भारतीय चिकित्सा परिषद के ‘बोर्ड ऑफ गवर्नर्स ’(BOG) ने अगले शैक्षणिक सत्र में एमडी और एमएस पाठ्यक्रमों के लिए परास्नातक मेडिकल सीटों को 4,800 से अधिक बढ़ाकर 36,192 करने को मंजूरी दी है. एक शीर्ष अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी है. बीओजी के अध्यक्ष और नीति आयोग (NITI Ayog) के सदस्य वी के पॉल ने कहा कि यह वृद्धि पिछले पांच वर्षों में बढ़ाई गई अतिरिक्त सीटों से कहीं अधिक है. पॉल ने कहा, ‘‘वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने वर्ष 2024 तक पीजी और यूजी (अंडर ग्रेजुएट) मेडिकल सीटों की संख्या को दोगुना करने का वादा किया था.
यह भी पढ़ें- झारखंड विधानसभा में जमकर हंगामा, विधायक बोले- CAA, NPR और NRC कोरोना वायरस से ज्यादा खतरनाक
एमएस सामान्य सर्जरी में स्नातकोत्तर डिग्री है
इसलिए, इस दिशा में भारतीय चिकित्सा परिषद की शक्तियों से लैस बोर्ड ऑफ गवर्नर्स ने वर्ष 2020-21 के सत्र में परास्नातक मेडिकल सीटों (व्यापक विशेषज्ञता) को 4,807 तक बढ़ाने के प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे दी.” उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, नए शैक्षणिक सत्र में, काउंसलिंग में 36,192 पीजी मेडिकल सीटें (एमडी / एमएस, ब्रॉड स्पेशलिटी) उपलब्ध होंगी.’’ उन्होंने कहा, ‘‘वर्ष 2020-21 के शैक्षणिक सत्र में, 54,000 अंडरग्रेजुएट एमबीबीएस उत्तीर्ण छात्रों के लिए लगभग 44,000 स्नातकोत्तर मेडिकल सीटे (36,192 एमडी / एमएस सीटें और 8,000 डीएनबी / एफएनबी सीटें) उपलब्ध होंगी.’’ एमएस सामान्य सर्जरी में स्नातकोत्तर डिग्री है, जबकि एमडी सामान्य चिकित्सा में स्नातकोत्तर डिग्री है.
यह भी पढ़ें- अगर आप ट्रेन से सफर करते हैं तो पढ़ें ये खबर, कोरोना वायरस के चलते राजधानी, दुरंतो सहित 23 ट्रेनें रद की गईं
23,000 से अधिक पीजी मेडिकल सीटें थीं
वर्ष 2014-15 में, देश भर में सरकारी और निजी दोनों मेडिकल कॉलेजों में 23,000 से अधिक पीजी मेडिकल सीटें थीं. हाल ही में, चिकित्सा शिक्षा में योग्य डॉक्टरों की कमी और चिकित्सा शिक्षा में खाई को पाटने के लिए, नीति आयोग मेडिकल सीटों को बढ़ाने के लिए कार्यात्मक जिला अस्पताल के साथ नए या मौजूदा निजी मेडिकल कॉलेजों को जोड़ने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के साथ सामने आया है. बोर्ड ऑफ गवर्नर्स द्वारा नियोजित नए डिस्ट्रिक्ट रेजीडेंसी प्रोग्राम के तहत, प्रत्येक पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल छात्र को अपनी डिग्री प्राप्त करने का पात्र होने के लिए तीन महीने जिला अस्पताल में सेवा करनी होगी.