क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज क्वोइनबेस के सीईओ ब्रायन आर्मस्ट्रॉन्ग ने पहली बार यह खुलासा किया है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गैरआधिकारिक दबाव के कारण उन्होंने भारत में अपनी गतिविधियां रोक दीं।
क्वोइनबेस नैस्डैक में सूचीबद्ध है और उसने गत माह अपने ऐप में यूपीआई के माध्यम से भुगतान रोक दिया।
आर्मस्ट्रॉन्ग का कहना है कि आरबीआई के गैर आधिकारिक दबाव के कारण यूपीआई से भुगतान बंद किया गया।
सीईओ ने कहा कि भारत सरकार में, आरबीआई सहित कई ऐसे तत्व हैं, जो इसे लेकर सकारात्मक दृष्टिकोण नहीं रखते हैं। इसी कारण इसे शैडो बैन कह सकते हैं। वास्तव में वे परदे के पीछे से दबाव बनाते हैं ताकि इनमें से कुछ भुगतान न हो पाये।
साल की पहली तिमाही में क्वोइनबेस को पहली बार 43 करोड़ डॉलर का घाटा हुआ है।
क्वोइनबेस का राजस्व 2021 की पहली तिमाही के 1.6 अरब डॉलर से 27 प्रतिशत गिरकर 1.17 अरब डॉलर रह गया। इसके मासिक यूजर्स की संख्या भी 19 प्रतिशत से अधिक घटकर 92 लाख रह गई।
आर्मस्ट्रॉन्ग का कहना है कि आरबीआई का यह कदम सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ हो सकता है। यह जानना दिलचस्प होगा अगर यह बात वहां जाती है तो।
उन्होंने कहा कि भारत में मीडिया अब इस बारे में बात कर रही है। वहां बैठकें हो रही हैं कि अगला कदम क्या होगा।
एक्सचेंज ने सात अप्रैल को ही भारत में अपने क्रिप्टो ट्रेडिंग सर्विस शुरू की थी।
ऐसा माना जा रहा है कि क्रिप्टो को 28 प्रतिशत के जीएसटी स्लैब में लाने पर विचार किया जा रहा है।
भारत का वित्त मंत्रालय पहले ही क्रिप्टो और एनएफटी के मुनाफे पर 30 प्रतिशत के कर की घोषणा कर चुका है। यह प्रावधान एक अप्रैल से लागू है।
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Source : IANS