बच गई पृथ्वी, 30 हजार मील प्रति घंटा की रफ्तार से आ रहे उल्कापिंड से टकराव टला
यह उल्कापिंड किस हद तक खतरनाक हो सकता था, इसका अंदाजा लगाने के लिए सिर्फ उस खगोलीय घटना को याद करना जरूरी है, जिसमें पृथ्वी से टकराए उल्कापिंड ने धरती से डायनासोर समेत पूरा जीवन ही खत्म कर दिया था.
highlights
- '2019 एनजे2' उल्कापिंड 30 हजार मील प्रति घंटा की रफ्तार से पृथ्वी की ओर बढ़ रहा था.
- शनिवार रात डेढ़ बजे पृथ्वी के बेहद नजदीक से गुजरा.
- अगर टकराता तो करोड़ों साल पहले की तरह पृथ्वी से खत्म हो जाता जीवन.
नई दिल्ली.:
'2019 एनजे2' नाम का उल्कापिंड पलक झपकते ही पृथ्वी से सारी इंसानियत को खत्म कर देता. हालांकि जाके राखो साइयां मार सके ना कोय की तर्ज पर 207 फीट व्यास आकार का यह उल्कापिंड शनिवार रात डेढ़ बजे पृथ्वी के पास से होकर गुजर गया. अंतरिक्ष विज्ञान में महारथ हासिल रखने वाले विशेषज्ञों की मानें तो यह अब तक गुजरे उल्कापिंडों की दूरी के लिहाज से सबसे नजदीक से पृथ्वी के पास से गुजरा है. यह उल्कापिंड किस हद तक खतरनाक हो सकता था, इसका अंदाजा लगाने के लिए सिर्फ उस खगोलीय घटना को याद करना जरूरी है, जिसमें पृथ्वी से टकराए उल्कापिंड ने धरती से डायनासोर समेत पूरा जीवन ही खत्म कर दिया था.
डायनासोर की तरह खत्म हो जाता फिर से जीवन
सरल शब्दों में कहें तो शायद ही कोई होगा जो उल्कापिंड के धरती से टकराने के अंजाम से वाकिफ नहीं हो. धरती पर उल्कापिंड के टकराने का सीधा अर्थ है पूरा का पूरा जीवन का नष्ट हो जाना. हाल की खगोलीय घटनाओं में कई उल्कापिंड पृथ्वी के बेहद नजदीक से गुजरे हैं. हम सौभाग्यशाली हैं कि एक भी उल्कापिंड धरती से नहीं टकराया. यहां यह वैज्ञानिक सिद्धांत भी याद रखना बेहद जरूरी है कि पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति इन उल्कापिंडों को अपनी ओर आकर्षित करती है. यानी हर बार उल्कापिंड के धरती से टकराने का खतरा होता है, लेकिन शायद ईश्वर नाम का विश्वास पृथ्वी को बचा लेता है.
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30 हजार मील प्रति घंटा की रफ्तार थी '2019 एनजे2' की
इस बार भी ईश्वर ने पृथ्वी से जीवन को खत्म होने से बचाया. '2019 एनजे2' नाम का उल्कापिंड 30 हजार मील प्रति घंटा की रफ्तार से पृथ्वी की ओर बढ़ रहा था. वह पृथ्वी के केंद्र से महज 3.1 मिलियन मील की ही दूरी पर था. अंतरिक्ष विज्ञानी इसके आकार औऱ गति को लेकर खासे संशकित थे. उन्हें आशंका थी कि '2019 एनजे2' उल्कापिंड शनिवार की रात पृथ्वी से टकरा सकता है. यह अलग बात है कि फिर ईश्वरीय आशीर्वाद के तहत यह खतरनाक उल्कापिंड पृथ्वी के नजदीक से निकल गया.
2119 में फिर आएगा '2019 एनजे2'
इस उल्कापिंड को इस साल 29 जून को देखा गया था. इसके पहले पृथ्वी के नजदीक से 1952 में उल्कापिंड गुजरा था. नासा के वैज्ञानिकों का कहना है कि '2019 एनजे2' उल्कापिंड अब 2119 में फिर पृथ्वी की ओर रुख करेगा. इस बार उसकी पृथ्वी से नजदीकी भी कहीं ज्यादा होगी. एक अनुमान के मुताबिक 2119 में '2019 एनजे2' पृथ्वी से महज 23.8 मील दूर से गुजरेगा. यह दूरी खगोलीय घटना के लिहाज से बहुत ज्यादा नहीं है. पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति इतनी दूर से गुजर रहे उल्कापिंड को अपनी तरफ खींचने के लिए पर्याप्त है.
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700,000 उल्कापिंड गए हैं पहचानें
स्पेस टेलीस्कोप डॉट ऑर्ग के मुताबिक अब तक अंतरिक्ष विज्ञानियों ने 700,000 उल्कापिंडों की पहचान की है. ये मुख्यतः अंतरिक्ष की 'मेन बेल्ट' करार दिए गए क्षेत्र गुरु और मंगल की कक्षाओं में पाए जाते हैं. गौरतलब है कि 2018 में अंतरिक्ष के बेरिंग सी नामक जगह पर उल्कापिंड फट गया था. इस घटना से हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम से 10 गुना ज्यादा यानी लगभग 173 किलोटन ऊर्जा उत्पन्न हुई थी. चूंकि यह अद्भुत खगोलीय घटना पृथ्वी से काफी दूर हुई थी, तो सिवाय अंतरिक्ष विज्ञानियों के सामान्य इंसान को इसकी भनक तक नहीं लगी. हालांकि '2019 एनजे2' से पृथ्वी जरूर बाल-बाल बची है. अगर यह उल्कापिंड पृथ्वी से टकरा जाता तो हम और आप यह खबर नहीं पढ़ रहे होते.
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