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(source : IANS)( Photo Credit : Twitter)
रॉकेट निर्माण स्टार्टअप, अग्निकुल कॉसमॉस ने मंगलवार को कहा कि उसने दूसरे चरण के सेमी-क्रायोजेनिकइंजन का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है. अग्निकुल कॉसमॉस के अनुसार, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के हिस्से विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (वीएसएससी) में सेमी-क्रायोजेनिक ईंधन एग्निलेट द्वारा संचालित सिंगल पीस, पूरी तरह से 3डी प्रिंटेड, सेकेंड स्टेज रॉकेट इंजन का परीक्षण किया गया था. कंपनी के सह-संस्थापक और सीईओ, श्रीनाथ रविचंद्रन ने पहले आईएएनएस को बताया था कि वे 2022 के अंत से पहले अपने रॉकेट अग्निबाण का पहला परीक्षण लॉन्च करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं. पेलोड ले जाने के बारे में पूछे जाने पर रविचंद्रन ने कहा था कि यह एक डमी पेलोड होगा.
Humbled to announce that we successfully test fired one version of our patented technology based single piece, fully 3d printed, 2nd stage semi cryo engine - Agnilet - at VSSC, @isrohttps://t.co/THjJG51fLo
Incredibly thankful to @INSPACeIND and @isro for enabling this. (1/2) pic.twitter.com/Oa3yKKJ3eh— AgniKul Cosmos (@AgnikulCosmos) November 8, 2022
अग्निबाण एक दो चरण वाला रॉकेट है जिसमें 100 किलो पेलोड क्षमता है जो लगभग 700 किमी ऊंची (निम्न पृथ्वी की कक्षाओं) की परिक्रमा करता है और प्लग-एंड-प्ले कॉन्फिगरेशन को सक्षम बनाता है. कंपनी ने हाल ही में आईआईटी मद्रास रिसर्च पार्क में स्थित अपना पहला 3डी प्रिंटेड रॉकेट इंजन कारखाना खोला है. फैक्ट्री को अपने रॉकेट अग्निबाण के लिए प्रति सप्ताह दो रॉकेट इंजन बनाने की क्षमता को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है.
अगले महीने किसी समय परीक्षण लॉन्च करने की योजना के बारे में पूछे जाने पर, आईआईटी मद्रास में राष्ट्रीय दहन अनुसंधान और विकास केंद्र के प्रमुख और प्रोफेसर और और अग्निकुल के सलाहकार एस.आर. चक्रवर्ती ने आईएएनएस को बताया, हम इस दिशा में हर समय काम कर रहे हैं, लेकिन अभी तक कुछ भी तय नहीं हुआ है.
अग्निकुल और इसरो ने एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए, जिससे पूर्व में इसरो सुविधाओं तक पहुंच और अंतरिक्ष प्रक्षेपण वाहनों के उप-प्रणालियों/प्रणालियों के विकास और परीक्षण के लिए विशेषज्ञता प्राप्त हुई.
Source : IANS