांच परीक्षण को विश्व में एक पैमाने के तौर पर अपना लिया जाएगा जिससे लोगों की मौत के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार हॉर्ट अटैक से बचाव करने में मदद मिल सकती है।

एरिजोना में कॉर्डियोवॉस्कुलर जीनोमिक्स फॉर डिग्निटी हेल्थ हास्पिटल के मेडिकल डायरेक्टर रॉबर्ट रॉबर्ट्स ने बताया कि इसके परिणाम बेहतर होने पर दिल की बीमारियां इस सदी की अंतिम बीमारियां होंगी।

इस चिकित्सकीय जांच में शोधकर्ता 40 से 60 वर्ष के लगभग दो हजार पुरूषों तथा महिलाओं के डीएनए नमूने एकत्र करेंगे जिन्हें इससे पहले दिल की कोई बीमारियां नहीं थी। फिर डीएनए नमूनों का विश्लेषण यह निर्धारित करने के लिए किया जाएगा कि क्या इन लोगों में कोई आनुवंशिक मार्कर हैं जिन्हें हृदय रोगों का कारण माना जाता है।

डीएनए जीनोटाइपिंग पूरी हो जाने के बाद, डिग्निटी की टीम प्रत्येक प्रतिभागी के आनुवंशिक मार्करों का मूल्यांकन करेगी कि उनमें हृदय रोग विकसित होने की कितनी आशंका है।

इस चिकित्सकीय जांच में प्रतिभागियों के हृदय रोगों के जोखिम का निर्धारण करते समय अन्य स्वास्थ्य मानकों और जीवन शैली कारकों पर भी विचार किया जाएगा। इनमें उच्च रक्तचाप, मधुमेह, उच्च कोलेस्ट्रॉल शामिल हैं। इसमें यह भी पता लगाया जाएगा कि क्या प्रतिभागी धूम्रपान करता है और कसरत करते हैं या निष्क्रिय जीवन शैली बिताते हैं।

उन्होंने कहा मुझे उम्मीद है कि इस अध्ययन के आनुवंशिक परीक्षण परिणामों के माध्यम से हम नियमित जांच कर कोरोनरी धमनी रोग की प्रारंभिक रोकथाम से भविष्य में लोगों का जीवन बचाने में सक्षम होंगे। यह दिल की बीमारियों की रोकथाम में एक बदलावकारी कदम साबित हो सकेगा।

इससे पहले के शोधों में दिल की बीमारियों और डीएनए के बीच एक तरह का संपर्क पाया गया है जो उनकी आनुवांशिक प्रवृति को दर्शाता है। शोध से पता चला है कि जन्म से उच्च कोलेस्ट्रॉल का स्तर एक सामान्य आनुवंशिक स्थिति के कारण हो सकता है जिसे पारिवारिक हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया (एफएच) कहा जाता है। इससे कम उम्र से ही कोरोनरी हृदय रोग का उच्च जोखिम हो सकता है। कुछ अनुमान बताते हैं कि एफएच वाले प्रत्येक दो रोगियों में से एक को 70 वर्ष की आयु तक कोरोनरी हृदय रोग के जोखिम का सामना करना पड़ सकता है।

ऑस्ट्रेलिया के मोनाश विश्वविद्यालय के शोध के हवाले से यूरोपियन हार्ट जर्नल में प्रकाशित एक पेपर में कहा गया है कि सरकारी स्वास्थ्य प्रणाली के माध्यम से शुरूआती वयस्कता में एफएच के लिए डीएनए परीक्षण हजारों और लोगों की पहचान कर सकता है।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Source : IANS

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