नई दिल्ली, 27 जून (आईएएनएस)। आपातकाल के 50 साल पूरे होने पर भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) की तरफ से मॉक पार्लियामेंट का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शिरकत की। उन्होंने एससीओ समिट, आपातकाल के दौर और ऑपरेशन सिंदूर पर भी बात की। उन्होंने कहा कि राजनाथ सिंह का एससीओ समिट में दस्तावेज पर साइन नहीं करना सही फैसला है।
जयशंकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए एससीओ समिट पर कहा, एससीओ का गठन आतंकवाद से लड़ने के उद्देश्य से किया गया था। जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह रक्षा मंत्रियों की बैठक में गए और दस्तावेज पर चर्चा हुई, तो एक देश ने कहा कि वे इसमें आतंकवाद का उल्लेख नहीं चाहते। राजनाथ सिंह का सही मत था कि बिना आतंकवाद के उल्लेख के ( वो भी तब जब संगठन का मुख्य उद्देश्य आतंकवाद से लड़ना है) वे इसे स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं थे। एससीओ सर्वसम्मति से चलता है, इसलिए राजनाथ सिंह ने स्पष्ट कहा कि अगर बयान में आतंकवाद का उल्लेख नहीं होगा, तो हम उस पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे।
विदेश मंत्री जयशंकर ने इमरजेंसी पर बात करते हुए कहा, मैंने मॉक पार्लियामेंट में इमरजेंसी से जुड़े अपने विचार साझा किए। जिस दौरान देश में इमरजेंसी की घोषणा की गई थी, उस समय मेरी उम्र 20 साल के आसपास थी। हमें युवा पीढ़ी को बताना होगा कि आपातकाल के क्या नुकसान थे? उस दौर में किस तरह से मीडिया पर हमला किया गया। लोकतंत्र और संविधान की हत्या की गई और इसके जरिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमारी छवि को बिगाड़ा गया। हम सभी लोगों को इमरजेंसी पर जरूर विचार करना चाहिए। मैंने युवाओं से कहा कि आपातकाल इसलिए लगाया गया, क्योंकि एक परिवार के हित को राष्ट्र हित से आगे रखा गया। आज राष्ट्र के हित को प्राथमिकता दी जाती है।
विदेश मंत्री जयशंकर ने कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, संविधान हाथ में रखकर घूमने से कुछ नहीं होता है। संविधान मन में होना चाहिए। कांग्रेस के डीएनए में इमरजेंसी है। आज वो संविधान की बात करते अच्छे नहीं लगते हैं।
जयशंकर ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सभी देशों के एकजुट होने पर खुशी जताई। उन्होंने कहा, मुझे बहुत गर्व महसूस होता है, जब मैं शशि थरूर, सुप्रिया सुले, कनिमोझी, संजय झा, जय पांडा, रविशंकर प्रसाद और श्रीकांत शिंदे के नेतृत्व में संसदीय प्रतिनिधिमंडलों को देखता हूं। जब मैं सभी दलों को एकजुट होकर विश्व पटल पर राष्ट्रीय हित में बोलते देखता हूं, उन्हें ये कहते सुनता हूं कि आतंकवाद स्वीकार्य नहीं है और जब सब एक सुर में कहते हैं हमें आतंक के खिलाफ अपनी रक्षा का अधिकार है, तो मेरे लिए वो गर्व का क्षण होता है।
उन्होंने कहा, हर देश में जहां भी प्रतिनिधिमंडल गया, उन्हें बताया गया कि सबसे प्रभावशाली बात यह थी कि सभी दल एकजुट होकर देश का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। यह हमारे लिए एक महान क्षण था।
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