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DU: शिक्षकों की स्थायी भर्ती शुरू, असिस्टेंट प्रोफेसर के 101 पद जारी

दिल्ली विश्वविद्यालय में शिक्षकों की स्थायी भर्ती की जा रही है. दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के मुताबिक विश्वविद्यालय में 5 हजार से अधिक स्थाई शिक्षकों की नियुक्ति की जानी है. इसी क्रम में दिल्ली विश्वविद्यालय के शिवाजी कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति की जा रही है. शिवाजी कॉलेज में कुल 101 पदों पर भर्तियां निकाली गई हैं.  इन भर्तियों के लिए इच्छुक आवेदक 7 नवंबर तक ऑनलाइन माध्यम से आवेदन कर सकते हैं. असिस्टेंट प्रोफेसर की इन पोस्ट के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर आवेदन करना होगा.

Updated on: 24 Oct 2022, 11:45 PM

नई दिल्ली:

दिल्ली विश्वविद्यालय में शिक्षकों की स्थायी भर्ती की जा रही है. दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के मुताबिक विश्वविद्यालय में 5 हजार से अधिक स्थाई शिक्षकों की नियुक्ति की जानी है. इसी क्रम में दिल्ली विश्वविद्यालय के शिवाजी कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति की जा रही है. शिवाजी कॉलेज में कुल 101 पदों पर भर्तियां निकाली गई हैं.  इन भर्तियों के लिए इच्छुक आवेदक 7 नवंबर तक ऑनलाइन माध्यम से आवेदन कर सकते हैं. असिस्टेंट प्रोफेसर की इन पोस्ट के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर आवेदन करना होगा.

दिल्ली विश्वविद्यालय में लंबे समय से शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति एवं उनके समायोजन की मांग की जा रही है. विश्वविद्यालय के कई कॉलेजों में कुल शिक्षकों में से 50 प्रतिशत से अधिक एडहॉक शिक्षक हैं. अब दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (डीटीए) ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को एक प्रस्ताव दिया है. इसमें दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वाले वित्त पोषित 28 कॉलेजों के शिक्षकों व कर्मचारियों के स्थायीकरण करने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर उनका समायोजन किया जाए की बात कही गई है.

दरअसल, पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार ने नौ हजार कच्चे शिक्षकों को पक्का करने का नोटिफिकेशन जारी किया है. इसी को देखते हुए अब दिल्ली के शिक्षकों ने भी नौकरी के स्थायीकरण पर पंजाब सरकार का फामूर्ला अपनाने की मांग की है.

दिल्ली शिक्षक संघ के मुताबिक, दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित दिल्ली विश्वविद्यालय के 28 कॉलेजों में लगभग चार हजार अस्थायी शिक्षक व कर्मचारी पिछले एक दशक से अधिक से काम कर रहे है. दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षक संगठनों का कहना है कि पंजाब सरकार की तर्ज पर दिल्ली सरकार भी अपने शिक्षकों व कर्मचारियों के लिए विधानसभा में विशेष सत्र के माध्यम से विधेयक लाकर इन शिक्षकों व कर्मचारियों को पक्का कर सकती है.

शिक्षक संगठनों के मुताबिक, दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वाले वित्त पोषित 28 कॉलेजों में जहां साल 2006-2007 में एडहॉक टीचर्स की संख्या 10 फीसदी थी, आज इन कॉलेजों में 60 से 70 फीसदी एडहॉक शिक्षक हैं. कहीं-कहीं तो उससे ज्यादा एडहॉक शिक्षक हैं. इन कॉलेजों में मोतीलाल नेहरू कॉलेज, सत्यवती कॉलेज, श्री अरबिंदो कॉलेज, शहीद भगतसिंह कॉलेज, स्वामी श्रद्धानंद कॉलेज, श्यामा प्रसाद मुखर्जी कॉलेज, विवेकानंद कॉलेज, लक्ष्मीबाई कॉलेज, कालिंदी कॉलेज, राजधानी कॉलेज, शिवाजी कॉलेज, महाराजा अग्रसेन कॉलेज, भीमराव अम्बेडकर कॉलेज भगिनी निवेदिता कॉलेज, अदिति महाविद्यालय, भारती कॉलेज, मैत्रीय कॉलेज, दिल्ली कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड कॉमर्स, अरबिंदो कॉलेज (सांध्य) सत्यवती कॉलेज (सांध्य) शहीद भगतसिंह कॉलेज (सांध्य) मोतीलाल नेहरू कॉलेज (सांध्य) आदि हैं.

दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन के मुताबिक, यहां लंबे समय से स्थायी नियुक्ति नहीं हुई है. उन्होंने बताया है कि कुछ कॉलेज तो ऐसे है जिनके विभागों में आज कोई भी स्थायी शिक्षक नहीं है. ये एडहॉक टीचर्स पिछले एक दशक से ज्यादा से तदर्थ आधार पर काम कर रहे हैं. उन्हें स्थायी नहीं किया गया. इनमें बहुत से शिक्षक व महिला शिक्षिका ऐसी हैं, जिनकी उम्र 35 से 45 या उससे अधिक हो चुकी है, लेकिन उन्हें आज तक स्थायी नहीं किया गया, इसलिए सरकार इनके लिए एक समय में सभी का समायोजन संबंधी प्रस्ताव लेकर आएं. इन एडहॉक टीचर्स को कोई चिकित्सा सुविधा, एलटीसी नहीं मिलती. इसी तरह से एडहॉक महिला शिक्षिकाओं को मातृत्व अवकाश आदि नहीं मिलता.