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UN report: संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा, टेक्नोलॉजी से बच्चों की लर्निंग हो रही प्रभावित

UN report: आज के समय में टेक्नोलॉजी का सबसे बुरा प्रभाव बच्चों पर हो रहा है. कई देशों में टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है. लेकिन इन सब के बावजूद कई देशों ने स्कूलों में स्मार्टफोन को बैन नहीं किया है.

UN report: आज के समय में टेक्नोलॉजी का सबसे बुरा प्रभाव बच्चों पर हो रहा है. कई देशों में टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है. लेकिन इन सब के बावजूद कई देशों ने स्कूलों में स्मार्टफोन को बैन नहीं किया है.

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Dheeraj Sharma
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UN report: इस समय हम सब के आस-पास टेक्नोलॉजी का प्रभाव बहुत तेजी से फैल रहा है. अब लोग मोबाइल फोन या अन्य टेक्नोलॉजिकल गैजेट का उपयोग बड़े पैमाने में कर रहें है. यह एक तरफ जहां हमारे काम को असान बना रहा है, तो वहीं दुसरी तरफ इसके कई दुष्प्रभाव भी देखने को मिल रहें है. आज के समय में टेक्नोलॉजी का सबसे बुरा प्रभाव बच्चों पर हो रहा है. कई देशों में टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है. लेकिन इन सब के बावजूद कई देशों ने स्कूलों में स्मार्टफोन को बैन नहीं किया है. हम यहां अपको यूएन की एक रिपोर्ट के बारे में बताने जा रहें है, जिसका कहना है कि अगर बच्चे पढ़ाई में टेक का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं तो उनका एकेडमिक परफोर्मेंस प्रभावित होता है. 

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क्या है UN की रिपोर्ट में? 

UN की एक ग्लोबल एजुकेशन मॉनिटरिंग संस्था ने टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने वाले बच्चों को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर आप मोबाइल फोन बच्चों के आसपास रखते हैं तो इससे उनका ध्यान भटकता है, और इससे उनकी पढ़ाई प्रभावित होती है. इसके साथ ही जरूरत से ज्यादा टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल बच्चों के एकेडमिक परफोर्मेंस पर भी पड़ता हैं. मोबाइल फोन या कंप्यूटर बच्चों का ध्यान भटकाते है. और यह उनके सीखने के माहौल को प्रभावित करते है. और यदि एक बार स्टूडेंट का ध्यान भटकता है तो उसे दोबारा ध्यान केंद्रित करने में 20 मिनट का समय लगता है.

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कोराना काल में बढ़ी स्मार्टफोन की लत

संयुक्त राष्ट्र की इस रिपोर्ट में दावा किया गया कि कोराना काल में स्मार्टफोन का इस्तेमाल काफी बढ़ा था. कोरोना के समय रातों-रात पूरी शिक्षा प्रणाली में ऑनलाइन पढ़ाई शुरू हो गई थी. कई कक्षाओं में, कागज की जगह स्क्रीन ने ले ली है और पेन की जगह कीबोर्ड ने. रिपोर्ट में बताया गया कि "डिजिटल तकनीक को अपनाने से शिक्षा और सीखने में कई बदलाव हुए हैं. जिसमें स्कूल में युवाओं से जो बुनियादी कौशल सीखने की अपेक्षा की जाती है, वो कई वार उसमें विफल पाएं जा रहें है. जैसे कि अंतर्राष्ट्रीय छात्र मूल्यांकन कार्यक्रम (PISA) ने बताया कि अत्यधिक ICT (सूचना संचार प्रौद्योगिकी) के उपयोग से छात्र के प्रदर्शन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है.

शिक्षकों को चुनौतियों का सामना करना पड़ता है

यूएन एजुकेशन डिपार्टमेंट के अनुसार शिक्षकों को क्लासरूम में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. अक्सर छात्र शिक्षकों द्वारा बताई गई वेबसाइटों के अलावा अन्य वेबसाइटों पर जाते हैं. और गैर-एजुकेशन वेबसाइट जैसे सोशल मीडिया वगैरह का इस्तेमाल करने लगते है जिसके बाद क्लासरूम में शोर होने लगता है.इसको लेकर यूएन एजुकेशन डिपार्टमेंट का कहना है कि क्लासरूम में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल सिर्फ एजुकेशन के लिए किया जाना चाहिए. 

एकेडमिक परफोर्मेंस खराब कर रही टेक शिक्षा 

अब आपका सबसे बड़ा सवाल होगा की कोरोना के समय और बाद में तो टेक्नोलॉजी या मोबाइल ही बच्चों के शिक्षा पाने का साधन बनते जा रहें है. यदि इनसे ही छात्रों को दूर कर दिया जाएंगा तो वो पढ़ाई कैसे करेंगे? तो इस रिपोर्ट का मानना है कि एजुकेशन व्यवस्था ऑनलाइन होने के बाद से स्टूडेंट्स की लर्निंग प्रभावित हुई है और ज्यादा टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से उनका एकेडमिक परफोर्मेंस खराब होता जा रहा है. इसलिए बच्चे जितना कम हो सके मोबाइल फोन हो या कंप्यूटर का उपयोग पढ़ाई के लिए करें. 

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