बायोडिग्रेडेबल और फायनेंस से लेकर स्वास्थ्य सुविधाओं तक सबके लिए स्टार्ट-अप
बायोडिग्रेडेबल और फायनेंस से लेकर स्वास्थ्य सुविधाओं तक सबके लिए स्टार्ट-अप
नई दिल्ली:
अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) और शिक्षा मंत्रालय के इनोवेशन सेल (एमआईसी) ने स्टार्ट-अप को बढ़ावा देने के लिए विशेष कदम उठा रहे हैं। इसके तहत अनुदान राशि, परामर्श और जनबल प्रदान करने के लिए नवोन्मेषी क्षमताओं वाली 75 नवोन्मेषी तकनीकों को महत्व दिया गया है।शिक्षा मंत्रालय के नवाचार सप्ताह के दौरान 500 से ज्यादा नवाचारों और स्टार्ट-अप ने वर्चुअली रूप से अपने काम का प्रदर्शन किया।
नवाचारों और स्टार्ट-अप को नेशनल इनोवेशन कॉन्टेस्ट, स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन और टॉय्काथॉन जैसे कार्यक्रमों से चुना गया था। इसका समापन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 जनवरी को राष्ट्रीय स्टार्ट-अप दिवस के रूप में घोषित किया।
चयनित 75 नवाचारों और स्टार्ट-अप्स ने तकनीकी समाधानों और सेवाओं को विकसित किया है, जो 16 विभिन्न क्षेत्रों में काम करेंगे। इनमें रोबोटिक्स एंड ड्रोन्स, स्वच्छ और पीने योग्य पानी, शिक्षा, स्मार्ट व इलेक्ट्रिक वाहन,सॉफ्टवेयर- मोबाइल एप डेवलपमेंट आदि शामिल हैं।
स्टार्ट-अप्स में बायोमैन्स (जैव-आधारित बायोडिग्रेडेबल उन्नत पदार्थ) दैनिक जीवन के लिए उपयोगी वस्तुओं की व्यापक रेंज जैसे कैरी बैग, मेडिकल कपड़ा, कॉटन के इयर बड्स और नष्ट किए जाने वाले बर्तनों आदि का उत्पादन कृषि अपशिष्ट से करता है। यह स्टार्ट-अप सिंगल यूज वाली प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण का समाधान करने के लिए काम कर रही है।
फाईनेन्स टेक्निकल सॉल्युशंस नामक एक अन्य स्टार्ट-अप को डॉ. एमजीआर एजुकेशनल एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट में तैयार किया गया। यह रोबोटिक्स एंड ड्रोन्स क्षेत्र में सॉल्युशन प्रदान करता है। उनके नवोन्मेषी उत्पाद क्लॉग रिमूविंग ऑटोनोमस बोट (क्रेब) का उपयोग भूमिगत सीवर और मेट्रो पाइपलाइनों में लगे अवरोधों और गंदगी को हटाने में किया जाता है।
फिजियोथेरेपिस्ट का सहयोग करने के लिए इस अनूठे तकनीकी उपकरण को विद्यार्थियों की टीम ने विकसित किया है और इसे वर्तमान में पंजाब विश्वविद्यालय में तैयार किया जा रहा है। इस डिवाइस की सहायता से फिजियो विकारों का इलाज करा रहे मरीज के लिए सर्वश्रेष्ठ मूवमेंट होती है। इसकी संस्थापक टीम इसकी उपयोगिता सुधारने के लिए आटीर्फीशियल इंटेलिजेंस (एआई) और मशीन लनिर्ंग (एमएल) आधारित डाटा विश्लेषण का उपयोग करने की दिशा में काम कर रही है।
शिक्षा मंत्रालय की इन्नोवेशन सेल और एआईसीटीई शिक्षण संस्थानों में नवाचार और स्टार्ट-अप्स को बढ़ावा देने और उनका सहयोग करने के लिए व्यापक योजनाएं बनाते हैं और पहल करते हैं।
एआईसीटीई के चेयरमैन प्रोफेसर अनिल डी सहस्रबुद्धे ने जोर देकर कहा, टॉयकाथन और खिलौना व्यापार लीग (टीबीएल) स्कूल और कॉलेज, दोनों के विद्यार्थियों के उद्योगों से जुड़ने के लिए सर्वश्रेष्ठ मंच हैं, जिससे वे अपने रचनात्मक विचारों का पेशेवर उपयोग कर सकें। अब तक 55 खिलौना निर्माताओं ने अपने उत्पादों में सुधार लाने और उनका निर्माण करने के लिए टॉयकाथन विजेताओं से संपर्क किया है।
एमआईसी के मुख्य नवाचार अधिकारी (सीआईओ) डॉ. अभय जेरे ने कहा, हमने विद्यार्थियों और शिक्षकों के 30 हजार आइडियाज के साथ शुरूआत की है। कई चरणों की स्क्रीनिंग, जांच और प्रशिक्षण के बाद हमने अब 75 नवाचारों को चिह्न्ति किया है जिनमें वास्तव में अच्छी स्टार्ट-अप क्षमता है। हम उन सभी को 10-10 लाख रुपये तक की फंडिंग का सहयोग करेंगे और अगले दो साल तक उनकी प्रक्रिया की निगरानी करेंगे।
एआईसीटीई के वाइस-चेयरमैन प्रोफेसर एमपी पूनिया ने कहा, एआईसीटीई ने पहले से ही तकनीकी संस्थानों में नवाचार, नवोन्मेष और उद्यम विकास में स्नातकोत्तरीय शिक्षण कार्यक्रम पेश किए हैं और उनका संस्थानीकरण किया है। अब तक 21 उच्च शिक्षण संस्थान ये कार्यक्रम संचालित कर रहे हैं और नवोन्मेष और स्टार्ट-अप के करियर को शिक्षण का भाग बनाकर युवाओं की सहायता कर रहे हैं।
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