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AI Vs Human: इंसानी कौम पर मंडरा रहा OpenAI का खतरा... ये नुकसान जानलेवा है!

Open AI खतरनाक है... धीरे-धीरे जहां इसपर इंसानी निर्भरता बढ़ने लगी है. वहीं इसका खतरा भी हम पर मंडराने लगा है. इस आर्टिकल में हम आपको ऐसे नुकसान बताने जा रहे हैं, जो शायद आपने कभी सोचे भी न हो...

Updated on: 29 Nov 2023, 07:11 PM

नई दिल्ली:

Open AI की पॉपुलैरिटी अर्श पर है... आज के दौर में बच्चों से लेकर बूढ़ों तक, हर किसी की जुबान पर ChatGPT, Project Q Star और Microsoft Copilot का नाम रटा हुआ है. तकरीबन हर घंटे ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर सैकड़ों यूजर्स बढ़ते जा रहे हैं, इसकी असल वजह है सहूलियत. दरअसल Open AI आपके घंटों का काम मिनटों में करने की क्षमता रखता है, वो भी अत्याधिक सटीकता के साथ. इस वजह से लोगों की इसपर निर्भरता और भी बढ़ती जा रही है, लेकिन हर घंटे बढ़ते इस विश्वास के साथ, इंसानी कौम पर खतरा भी बढ़ रहा है. 

दरअसल हाल ही में कई मीडिया रिपोर्ट्स ने Open AI को लेकर कई बड़े खुलासे किए हैं, जिसमें एआई की आधुनिक्ता और एडवांस होने के लिहाज से हमें गंभीर खतरों की चपेट में बताया है. इसमें लाखों की तादात में नौकरियों का नुकसान, पारदर्शिता की कमी और अत्याधिक निर्भरता जैसे कई संजीदा मुद्दों को उजागर किया गया है. ऐसे में यहां सवाल उठता है कि क्या वाकई Open AI हमारे लिए खतरे की घंटी है?

गौरतलब है कि हाल ही में Project Q Star की मार्केट एंट्री ने टेक जगत में हंगामा मचा दिया है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इंसानों पर होने वाले नुकसान को लेकर चिंताएं चर्चा में है. वहीं कंपनी का दावा है कि, Project Q Star से तैयार हुए डिवाइस में इंसानी समझ होगी, साथ ही सीखने की क्षमता इसे और भी ज्यादा एडवांस बनाएगी.  ये न सिर्फ डेवलपर्स से बल्कि खुद से की हुई तमाम गलतियों से भी सीखेगा, तो इसे और भी ज्यादा बेहतर बनाएगी. हालांकि इसके यही फायदे हमारे लिए नुकसान की शक्ल भी ले सकते हैं, चलिए जानें कैसे?

1. इमोशन लेस होगा AI: हालांकि तमाम कंपनियों द्वारा तमाम दावे किए जा रहे हैं कि, उनका AI इंसानी समझ और सोच रखता है, बावजूद इसके ये भी सत्य है कि आखिर में ये बस एक तकनीक है. लिहाजा इससे 100 प्रतिशत यथार्थता की उम्मीद करना उचित नहीं है. दरअसल चाहे आज का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कितना भी स्मार्ट हो जाए, मगर उसके लिए इंसानी भावनाओं को समझ पाना मुमकिन नहीं है. वो बस उतना ही काम कर सकता है, जितना उसे करने को कहा गया है. चाहे वो सही हो या गलत, अपना खुद का फैसला लेना उसके लिए बहुत मुश्किल है.

2. डेटा प्राइवेसी और सुरक्षा संबंधी चिंताएं: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सुविधा के साथ-साथ डेटा प्राइवेसी और सुरक्षा संबंधी चिंताएं भी बढ़ाता है. इसके इस्तेमाल से हमें हमेशा हमारा निजी डेटा लीक होने का खौफ रहेगा. इसमें आपका सारा संवेदनशील डेटा के साथ-साथ वित्तीय डेटा गायब होने का खतरा भी बरकरार रहेगा. ऐसे में आप इसका इस्तेमाल तो करें, मगर थोड़ी-बहुत अपनी सूझ-बूझ का भी उपयोग करें. 

3. इंसान के सोचने-समझने की क्षमता पर आघात करेगा: ये बिंदू आखिरी मगर सबसे महत्वपूर्ण है, दरअसल समय-दर-समय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर हमारी निर्भरता हमें मानसिक तौर पर कमजोर बनाती जा रही है. धीरे-धीरे हम इस कदर इसके आदी हो रहे हैं कि, खुद किसी भात का फैसला भी नहीं ले पा रहे हैं. हर चीज पता करने के लिए इसका इस्तेमाल कर रहे हैं. ऐसे में अगर हमारी यही निर्भरता रही तो, हम इसके बिना रह ही नहीं पाएंगे, जिससे ये हमपर हावी होने लगेगा. और काफी हद तक संभव है कि आने वाले कुछ सालों में ये हमपर राज करने लगे. हमारी जिंदगी और मौत, हर एक चीज इसके हाथ में रहे.