कोविड महामारी के बीच अफ्रीकी स्वाइन फीवर मिजोरम के बाद अब त्रिपुरा में बरपा रहा कहर
कोविड महामारी के बीच अफ्रीकी स्वाइन फीवर मिजोरम के बाद अब त्रिपुरा में बरपा रहा कहर
अगरतला/आइजोल:
देश का पूर्वोत्तर हिस्सा जहां कोविड-19 महामारी से जूझ रहा है, वहीं क्षेत्र के कुछ राज्यों में अफ्रीकन स्वाइन फीवर (एएसएफ) का प्रकोप भी देखा जा रहा है।अधिकारियों ने बुधवार को कहा कि मिजोरम में एएसएफ के प्रकोप के बाद, अब त्रिपुरा में ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां कंचनपुर के एक सरकारी फार्म में बड़ी संख्या में सूअर मृत पाए गए हैं।
एक ओर जहां मिजोरम कोविड-19 महामारी से गंभीर रूप से जूझ रहा है, वहीं दूसरी ओर इस साल मार्च से एएसएफ की वजह से मिजोरम के सभी 11 जिलों में 28,000 से अधिक सूअर मारे जा चुके हैं, जो म्यांमार और बांग्लादेश के अलावा त्रिपुरा, असम, मणिपुर के साथ सीमा साझा करते हैं।
पशु रोग विशेषज्ञ मृणाल दत्ता ने आईएएनएस को बताया कि इस साल की शुरूआत में असम और मेघालय के अलावा पड़ोसी देशों म्यांमार और भूटान सहित अधिकांश पूर्वोत्तर राज्यों के सीमित क्षेत्रों में एएसएफ के प्रकोप की सूचना मिली थी।
त्रिपुरा के पशु संसाधन विकास विभाग (एआरडीडी) के निदेशक के. शशिकुमार ने कहा कि गुवाहाटी स्थित उत्तर पूर्वी क्षेत्रीय रोग निदान प्रयोगशाला में एएसएफ प्रभावित सूअरों के कुछ नमूनों की टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। उन्होंने कहा कि कंचनपुर में सरकार द्वारा संचालित विदेशी सुअर प्रजनन फार्म में अब तक 160 सूअरों की मौत हो चुकी है और विभाग के अधिकारियों और डॉक्टरों की कड़ी निगरानी के कारण आसपास के गांवों में अभी तक एएसएफ नहीं फैला है।
शशिकुमार ने आईएएनएस को बताया, पशु चिकित्सकों और विशेषज्ञों की एक टीम अब कंचनपुर (मिजोरम की सीमा) में डेरा डाले हुए है और वह स्थानीय अधिकारियों और स्वयंसेवकों के सहयोग से सूअरों के लिए आफत बनी इस बीमारी से निपटने के प्रयास किए जा रहे हैं। आसपास के क्षेत्र में बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए अधिकतम निगरानी की जा रही है। संक्रामक रोग को देखते हुए 37 सूअरों को मार दिया गया है, ताकि स्वस्थ सूअरों में इसे और फैलने से रोका जा सके।
उन्होंने कहा कि संक्रामक रोग उत्तरी त्रिपुरा के कंचनपुर से सटे मिजोरम तक फैल सकता है। अधिकारी ने बताया कि कंचनपुर अनुमंडल में पशुओं में संक्रामक रोगों की रोकथाम एवं नियंत्रण अधिनियम, 2009 को लागू कर दिया गया है और सभी निवारक उपाय किए गए हैं।
एआरडीडी निदेशक ने कहा, जो लोग अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करते हैं, उन्हें कारावास और मौद्रिक दंड से दंडित किया जाएगा। कंचनपुर से सूअरों के परिवहन और व्यापार पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
मिजोरम में, पशुपालन और पशु चिकित्सा (एएच एंड वेटी) विभाग के प्रवक्ता हमिंगटिया ने कहा कि इस साल मार्च में मिजोरम में एएसएफ के प्रकोप के बाद अब तक सभी 11 जिलों में 28,000 से अधिक सूअरों की मौत हो चुकी है और संक्रामक रोग को देखते हुए 11 हजार से अधिक सूअरों को मार दिया गया है, ताकि स्वस्थ सूअरों में इसे और फैलने से रोका जा सके।
अधिकारी ने आईएएनएस को बताया कि एएसएफ के प्रकोप से अब तक 230 करोड़ रुपये से अधिक का वित्तीय नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि जिले के कुछ इलाकों में यह बीमारी नियंत्रण में है और कुछ जिलों में यह अभी भी व्याप्त है।
उन्होंने कहा कि मार्च के मध्य में दक्षिण मिजोरम के लुंगलेई जिले के लुंगसेन गांव में पहली बार सुअर की मौत का पता चला था। ग्रामीणों ने बताया था कि सूअर बांग्लादेश से लाए गए थे।
जब मरे हुए सूअरों के सैंपल भोपाल स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाई सिक्योरिटी एनिमल डिजीज को भेजे गए तो इस बात की पुष्टि हुई कि सूअरों की मौत एएसएफ की वजह से हुई है।
एएच एंड वेटी के अधिकारियों के अनुसार, राज्य भर के सभी 11 जिलों के कम से कम 250 गांवों में एएसएफ के प्रकोप की सूचना मिली है।
विशेषज्ञों के अनुसार, इसका प्रकोप पड़ोसी म्यांमार, बांग्लादेश और इससे सटे राज्य मेघालय से आयातित सूअर या पोर्क के मांस के कारण हुआ होगा।
पूर्वोत्तर क्षेत्र का वार्षिक पोर्क कारोबार लगभग 8,000-10,000 करोड़ रुपये का है, जिसमें असम सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है। सूअर का मांस इस क्षेत्र के आदिवासियों और गैर-आदिवासियों द्वारा खाए जाने वाले सबसे आम और लोकप्रिय मांस में से एक है।
कुछ विशेषज्ञों के अनुसार, मनुष्य एएसएफ से संक्रमित नहीं होते हैं, जिसका पहली बार 1921 में केन्या में पता चला था। हालांकि, वे वायरस के वाहक हो सकते हैं।
आज तक इस वायरस का कोई टीका उपलब्ध नहीं है।
लगभग हर साल पूर्वोत्तर क्षेत्र के विभिन्न राज्यों में ज्यादातर पशुओं में एएसएफ और पैर और मुंह की बीमारी सहित विभिन्न बीमारियों का प्रकोप होता है।
प्रकोप के बाद, पूर्वोत्तर राज्यों ने हाई अलर्ट जारी कर दिया है और लोगों, विशेष रूप से सूअर पालन करने वाले लोगों को अन्य राज्यों और पड़ोसी देशों, विशेष रूप से म्यांमार से सूअर लाने से परहेज करने के लिए कहा है।
केंद्र सरकार की एडवाइजरी में कहा गया है कि एएसएफ सूअरों की एक अत्यधिक संक्रामक बीमारी है, जिसमें घरेलू और जंगली दोनों शामिल हैं। इसने कहा है कि मृत्यु दर 100 प्रतिशत तक हो सकती है।
डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Hanuman Jayanti 2024: हनुमान जयंती पर गलती से भी न करें ये काम, बजरंगबली हो जाएंगे नाराज
-
Vastu Tips For Office Desk: ऑफिस डेस्क पर शीशा रखना शुभ या अशुभ, जानें यहां
-
Aaj Ka Panchang 20 April 2024: क्या है 20 अप्रैल 2024 का पंचांग, जानें शुभ-अशुभ मुहूर्त और राहु काल का समय
-
Akshaya Tritiya 2024: 10 मई को चरम पर होंगे सोने-चांदी के रेट, ये है बड़ी वजह