/newsnation/media/post_attachments/images/2020/02/01/budget2020-49.jpg)
प्रतीकात्मक तस्वीर( Photo Credit : News State)
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को लोकसभा में आम बजट पेश करते हुए कहा कि देशभर में डेटा सेंटर पार्क बनाने के लिए जल्द नीति बनाई जाएगी. इस घोषणा को डेटा लोकलाइजेशन पर जोर देने और नागरिकों के लिए डेटा निजता लाने के सरकार के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है. साथ ही उन्होंने कहा कि देश में डेटा एनालिटिक्स, आर्टीफीशियल इंटेलीजेंस (एआई) और मशीन लर्निग (एमएल) तथा बायोइनफॉर्मेटिक्स जैसी तकनीकें तेजी से बढ़ रही हैं. तो अब अगर आप सोच रहे हैं कि ये बायोइनफॉर्मेटिक्स क्या है तो चलिए हम आपको बताते हैं..
आज के दौर में साइंस और कंप्यूटर ने दुनिया में काफी कुछ बदल दिया और इसी बदलाव का परिणाम है कि स्टूडेंट्स के पास कई ऐसे कोर्सेज उपलब्ध हैं जिसे करके वे सीधे जॉब हासिल कर सकते हैं. ऐसा ही एक कोर्स है बायोइन्फॉर्मेटिक्स.
यह भी पढ़ें- हरियाणा में जन्मी थीं देश की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला, आज है उनकी पुण्यतिथि
कैसे करें पढ़ाई?
साइंस स्ट्रीम से 12 वीं पास करने के बाद बायोइन्फॉर्मेटिक्स में एडमिशन ले सकते हैं. ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन में इस विषय के साथ आपको माइक्रोबायोलॉजी, फॉर्मेसी, वेटेनरी साइंस, मैथ्स और फिजिक्स भी जानना होगा.
क्या करते हैं बायोइन्फोर्मेटिस्ट?
इस फील्ड में कंप्यूटर टेक्नोलॉजी के जरिए बायोइन्फोर्मेटिस्ट बायोलॉजिकल डेटा का एनालिसिस करते है. इसके साथ ही इनका काम डेटा स्टोरेज करना भी होता है और डेटा को एक-दूसरे से मिलाना भी.
जरूरी स्किल्स:
इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए आपके पास हमेशा आब्जर्वेशन और जानने की इच्छा शक्ति होनी चाहिए.
रोजगार के अवसर:
इस फील्ड में पढ़ाई करने के बाद आप स्किवेंस एसेंबलिंग, सिक्वेंस एनालिसिस, क्लीनिकल फार्माकोलॉजिस्ट, कंप्यूटेशनल केमिस्ट्री में करियर बना सकते हैं. इस क्षेत्र में आप डॉ. रेड्डी लेबोरेट्रीज, लैंडस्काई सोल्यूशंस, इनजेनोविस जैसी कंपनियों में काम कर सकते हैं. कई निजी मेडिकल और इंस्टीट्यूशंस भी इस क्षेत्र से जुड़े प्रोफेशनल्स को हायर करते हैं. ये रिसर्च करके दवाओं की क्वालिटी सुधारने के लिए भी काम करते हैं.
Source : News State